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Opinion: हिंसा...तिरंगे का अपमान... पाकिस्तान को मौका... क्या खत्म हो गया किसान आंदोलन

Farmers Protest on Republic Day: दिल्ली में उग्र हुए प्रदर्शकारी किसानों और पुलिस के बीच कई जगह भिड़ंत हुई। ITO में पुलिस ने किसानों पर लाठी भांजी तो किसान भी काफी आक्रामक दिखे। इसके अलावा लाल किले की प्राचीर पर तिरंगे के समानांतर खालसा पंथ का झंडा लहरा दिया गया। इन सबके बीच पाकिस्तान ने खूब मजे लिए।

Authored byविश्व गौरव | नवभारतटाइम्स.कॉम 26 Jan 2021, 8:28 pm
करीब दो महीने पहले जब मोदी सरकार के कृषि कानूनों को लेकर किसानों ने आंदोलन शुरू किया तो एक बड़ा वर्ग किसानों के समर्थन में खड़ा हो गया। सरकार लगातार कहती रही कि तीनों कृषि बिल किसानों के हित में लाए गए हैं। लेकिन किसानों ने साफ तौर पर कहा कि वे सरकारी दावों को नहीं मानते। देश का बड़ा वर्ग कृषि कानूनों से जुड़ी तक शब्दावली को नहीं समझता था, लेकिन फिर भी वो वर्ग सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक किसानों के समर्थन में बात करता दिखा। वजह सिर्फ एक थी, जो लोग कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे, वो किसान थे।

आम लोगों ने ये नहीं सोचा कि किसानों के नाम पर कहीं कोई राजनीतिक दल अपनी रोटियां सेंकने की कोशिश में तो नहीं जुटा है, उन्होंने ये भी नहीं सोचा कि कहीं सच में सरकार सच तो नहीं बोल रही... देश अन्नदाता के नाम पर किसान आंदोलन का समर्थन करने लगा। लेकिन 26 जनवरी 2021 को किसानों के चोले में मौजूद लोगों ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया। दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च के नाम पर जो कुछ भी हुआ, उससे एक बात और साफ हो गई कि दावे कोई कैसे भी करे, लेकिन भीड़ का कोई नेता नहीं होता। किसानों के नाम पर राजनीति करने वाले किसान संगठनों के नेता भी बेहद लाचार दिखे। वो वापस जाने के निर्देश देते रहे, मीडिया के सामने सबकुछ कन्ट्रोल में होने का दावा करते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।

तिरंगे से ऊपर खालसा झंडा


देश की प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
खैर, देश अपने अन्नदाता का सम्मान करता है। सालों तक उनके साथ हुए अन्याय को लेकर सहानुभूति भी रखता है, लेकिन देश ये कतई बर्दाश्त नहीं करेगा कि कोई उस अन्नदाता को सहारा बनाकर देश की प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ करे। 26 जनवरी को जब देश पूरी दुनिया के सामने अपनी ताकत दिखा रहा था, तब किसानों को देश की सरकार ने इंटेलिजेंस इनपुट को अनदेखा करके जवानों के समानांतर मौका दिया। सरकार ने किसान नेताओं के दावों पर भरोसा किया। किसान नेताओं ने वादे किए, लेकिन निभा नहीं पाए।

सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचाया नुकसान


तथाकथित किसानों ने खूब मचाया उत्पात
किसान नेताओं ने हर वादा तोड़ा, किसानों के लिए जो रूट निर्धारित था, वे उसे छोड़कर लाल किले तक पहुंच गए। वहां, तिरंगे से ऊपर खालसा पंथ का झंडा यानी 'निशान साहिब' लहरा दिया। साथ ही तिरंगे के समानांतर कई और संगठनों के झंडे भी लहराते दिखे। जो कहते थे कि जवान तो किसानों के परिवारों से निकलते हैं, उन्हीं तथाकथित किसानों ने पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी की। करीब 20 पुलिसकर्मी घायल हुए। बसें तोड़ी गईं, सरकारी संपत्ति को हानि पहुंचाई गई, पुलिसकर्मियों को पीटा गया, मेट्रो स्टेशन पर चढ़कर इन तथाकथित किसानों ने खूब उत्पात मचाया और इसी के साथ खिलवाड़ किया भारत की मर्यादा से।

पुलिस की गाड़ी को तोड़ा


पाकिस्तान ने मनाया हिंसा का जश्न
तथाकथित किसानों की नापाक हरकतों से दुश्मन खूब हंसा। खूब मजे लिए। टुकड़ों की मोहताजगी मे जीने वाला मुल्क पाकिस्तान दिल्ली में हुई इस हिंसा का जश्न मना रहा है। पाकिस्तान फर्स्ट नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया 'मोदी की हिंदुत्व पॉलिसी की वजह से भारत के पंजाब का हर व्यक्ति अपना अधिकार मांगने लगा है, जो कि आजादी है। यह सही दिशा में अच्छा कदम है।'

देश नहीं दे सकता ऐसे आंदोलनों का साथ
देश अन्नदाताओं के समर्थन में था, आज भी है। लेकिन ऐसे आंदोलन तो विश्व मंच पर देश के यश को कम करने काम करें, उनके साथ कभी खड़ा नहीं हो सकता। वो किसान नेता जो 26 जनवरी की सुबह तक बड़े-बड़े दावे कर रहे थे, उनकी जमीन कितनी रेतीली है, आज ये भी साफ हो गया।
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विश्व गौरव

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