नयी दिल्ली, 11 दिसंबर :भाषा: राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने केंद्र को उत्तरप्रदेश में एथेनॉल का निर्माण, संग्रहण और परिवहन करने वाली उन शोधन इकाइयों और चीनी मिलों पर अपना रूख स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं, जो इन कामों को पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन :पीईएसओ: की अनुमति लिए बिना अंजाम दे रहे हैं। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण और पेट्रोलियम मंत्रालयों, पीईएसओ और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिए हैं कि वे एनजीटी को इस बात से अवगत कराएं कि वे बिना लाइसेंस के चल रही औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कौन सा कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं। पीठ ने कहा, हम पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय, पीईएसओ और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील को निर्देश देते हैं कि वे इस संदर्भ में स्पष्ट निर्देश लें कि वे इस मुद्दे पर और बिना लाइसेंस के एथेनॉल बनाने वाले उद्योगों के संदर्भ में क्या कार्रवाई करने का प्रस्ताव पेश कर रहे हैं? मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी। यह आदेश सेफ :एसएएफई: नामक एनजीओ की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान आया है। इस याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि अधिकारी हानिकारक रसायनों के निर्माण, संग्रहण और आयात नियम 1989 का उल्लंघन करने वाली और बिना लाइसेंस के चल रही इन इकाइयों के अवैध संचालन को अनुमति दे रहे हैं। इस तरह लोगों की जिंदगियां खतरे में डाली जा रही हैं। एनजीओ ने उत्तरप्रदेश सरकार के हलफनामे का हवाला दिया और दावा किया कि 35 में से सिर्फ दो शोधन इकाइयों के पास ही जरूरी लाइसेंस है जबकि अन्य इकाइयां एथेनॉल का निर्माण अवैध तरीके से कर रही हैं।
एनजीटी ने केंद्र से अवैध शोधन इकाइयों पर रूख साफ करने के लिए कहा
नयी दिल्ली, 11 दिसंबर :भाषा: राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने केंद्र को उत्तरप्रदेश में एथेनॉल का निर्माण, संग्रहण और परिवहन करने वाली उन शोधन इकाइयों और चीनी मिलों पर अपना रूख स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं, जो इन कामों को पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन :पीईएसओ: की अनुमति लिए बिना अंजाम दे रहे हैं।
नवभारतटाइम्स.कॉम 11 Dec 2016, 10:09 am