नई दिल्ली
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोते और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ बीजेपी प्रत्याशी चंद्र कुमार बोस का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में कई ऐसे गुण हैं जो नेताजी से मेल खाते हैं। मधुपर्णा दास को दिए एक इंटरव्यू में टाटा स्टील के पूर्व ऐम्प्लॉयी चंद्र कुमार बोस ने बताया कि उन्होंने किन वजहों से बीजेपी को चुना। यहां तक कि वह बीजेपी से कई मसलों पर अलग राय रखते हैं। खासकर बीफ बैन के मामले में वह बीजेपी से सहमत नहीं हैं। पेश है इंटरव्यू का मुख्य अंश-
बोस परिवार ने तीन पीढ़ियों से मुख्यधारा की राजनीति- कांग्रेस, फॉरवर्ड ब्लॉक और तृणमूल कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। अब बीजेपी में आगमन हुआ है। आप बीजेपी में कैसे पहुंच गए?
जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब मेरी 2013 में उनसे एक प्रोग्राम में पांच मिनट के लिए मुलाकात हुई थी। दरअसल, मैंने उनसे नेताजी से जुडी फाइलों को सार्वजनिक करने के मामले में बात की थी। इस मामले में उन्हें एक अर्जी सौंपी थी जिसमें नेताजी के परिवार के 50 सदस्यों और नेताजी ओपन फोरम के 500 सदस्यों के हस्ताक्षर थे। उस दिन मोदी ने कहा था कि वह सही वक्त पर इस मसले को उठाएंगे। इसके साथ ही हमलोगों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी लिखा था कि बंगाल सरकार के पास जो नेताजी से जुड़ी फाइलें हैं उन्हें सार्वजनिक कर दिया जाए लेकिन हमलोग को इस मामले में कोई जवाब नहीं मिला। 2014 के आम चुनाव के बाद जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो हमलोगों ने फिर से उन्हें इस मुद्दे को लेकर उनके वादे को याद दिलाया। हमलोग को मोदी जी की तरफ से तत्काल जवाब मिला लेकिन ममता ने तवज्जो नहीं दी। ममता ने फाइलों को सार्वजनिक कुछ इमोशनल चाल के जरिए किया। लेकिन यह मोदी के साथ बिल्कुल अलग था। मोदी ने फाइल सार्वजनिक करने के मामले में कोई राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश नहीं की। यही मोदी और ममता के बीच का फर्क है।
आपको राजनीति में आने की प्रेरणा कहां से मिली?
अटल जी के वक्त में मेरे पिता अमिय बोस बंगाल बीजेपी यूनिट के चार सालों तक उपाध्यक्ष रहे थे। इसलिए मैं राजनीति और बीजेपी के लिए नया नहीं हूं। बचपन के दिनों में मैंने अपने पिता के साथ काम किया था और मैंने उन्हें एक राजनेता के रूप में काम करते देखा भी था। अब मैं नेताजी की विचारधारा को लोगों तक पहुंचाना चाहता हूं और ऐसा मैं मोदी जी के नेतृत्व में ही कर सकता हूं। मोदी जी और नेताजी में कई मामलों में समानता है। मैं जानता हूं कि नेताजी की किसी अन्य नेता से तुलना करना नाइंसाफी होगी लेकिन मुझे यह कहने में झिझक नहीं है कि मोदी जी में कुछ ऐसे गुण हैं जो नेताजी से मेल खाते हैं। नेताजी के उन गुणों को मैं हमेशा मोदी जी में देखता हूं।
आप बीफ, असहिष्णुता और किसी मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट नहीं देने के मामले में बीजेपी को लेकर क्या सोचते हैं?
देखिए, मैं बीजेपी में हूं इसका मतलब यह नहीं है कि मेरी राय पार्टी से अलग नहीं होगी। बीफ बैन को लेकर मैं सहमत नहीं हूं। मेरा मानना है कि लोगों के बीच फरमान नहीं जारी करना चाहिए। असहिष्णुता के मामले में ज्यादातर चीजों की मीडिया और विपक्ष ने गलत व्याख्या की। ऐसा बीजेपी को बदनाम करने और राजनीतिक फायदा उठाने के लिए जानबूझकर किया गया। मैं जानता हूं कि बीजेपी में सांप्रदायिक नेता हैं लेकिन ममता बनर्जी तो और ज्यादा सांप्रदायिक हैं। इस देश में कांग्रेस सबसे ज्यादा सांप्रदायिक पार्टी है और वह बीजेपी को सांप्रदायिकता का तमगा पहनाने में कामयाब भी रही है। मेरा मानना है कि चुनाव में उम्मीदवारों का चयन काम के आधार पर होना चाहिए न कि धर्म के आधार पर।
आपको ऐसा नहीं लगता है कि बीजेपी ने ममता बनर्जी के खिलाफ आपको खड़ा कर बलि का बकरा बनाया है।
किसी जन नेता के खिलाफ चुनावी चुनौती को स्वीकार करना हमेशा से अच्छा रहा है। मैं यहां इसलिए हूं कि नेताजी की विचारधारा को लोगों तक प्रभावी तरीके से पहुंचाऊं। कांग्रेस ने बड़ी सफलता पूर्वक नेताजी की विचारधारा को अपनी राजनीति से खत्म कर दिया है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोते और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ बीजेपी प्रत्याशी चंद्र कुमार बोस का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में कई ऐसे गुण हैं जो नेताजी से मेल खाते हैं। मधुपर्णा दास को दिए एक इंटरव्यू में टाटा स्टील के पूर्व ऐम्प्लॉयी चंद्र कुमार बोस ने बताया कि उन्होंने किन वजहों से बीजेपी को चुना। यहां तक कि वह बीजेपी से कई मसलों पर अलग राय रखते हैं। खासकर बीफ बैन के मामले में वह बीजेपी से सहमत नहीं हैं। पेश है इंटरव्यू का मुख्य अंश-
बोस परिवार ने तीन पीढ़ियों से मुख्यधारा की राजनीति- कांग्रेस, फॉरवर्ड ब्लॉक और तृणमूल कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। अब बीजेपी में आगमन हुआ है। आप बीजेपी में कैसे पहुंच गए?
जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब मेरी 2013 में उनसे एक प्रोग्राम में पांच मिनट के लिए मुलाकात हुई थी। दरअसल, मैंने उनसे नेताजी से जुडी फाइलों को सार्वजनिक करने के मामले में बात की थी। इस मामले में उन्हें एक अर्जी सौंपी थी जिसमें नेताजी के परिवार के 50 सदस्यों और नेताजी ओपन फोरम के 500 सदस्यों के हस्ताक्षर थे। उस दिन मोदी ने कहा था कि वह सही वक्त पर इस मसले को उठाएंगे। इसके साथ ही हमलोगों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी लिखा था कि बंगाल सरकार के पास जो नेताजी से जुड़ी फाइलें हैं उन्हें सार्वजनिक कर दिया जाए लेकिन हमलोग को इस मामले में कोई जवाब नहीं मिला। 2014 के आम चुनाव के बाद जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो हमलोगों ने फिर से उन्हें इस मुद्दे को लेकर उनके वादे को याद दिलाया। हमलोग को मोदी जी की तरफ से तत्काल जवाब मिला लेकिन ममता ने तवज्जो नहीं दी। ममता ने फाइलों को सार्वजनिक कुछ इमोशनल चाल के जरिए किया। लेकिन यह मोदी के साथ बिल्कुल अलग था। मोदी ने फाइल सार्वजनिक करने के मामले में कोई राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश नहीं की। यही मोदी और ममता के बीच का फर्क है।
आपको राजनीति में आने की प्रेरणा कहां से मिली?
अटल जी के वक्त में मेरे पिता अमिय बोस बंगाल बीजेपी यूनिट के चार सालों तक उपाध्यक्ष रहे थे। इसलिए मैं राजनीति और बीजेपी के लिए नया नहीं हूं। बचपन के दिनों में मैंने अपने पिता के साथ काम किया था और मैंने उन्हें एक राजनेता के रूप में काम करते देखा भी था। अब मैं नेताजी की विचारधारा को लोगों तक पहुंचाना चाहता हूं और ऐसा मैं मोदी जी के नेतृत्व में ही कर सकता हूं। मोदी जी और नेताजी में कई मामलों में समानता है। मैं जानता हूं कि नेताजी की किसी अन्य नेता से तुलना करना नाइंसाफी होगी लेकिन मुझे यह कहने में झिझक नहीं है कि मोदी जी में कुछ ऐसे गुण हैं जो नेताजी से मेल खाते हैं। नेताजी के उन गुणों को मैं हमेशा मोदी जी में देखता हूं।
आप बीफ, असहिष्णुता और किसी मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट नहीं देने के मामले में बीजेपी को लेकर क्या सोचते हैं?
देखिए, मैं बीजेपी में हूं इसका मतलब यह नहीं है कि मेरी राय पार्टी से अलग नहीं होगी। बीफ बैन को लेकर मैं सहमत नहीं हूं। मेरा मानना है कि लोगों के बीच फरमान नहीं जारी करना चाहिए। असहिष्णुता के मामले में ज्यादातर चीजों की मीडिया और विपक्ष ने गलत व्याख्या की। ऐसा बीजेपी को बदनाम करने और राजनीतिक फायदा उठाने के लिए जानबूझकर किया गया। मैं जानता हूं कि बीजेपी में सांप्रदायिक नेता हैं लेकिन ममता बनर्जी तो और ज्यादा सांप्रदायिक हैं। इस देश में कांग्रेस सबसे ज्यादा सांप्रदायिक पार्टी है और वह बीजेपी को सांप्रदायिकता का तमगा पहनाने में कामयाब भी रही है। मेरा मानना है कि चुनाव में उम्मीदवारों का चयन काम के आधार पर होना चाहिए न कि धर्म के आधार पर।
आपको ऐसा नहीं लगता है कि बीजेपी ने ममता बनर्जी के खिलाफ आपको खड़ा कर बलि का बकरा बनाया है।
किसी जन नेता के खिलाफ चुनावी चुनौती को स्वीकार करना हमेशा से अच्छा रहा है। मैं यहां इसलिए हूं कि नेताजी की विचारधारा को लोगों तक प्रभावी तरीके से पहुंचाऊं। कांग्रेस ने बड़ी सफलता पूर्वक नेताजी की विचारधारा को अपनी राजनीति से खत्म कर दिया है।