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चीन से नजदीकियां बढ़ा रहा नेपाल, भारत में एक साल से नियुक्त नहीं किया राजदूत

भारत और नेपाल अबतक अच्छे पड़ोसी होने के साथ-साथ अच्छे पार्टनर भी रहे, लेकिन पिछले कुछ वक्त में यह सब बदल गया है। 8 महीने पहले बनी के पी ओली सरकार जिन्हें चीनी का करीबी माना जाता है, वह भारत से दूरी बनाने की हर कोशिश करते दिख रहे हैं।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 17 Oct 2018, 8:37 am
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम केपी ओली

भारत और नेपाल अबतक अच्छे पड़ोसी होने के साथ-साथ अच्छे पार्टनर भी रहे, लेकिन पिछले कुछ वक्त में यह सब बदल गया है। 8 महीने पहले बनी के पी ओली सरकार जिन्हें चीनी का करीबी माना जाता है, वह भारत से दूरी बनाने की हर कोशिश करते दिख रहे हैं। ताजा मामला नेपाल के भारत में नियुक्त होनेवाले राजदूत के पद को लेकर है, जो पिछले एक साल से खाली पड़ा है।

दरअसल, नई दिल्ली में मौजूद नेपाल मिशन में अक्टूबर 2017 से अबतक कोई राजदूत नियुक्त नहीं हुआ है। तब दीप कुमार उपाध्याय का कार्यकाल खत्म हुआ था। फिलहाल सारा काम डेप्युटी चीफ भारत रिजमी द्वारा किया जा रहा है। इस जुलाई नेपाली मीडिया के हवाले से खबर आई थी कि वहां की कैबिनेट ने पूर्व चुनाव आयुक्त एके उप्रेति को चुना है। लेकिन फिर अगस्त में रिपोर्ट आई कि ओली ने उनके नाम का समर्थन नहीं किया।

मामले पर भारत सरकार के सूत्रों ने भी बताया कि उन्हें अबतक नेपाल की तरफ से कोई जानकारी नहीं मिली है। सूत्र ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि नेपाल जल्द ही कोई नाम फाइनल करके खाली पड़ी पोस्ट को भरेगा।'

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चीन की तरफ बढ़ रहा झुकाव
कभी भारत का विश्वासपात्र रहा नेपाल ओली की नई सरकार में चीन की तरफ झुकता दिख रहा है। ओली सरकार ने हाल में बूदी गडकरी हाइड्रोपावर का प्रॉजेक्ट चीन को सौंपा है। 2.5 बिलियन डॉलर का यह प्रॉजेक्ट नेपाल की नजरों से बहुत बड़ा है। इससे पहले शेर बहादुर देउबा की सरकार ने इस प्रॉजेक्ट को चीन की कंपनी को न देकर अपने साधनों से पूरा करने का फैसला लिया था।

इतना ही नहीं नेपाल ने चीन की महात्वाकांक्षी योजना बीआरआई प्रॉजेक्ट में भी समर्थन किया है। इससे पहले सितंबर में नेपाल ने भारत के साथ बिम्सटेक अभ्यास करने से इनकार किया था। उस वक्त नेपाल ने चीन के साथ सैन्य अभ्यास किया था।

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