नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले संसद के आखिरी सत्र में जहां सरकार अपने महत्वपूर्ण अजेंडों को आगे बढ़ाने की कोशिशों में लगी है, वहीं विपक्ष ने अपने सख्त तेवरों से उसकी उम्मीदों पर पानी फेरने की तैयारी कर ली है। उल्लेखनीय है कि सरकार तीन तलाक व सिटिजनशिप जैसे महत्वपूर्ण बिलों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
शुक्रवार को हुई राज्यसभा की बिजनेस अडवाइजरी कमिटी में सरकार की तरफ से इस सत्र में चार अध्यादेशों व 18 बिलों को लाने की बात कही गई। सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष ने इस पर सरकार को दो टूक शब्दों में कह दिया कि सरकार आखिरी सत्र में कोई विवादास्पद बिल लाने की कोशिश न करे, वरना सदन का चलना मुश्किल होगा।
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माना जा रहा है कि विपक्ष का इशारा तीन तलाक व सिटिजनशिप संशोधन जैसे विवादास्पद बिलों की ओर है। बताया जाता है कि कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, टीएमसी व टीडीपी जैसे दलों ने मुखर रूप से सरकार के अजेंडे का विरोध किया। विपक्ष की दलील थी कि अगर सरकार जबरदस्ती विवादास्पद बिलों को लाने की कोशिश करेगी तो विपक्ष सदन में विरोध करेगा, सदन चलना मुश्किल होगा।
उल्लेखनीय है कि विपक्ष का रुख देखने के बाद बीएसी में अब इस सत्र में एक अध्यादेश व चार से पांच बिल लाने पर सहमति बनी है। इनमें जहां कंपनी एक्ट संशोधन बिल से जुड़ा अध्यादेश शामिल हैं, वहीं आर्बिट्रेशन संशोधन बिल, नई दिल्ली में आर्बिट्रेशन सेंटर के बनने से जुड़ा बिल, लेप्रसी के आधार पर तलाक न होने से जुड़ा बिल व आधार बिल जैसे बिल शामिल हैं, जिन्हें विपक्ष ने पास कराने का आश्वासन दिया है।
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गौरतलब है कि सिटिजनशिप बिल को लेकर हाल ही में नॉर्थ ईस्ट के लगभग 11 सांसद और नेता विपक्षी नेताओं से मिले और उन सभी ने विपक्ष से अपील की कि वे लोग इस बिल को राज्यसभा में पास नहीं होने देंगे। बताया जाता है कि विपक्ष के नेताओं ने उस प्रतिनिधि मंडल को भरोसा दिलाया कि वे इस बिल को ऐसे ही पास नहीं होने देंगे। ध्यान रहे कि इस बिल के विरोध में पूरे नॉर्थ ईस्ट खासकर असम में बैचेनी है।
उधर विपक्ष के अलावा एनडीए के घटक दलों शिवसेना, जेडीयू व एलजेपी ने भी कहा है कि इस बिल को इसके मौजूदा स्वरूप में पास नहीं होने देंगे। रोचक है कि वेस्ट बंगाल में, खासकर टीएमसी की ओर से इस बिल को लेकर हो रहे विरोध को देखते हुए पिछले दिनों गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने टीएमसी सांसदों से मुलाकात कर इस बिल को पास कराने में सहयोग की अपील की। बताया जाता है कि टीएमसी सांसदों ने सरकार की ओर से आई इस अपील को पूरी तरह से ठुकरा दिया गया।
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले संसद के आखिरी सत्र में जहां सरकार अपने महत्वपूर्ण अजेंडों को आगे बढ़ाने की कोशिशों में लगी है, वहीं विपक्ष ने अपने सख्त तेवरों से उसकी उम्मीदों पर पानी फेरने की तैयारी कर ली है। उल्लेखनीय है कि सरकार तीन तलाक व सिटिजनशिप जैसे महत्वपूर्ण बिलों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
शुक्रवार को हुई राज्यसभा की बिजनेस अडवाइजरी कमिटी में सरकार की तरफ से इस सत्र में चार अध्यादेशों व 18 बिलों को लाने की बात कही गई। सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष ने इस पर सरकार को दो टूक शब्दों में कह दिया कि सरकार आखिरी सत्र में कोई विवादास्पद बिल लाने की कोशिश न करे, वरना सदन का चलना मुश्किल होगा।
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माना जा रहा है कि विपक्ष का इशारा तीन तलाक व सिटिजनशिप संशोधन जैसे विवादास्पद बिलों की ओर है। बताया जाता है कि कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, टीएमसी व टीडीपी जैसे दलों ने मुखर रूप से सरकार के अजेंडे का विरोध किया। विपक्ष की दलील थी कि अगर सरकार जबरदस्ती विवादास्पद बिलों को लाने की कोशिश करेगी तो विपक्ष सदन में विरोध करेगा, सदन चलना मुश्किल होगा।
उल्लेखनीय है कि विपक्ष का रुख देखने के बाद बीएसी में अब इस सत्र में एक अध्यादेश व चार से पांच बिल लाने पर सहमति बनी है। इनमें जहां कंपनी एक्ट संशोधन बिल से जुड़ा अध्यादेश शामिल हैं, वहीं आर्बिट्रेशन संशोधन बिल, नई दिल्ली में आर्बिट्रेशन सेंटर के बनने से जुड़ा बिल, लेप्रसी के आधार पर तलाक न होने से जुड़ा बिल व आधार बिल जैसे बिल शामिल हैं, जिन्हें विपक्ष ने पास कराने का आश्वासन दिया है।
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उधर विपक्ष के अलावा एनडीए के घटक दलों शिवसेना, जेडीयू व एलजेपी ने भी कहा है कि इस बिल को इसके मौजूदा स्वरूप में पास नहीं होने देंगे। रोचक है कि वेस्ट बंगाल में, खासकर टीएमसी की ओर से इस बिल को लेकर हो रहे विरोध को देखते हुए पिछले दिनों गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने टीएमसी सांसदों से मुलाकात कर इस बिल को पास कराने में सहयोग की अपील की। बताया जाता है कि टीएमसी सांसदों ने सरकार की ओर से आई इस अपील को पूरी तरह से ठुकरा दिया गया।