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उपराष्ट्रपति के तौर पर नायडू के सामने होगी 'संतुलन' की चुनौती

वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्यसभा के अंदर संतुलन बनाने की होगी। उपराष्ट्रपति के हाथ ही राज्यसभा के संचालन की जिम्मेदारी होती है। ऐसे समय में, जब राज्यसभा में एनडीए के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है, नायडू के सामने दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाने की जिम्मेदारी होगी। वह सक्रिय राजनीति और मोदी सरकार में शहरी विकास और संसदीय कार्यमंत्री जैसी भूमिका से सीधे उपराष्ट्रपति बन रहे हैं, ऐसे में विपक्ष उन्हें तटस्थता की कसौटी पर भी परखने की कोशिश करेगा।

नरेंद्र नाथ | नवभारत टाइम्स 5 Aug 2017, 10:19 pm
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम प्रधानमंत्री ने नायडू को दीं शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री ने नायडू को दीं शुभकामनाएं

वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्यसभा के अंदर संतुलन बनाने की होगी। उपराष्ट्रपति के हाथ ही राज्यसभा के संचालन की जिम्मेदारी होती है। ऐसे समय में, जब राज्यसभा में एनडीए के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है, नायडू के सामने दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाने की जिम्मेदारी होगी। वह सक्रिय राजनीति और मोदी सरकार में शहरी विकास और संसदीय कार्यमंत्री जैसी भूमिका से सीधे उपराष्ट्रपति बन रहे हैं, ऐसे में विपक्ष उन्हें तटस्थता की कसौटी पर भी परखने की कोशिश करेगा।

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वेंकैया नायडू के सामने इस साल संसद के शीतकालीन सत्र से राज्यसभा संचालन की जिम्मेदारी रहेगी। अगले सत्र में ओबीसी कमिशन से जुड़ा बिल हो या बाकी अहम मामले, उसपर नायडू की भूमिका अहम रहेगी। मोदी सरकार को अब तक 3 वर्षों में राज्यसभा में कई मौकों पर किरकिरी का सामना करना पड़ा है। 2 बार तो राष्ट्रपति के अभिभाषण में संशोधन प्रस्ताव तक को मंजूर करवाया गया। हालांकि, अब धीरे-धीरे हालात बीजेपी के पक्ष में होने लगे हैं और पहली बार राज्यसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी है। सरकार अपने टर्म के अंतिम डेढ़ साल में ज्यादा से ज्यादा बिल पास कराने की भी कोशिश करेगी। ऐसे में नायडू की भूमिका अहम होने के साथ ही चुनौतीपूर्ण भी होने वाली है।

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हामिद अंसारी कई बार विवादों में फंसे
निवर्तमान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का दोनों टर्म काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। इस दौरान वह विपक्षी दलों के निशाने पर भी आए और कुछ मौकों पर विवाद भी हुआ। औपचारिक रूप से उनका टर्म 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद वेंकैया नायडू पदभार ग्रहण कर लेंगे। वह वर्ष 2007 में बीजेपी की नजमा हेपतुल्लाह को और वर्ष 2012 में जसवंत सिंह को हराकर लगातार 2 बार उपराष्ट्रपति बने थे। हामिद अंसारी उस वक्त विवादों में फंसे, जब 30 दिसंबर 2011 को रात के 12 बजे उन्होंने अचानक सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया था। उस समय लोकपाल बिल पर बहस चल रही थी। आरोप लगा कि उन्होंने UPA सरकार के इशारे पर ऐसा किया। विपक्ष समेत कई जानकारों ने इसपर हैरानी जताई थी। अंसारी फिर विवादों में तब फंसे जब पहले योग दिवस के दिन वह मुख्य कार्यक्रम में नहीं दिखे। सत्तारूढ़ बीजेपी ने उनपर सीधा हमला किया, लेकिन बाद में उपराष्ट्रपति की ओर से कहा गया कि उन्हें बुलाया ही नहीं गया था। इसके अलावा अपने सख्त अंदाज और टिप्पणी के लिए भी वह राज्यसभा में कुछ मौकों पर विवादों में फंसे।

3 लोकसभा सीटों पर होगा उपचुनाव
अब चूंकि राष्ट्रपति के साथ-साथ उपराष्ट्रपति चुनाव भी समाप्त हो चुका है तो वैसे लोकसभा सांसद अपने पदों से इस्तीफा दे सकते हैं जो किसी राज्य के मुख्यमंत्री या राज्य मंत्रिमंडल में शामिल हो चुके हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। जल्द ही गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर और यूपी के डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी संसद सदस्यता से इस्तीफा दे सकते हैं। ये सभी नेता मार्च में ही राज्यों में अहम भूमिका संभाल चुके थे लेकिन राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव की वजह से उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया था।
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नरेंद्र नाथ
नरेन्द्र नाथ नवभारत टाइम्स में असिस्टेंट एडिटर हैं। वह राजनीति से जुड़ी खबरों को नजदीक से फॉलो करते हैं इस बारे में आपको हर घटनाक्रम से वाकिफ कराते रहेंगे। पीएमओ को भी कवर करते हैं और इससे भी जड़ी हर खबर पहुंचाने की कोशिश रहेगी। ... और पढ़ें

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