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ओला-ऊबर नहीं वसूल सकेंगे ज्यादा किराया, सरकार ने जारी कीं नई गाइलाइंस

New Guidelines: ओला (Ola) और ऊबर (Uber) जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियां अब लोगों से पीक आवर्स के नाम पर ज्यादा किराया नहीं वसूल सकेंगी क्योंकि सरकार ने किराए को लेकर दिशानिर्श जारी कर दिए हैं।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 28 Nov 2020, 9:50 am

हाइलाइट्स

  • एग्रीगेटर कंपनियों के ऊपर मांग बढ़ने पर किराए बढ़ाने की एक सीमा लगा दी गई है
  • बेस फेयर न्यूनतम 3 किलोमीटर के लिए होगा
  • एग्रीगेटर को बेस फेयर से 50% कम चार्ज करने की अनुमति होगी
  • कैंसिलेशन फीस को कुल किराए का 10% किया गया है, जो राइडर और ड्राइवर दोनों के लिए 100 रुपए से अधिक नहीं होगा
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नई दिल्ली
ओला और ऊबर जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियां पीक आवर्स के दौरान किराए में कई गुना बढ़ोतरी कर देती हैं। लेकिन अब सरकार ने इन कंपनियों पर नकेल कस दी है। सरकार ने शुक्रवार को ओला और ऊबर जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियों के ऊपर मांग बढ़ने पर किराए बढ़ाने की एक सीमा लगा दी है। अब ये कंपनियां मूल किराए के डेढ़ गुना से अधिक किराया नहीं वसूल सकेंगी।
सरकार का यह कदम अहम इसलिए माना जा रहा है क्योंकि लोग कैब सेवाएं देने वाली कंपनियों के अधिकतम किराए पर लगाम लगाने की लंबे समय से मांग कर रहे थे। ऐसा पहली बार है जब भारत में ओला और ऊबर जैसे कैब एग्रीगेटर्स को रेग्युलेट करने के लिए सरकार ने दिशानिर्देश जारी किए है।

डेटा की सुरक्षा के लिए बनाया नियम
एग्रीगेटर्स को डेटा लोकलाइजेशन सुनिश्चित करना होगा कि डेटा भारतीय सर्वर में न्यूनतम तीन महीने और अधिकतम चार महीने उस तारीख से संग्रहीत किया जाए, जिस दिन डेटा जेनरेट किया गया था। डेटा को भारत सरकार के कानून के अनुसार सुलभ बनाना होगा लेकिन ग्राहकों के डेटा को यूजर्स की सहमति के बिना शेयर नहीं किया जाएगा। कैब एग्रीगेटर्स को एक 24X7 कंट्रोल रूम स्थापित करना होगा और सभी ड्राइवरों को अनिवार्य रूप से हर समय कंट्रोल रूम से जुड़ा होना होगा।

बेस फेयर से 50% कम चार्ज करने की अनुमति
नियम के मुताबिक, एग्रीगेटर को बेस फेयर से 50% कम चार्ज करने की अनुमति होगी। वहीं, कैंसिलेशन फीस कुल किराए का 10 प्रतिशत होगा, जो राइडर और ड्राइवर दोनों के लिए 100 रुपए से अधिक नहीं होगा। ड्राइवर को अब ड्राइव करने पर 80 प्रतिशत किराया मिलेगा, जबकि कंपनी को 20 प्रतिशत किराया ही मिल सकेगा। केंद्र सरकार ने एग्रीगेटर को रेगुलेट करने के लिए गाइडलाइन्स जारी किया है जिसका राज्य सरकारों को भी पालन करना अनिवार्य होगा।

ग्राहकों की सुरक्षा का रखा गया है ख्याल
मंत्रालय ने बयान में कहा है कि इससे पहले एग्रीगेटर का रेगुलेशन उपलब्ध नहीं था। अब इस नियम को ग्राहकों की सुरक्षा और ड्राइवर के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है जिसे सभी राज्यों में लागू किया जाएगा। बता दें कि मोटर व्हीकल 1988 को मोटर वीइकल ऐक्ट, 2019 से संशोधित किया गया है।

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