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कोरोना वैक्‍सीन लगने पर कैसा महसूस होता है? कोविशील्‍ड के ट्रायल में शामिल शख्‍स से जानिए

Coronavirus vaccine trial news: मेडिकल आंत्रप्रेन्‍योर अनिल हेब्‍बार की पत्‍नी नहीं चाहती थीं कि वह वैक्‍सीन ट्रायल में शामिल हों। मगर हेब्‍बार के लिए यह कोरोना से लड़ाई में मदद करने का रास्‍ता था।

इकनॉमिक टाइम्स 12 Oct 2020, 12:25 pm

हाइलाइट्स

  • देश में अलग-अलग जगहों पर चल रहा है कोरोना वैक्‍सीन 'कोविशील्‍ड' का ट्रायल
  • ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी अस्‍त्राजेनेका ने मिलकर बनाई है वैक्‍सीन
  • सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से हुआ है भारत में ट्रायल और डिस्‍ट्रीब्‍यूशन का करार
  • मुंबई के अनिल हेब्‍बार भी कोविशील्‍ड के ट्रायल में शामिल, पहली डोज 8 अक्‍टूबर को लगी
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दिव्‍या राजगोपाल, मुंबई
कोरोना वायरस महामारी के बचने का फिलहाल एक ही रास्‍ता नजर आ रहा है, वैक्‍सीन। 56 साल के अनिल हेब्‍बार उन 100 भारतीयों में से हैं जो कोरोना वैक्‍सीन 'कोविशील्‍ड' के ट्रायल में शामिल हुए हैं। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) भारत में ऑक्‍सफर्ड-अस्‍त्राजेनका की वैक्‍सीन का ट्रायल कर रहा है। पेशे से मेडिकल आंत्रप्रेन्‍योर अनिल हेब्‍बार को ट्रायल में शामिल होने के लिए पत्‍नी की बेरुखी सहनी पड़ी। लेकिन वह वैक्‍सीन डेवलपमेंट में तेजी लाने के लिए ट्रायल में शामिल होना चाहते थे। उन्‍हें 8 अक्‍टूबर को वैक्‍सीन की पहली डोज दी गई है। दूसरी डोज 28 दिन बाद लगेगी। हेब्‍बार बताते हैं कि टीका लगने के बाद अगले दिन तक उन्‍हें बांह में कमजोरी महसूस हुई। लेकिन उसके बाद यह शिकायत दूर हो गई।
पहले बीमारों की मदद की, अब ट्रायल में शामिल
हेब्‍बार कोरोना महामारी की शुरुआत से राहत कार्यों में भी सक्रिय रहे हैं। उन्‍होंने ईटी से बातचीत में कहा, "मैं पिछले छह महीने से कोविड रिलीफ वर्क में लगा हुआ था। जब मैंने अपने साथियों की इस बीमारी से मौत की खबरें सुनीं। वैक्‍सीन ही इससे निपटने का एकमात्र रास्‍ता है और मैं उस प्रोसेस को तेज करने के लिए उसका हिस्‍सा बनना चाहता था। इसलिए मैंने जब सुना कि वैक्‍सीन का ट्रायल हो रहा है तो मैंने फौरन अप्‍लाई कर दिया।" एक दोस्‍त की मदद से मुंबई के केईएम अस्‍पताल में होने वाले ट्रायल में वह एनरोल हो गए। 8 अक्‍टूबर को हेब्‍बार समेत 45 लोगों को वैक्‍सीन की डोज दी गई। 28 दिन के बाद एक और डोज दी जाएगी। आखिर में चेक किया जाएगा कि वैक्‍सीन असरदार और सुरक्षित है या नहीं।


फैमिली से कहा, रोड क्रॉस करने से ज्‍यादा सेफ है ट्रायल
चूंकि वैक्‍सीन का ट्रायल डबल ब्‍लाइंड और रैंडमाइज्‍ड है, इसलिए हेब्‍बार को नहीं पता कि उन्‍हें वैक्‍सीन दी गई है या प्‍लेसीबो। उन्‍होंने कहा कि जिस दिन उन्‍हें टीका लगा, उस बांह में एक दिन तक दर्द हुआ। अगले दिन वह भी गायाब हो गया। खुद हेल्‍थकेयर की फील्‍ड में काम करने वाले हेब्‍बार ने कहा कि उन्‍हें पता था कि वैक्‍सीन ट्रायल में शामिल होने पर क्‍या खतरे हैं। उन्‍होंने कहा कि परिवार को मनाना खासा मुश्किल था। उन्‍होंने कहा, 'मैंने उनसे कहा कि ट्रायल में शामिल होने से ज्‍यादा खतरा मुंबई में सड़क पार करने में है।' हेब्‍बार ने अपने आधा दर्जन दोस्‍तों को भी ट्रायल में शामिल होने के लिए प्रेरित किया है।

दुनिया के सामने पहली बार आई कोरोना वायरस की तस्‍वीरें

दो महीने तक शराब से रहना होगा दूरट्रायल में शामिल होने वाले लोगों को ट्रांसपोर्ट के लिए 500 रुपये मिलते हैं। इसके अलावा ब्‍लड प्रेशर और सुगर लेवल नॉर्मल होना चाहिए। पार्टिसिपेंट्स को अलगे छह महीने तक मॉनिटर किया जाएगा कि कहीं उनमें कोई साइड इफेक्‍ट्स तो नहीं दिख रहे। वैक्‍सीन लगने के कम से कम दो महीने तक ट्रायल में शामिल लोगों को शराब पीने से मना किया गया है। अगर किसी तरह का कोई साइड इफेक्‍ट डेवलप होता है तो उनका इलाज किया जाएगा। पार्टिसिपेंट्स को इसका मुआवजा भी मिलेगा जो सरकार तय करेगी।

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