नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वी लद्दाख के कुछ क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच मंगलवार को उच्चस्तरीय मीटिंग का सिलसिला चलता रहा। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल विपिन रावत और तीनों सेना प्रमुखों के साथ बातचीत की। इस मीटिंग में बाह्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की सैन्य तैयारियों पर चर्चा की गई। सरकारी सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। इस मीटिंग से पहले इन सभी शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ चार घंटे से ज्यादा देर तक मीटिंग की। उस मीटिंग में एनएसए डोभाल नहीं थे। उधर, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपनी सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा। प्रधानमंत्री को लद्दाख की स्थिति से कराया अवगत
बताया जा रहा है कि सीडीएस और सेना के तीनों सेना के प्रमुखों ने प्रधानमंत्री मोदी को पूर्वी लद्दाख में बदलते हालात से अवगत कराया। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि महत्वाकांक्षी सैन्य सुधारों और भारत की युद्ध क्षमता को बढ़ाने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के साथ यह मीटिंग पहले से ही तय थी। हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि पेंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में भारत और चीन के सैनिक पिछले 20 दिनों से एक-दूसरे की आखों में आखों डाले खड़े हैं।
लद्दाख के नजदीक चीन ने तैनात किए फाइटर जेट
डोभाल की लद्दाख से लेकर सिक्किम तक नजर
सैन्य तंत्र के लोगों ने बताया कि प्रधानमंत्री को लद्दाख के हालात की जानकारी दी गई। हालांकि, इस मीटिंग के बारे में कोई आधिकारीक बयान जारी नहीं किया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जरूर कहा कि एनएसए डोभाल लद्दाख के साथ-साथ उत्तरी सिक्किम और उत्तराखंड में एलएसी पर बदलती परिस्थितियों पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। एक अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'भारत पर सैन्य दलबल से भारत पर दबाव बनाने की रणनीति कामयाब नहीं हो पाएगी। हम एलएसी पर यथास्थिति बहाल करना चाहते हैं।'
इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स की दी जानकारी
मीटिंग में चारों जनरलों ने पीएम को बताया कि एलएसी के साथ-साथ आधारभूत ढांचा निर्माण के कौन-कौन से कार्य चल रहे हैं और उनकी ताजा परिस्थिति क्या है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत चीन के साथ लगी करीब 3,500 किमी लंबी अपनी सीमा पर सामरिक क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा के विकास परियोजनाओं को नहीं रोकेगा। हालांकि, चीन पूर्वी लद्दाख जैसे क्षेत्रों में बवाल खड़ा कर इन निर्माण कार्यों में बाधा डालने की पूरी साजिश रच रहा है।
भारत से तनाव के बीच चीन के राष्ट्रपति बोले, युद्ध को तैयार रहे फौज
राजनाथ ने पहले ही दे दी हरी झंडी
पता चला कि रक्षा मंत्री ने मीटिंग में सीडीएस और तीनों सैन्य प्रमुखों को साफ-साफ कह दिया कि लद्दाख, सिक्किम, उत्तारखंड या अरुणाचल प्रदेश, कहीं भी एलएसी के किनारे-किनारे हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा की जरूरत नहीं है और निर्माण कार्य जारी रहना चाहिए। बीते 20 दिनों से जारी तनाव के बीच भारतीय सेना ने लद्दाख के साथ-साथ नॉर्थ सिक्किम, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में भी सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है ताकि चीन को साफ-साफ संदेश मिल जाए कि भारत उसकी आक्रामक सैन्य नीतियों के दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है। चीन को खासकर पेंगोंग त्सो क्षेत्र के साथ ही गलवान में दाबरुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड पर आपत्ती है।
LAC पर तनाव के बीच कल से कमांडर्स कॉन्फ्रेंस
हो चुकी हाई लेवल कमांडरों की दो मीटिंग
उधर, भारत और चीन के लोकल कमांडरों के बीच पांच दौर की वार्ता फेल होने के बाद दोनों देशों के उच्चस्तरीय सैन्य कमांडर भी दो बार मिल चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि 22 और 23 मई को हाई लेवल कमांडरों की मीटिंग हुई। 5 मई को पूर्वी लद्दाख और 9 मई को नॉर्थ सिक्किम में हिंसक झड़पों के बाद से चीन ने पेंगोंग त्सो लेक, गलवान घाटी, डेमचोक और दौतल बेग ओल्डी में अपने सैनिकों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि कर दी। जवाब में भारतीय सेना भी सैनिकों की तादाद बढ़ाकर सीमा की आक्रामक निगरानी कर रही है।
शी ने कहा- युद्ध के लिए तैयार रहे सेना
बहरहाल, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मंगलवार को सेंट्रल मिलिट्री कमीशन की बैठक में कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों के प्रशिक्षण को व्यापक रूप से बढ़ाया जाए और सेना को युद्ध के लिए तैयार किया जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वी लद्दाख के कुछ क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच मंगलवार को उच्चस्तरीय मीटिंग का सिलसिला चलता रहा। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल विपिन रावत और तीनों सेना प्रमुखों के साथ बातचीत की। इस मीटिंग में बाह्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की सैन्य तैयारियों पर चर्चा की गई। सरकारी सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। इस मीटिंग से पहले इन सभी शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ चार घंटे से ज्यादा देर तक मीटिंग की। उस मीटिंग में एनएसए डोभाल नहीं थे। उधर, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपनी सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा।
बताया जा रहा है कि सीडीएस और सेना के तीनों सेना के प्रमुखों ने प्रधानमंत्री मोदी को पूर्वी लद्दाख में बदलते हालात से अवगत कराया। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि महत्वाकांक्षी सैन्य सुधारों और भारत की युद्ध क्षमता को बढ़ाने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के साथ यह मीटिंग पहले से ही तय थी। हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि पेंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में भारत और चीन के सैनिक पिछले 20 दिनों से एक-दूसरे की आखों में आखों डाले खड़े हैं।
लद्दाख के नजदीक चीन ने तैनात किए फाइटर जेट
डोभाल की लद्दाख से लेकर सिक्किम तक नजर
सैन्य तंत्र के लोगों ने बताया कि प्रधानमंत्री को लद्दाख के हालात की जानकारी दी गई। हालांकि, इस मीटिंग के बारे में कोई आधिकारीक बयान जारी नहीं किया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जरूर कहा कि एनएसए डोभाल लद्दाख के साथ-साथ उत्तरी सिक्किम और उत्तराखंड में एलएसी पर बदलती परिस्थितियों पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। एक अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'भारत पर सैन्य दलबल से भारत पर दबाव बनाने की रणनीति कामयाब नहीं हो पाएगी। हम एलएसी पर यथास्थिति बहाल करना चाहते हैं।'
इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स की दी जानकारी
मीटिंग में चारों जनरलों ने पीएम को बताया कि एलएसी के साथ-साथ आधारभूत ढांचा निर्माण के कौन-कौन से कार्य चल रहे हैं और उनकी ताजा परिस्थिति क्या है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत चीन के साथ लगी करीब 3,500 किमी लंबी अपनी सीमा पर सामरिक क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा के विकास परियोजनाओं को नहीं रोकेगा। हालांकि, चीन पूर्वी लद्दाख जैसे क्षेत्रों में बवाल खड़ा कर इन निर्माण कार्यों में बाधा डालने की पूरी साजिश रच रहा है।
भारत से तनाव के बीच चीन के राष्ट्रपति बोले, युद्ध को तैयार रहे फौज
राजनाथ ने पहले ही दे दी हरी झंडी
पता चला कि रक्षा मंत्री ने मीटिंग में सीडीएस और तीनों सैन्य प्रमुखों को साफ-साफ कह दिया कि लद्दाख, सिक्किम, उत्तारखंड या अरुणाचल प्रदेश, कहीं भी एलएसी के किनारे-किनारे हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा की जरूरत नहीं है और निर्माण कार्य जारी रहना चाहिए। बीते 20 दिनों से जारी तनाव के बीच भारतीय सेना ने लद्दाख के साथ-साथ नॉर्थ सिक्किम, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में भी सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है ताकि चीन को साफ-साफ संदेश मिल जाए कि भारत उसकी आक्रामक सैन्य नीतियों के दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है। चीन को खासकर पेंगोंग त्सो क्षेत्र के साथ ही गलवान में दाबरुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड पर आपत्ती है।
LAC पर तनाव के बीच कल से कमांडर्स कॉन्फ्रेंस
हो चुकी हाई लेवल कमांडरों की दो मीटिंग
उधर, भारत और चीन के लोकल कमांडरों के बीच पांच दौर की वार्ता फेल होने के बाद दोनों देशों के उच्चस्तरीय सैन्य कमांडर भी दो बार मिल चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि 22 और 23 मई को हाई लेवल कमांडरों की मीटिंग हुई। 5 मई को पूर्वी लद्दाख और 9 मई को नॉर्थ सिक्किम में हिंसक झड़पों के बाद से चीन ने पेंगोंग त्सो लेक, गलवान घाटी, डेमचोक और दौतल बेग ओल्डी में अपने सैनिकों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि कर दी। जवाब में भारतीय सेना भी सैनिकों की तादाद बढ़ाकर सीमा की आक्रामक निगरानी कर रही है।
शी ने कहा- युद्ध के लिए तैयार रहे सेना
बहरहाल, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मंगलवार को सेंट्रल मिलिट्री कमीशन की बैठक में कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों के प्रशिक्षण को व्यापक रूप से बढ़ाया जाए और सेना को युद्ध के लिए तैयार किया जाए।