नई दिल्ली
बच्चों के बीच वायरल इन्फेक्शन को हैंडल करने की क्षमता बड़ों से कहीं ज्यादा होती है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने मंगलवार को यह बात कही। ICMR के डीजी बलराम भार्गव के मुताबिक, सबसे पहले प्राइमरी क्लास के स्कूल खोले जाने चाहिए, फिर सेकेंडरी के। भार्गव ने कहा कि कम उम्र के बच्चों के फेफड़ों की कोशिकाओं में ACE2 रिसेप्टर्स की संख्या कम होती है। ACE एक एंजाइम (एक तरह का प्रोटीन) है जिससे कोविड-19 वायरस जुड़ जाता है। बच्चों में ACE2 रिसेप्टर्स की संख्या कम होने का मतलब है कि उनके फेफड़ों को वायरस उतना नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा। ICMR ने इसी को आधार बनाकर सबसे पहले प्राइमरी के स्कूल खोलने का सुझाव दिया है।
ACE2 रिसेप्टर क्या है?
ACE2 छोटे-छोटे प्रोटीन्स बनाता है जो कोशिका के काम को नियंत्रित करते हैं। यह कोशिकाओं की बाहरी सतह पर मिलते हैं। SARS-CoV-2 वायरस ACE2 से जुड़ता है। ठीक उसी तरह जैसे कोई चाभी किसी ताले में घुसती है। इसी के बाद कोशिका में वायरस की एंट्री और इन्फेक्शन की शुरुआत होती है। एक तरह से ACE2 कोविड-19 के लिए कोशिका के दरवाजे की तरह काम करता है।
शरीर में ACE2 कहां होते हैं?
ACE2 कई तरह की कोशिकाओं और टिश्यूज में पाए जाते हैं। यह फेफड़ों, दिल, रक्त धमनियों, किडनी, लिवर और गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट में मिलता है। यह एपिथिलियल कोशिकाओं में भी होता है जो कि नाक, मुंह और फेफड़ों में होती हैं। फेफड़ों के भीतर यह टाइप2 न्यूमोसाइट्स में खूब होता है। न्यूमोसाइट्स वे कोशिकाएं होती हैं जो एलवियोलाई नाम के चैम्बर्स में मिलती हैं। यहीं पर ऑक्सिजन सोख ली जाती है और कॉर्बन डाई ऑक्साइड निकाली जाती है।
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ACE2 का रोल क्या है?
यह शरीर के बायोकेमिकल रास्तों का अहम हिस्सा है। ACE2 ब्लड प्रेशर, घावों को भरने और सूजन को रेगुलेट करने में अहम भूमिका निभाता है। ACE2 एंजियोटेंसिन II (ANG II) नाम के प्रोटीन की कई गतिविधियों को नियंत्रित करता है। ANG II ही ब्लड प्रेशर बढ़ने, सूजन और रक्त धमनियों की लाइनिंग्स को चोट पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होता है। ACE2 का एक काम ANG II को अन्य अणुओं में बदलना भी है जो ANG II के असर को कम करते हैं।
कोविड-19 में, ANG II सूजन बढ़ा सकता है और एलवियोलाई की कोशिकाओं की मौत की वजह बनता है। ACE2 ANG II के इन्हीं दुष्प्रभावों को कम करता है। जब SARS-CoV-2 ACE2 से जुड़ता है तो वह ACE2 को उसका काम करने से रोक देता है। यानी ANG II की मात्रा बढ़ने लगती है जिससे टिश्यूज को नुकसान होता है। कोविड मरीजों में इसी वजह से खासतौर से फेफड़ों और दिल में चोट पहुंचती है।
ACE2 की संख्या से क्या फर्क पड़ता है?सभी इंसानों में ACE2 होता है मगर इनकी संख्या अलग-अलग हो सकती है। हालांकि ACE2 लेवल्स का वायरल संक्रामकता और उसकी गंभीरता से क्या कनेक्शन है, इसपर काफी कुछ स्पष्ट नहीं है। अमेरिका के नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) पोर्टल पर मौजूद एक रिसर्च पेपर के अनुसार, जब ACE2 की मात्रा कम होती है तो कोविड-19 से गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
बच्चों के बीच वायरल इन्फेक्शन को हैंडल करने की क्षमता बड़ों से कहीं ज्यादा होती है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने मंगलवार को यह बात कही। ICMR के डीजी बलराम भार्गव के मुताबिक, सबसे पहले प्राइमरी क्लास के स्कूल खोले जाने चाहिए, फिर सेकेंडरी के। भार्गव ने कहा कि कम उम्र के बच्चों के फेफड़ों की कोशिकाओं में ACE2 रिसेप्टर्स की संख्या कम होती है।
ACE2 रिसेप्टर क्या है?
ACE2 छोटे-छोटे प्रोटीन्स बनाता है जो कोशिका के काम को नियंत्रित करते हैं। यह कोशिकाओं की बाहरी सतह पर मिलते हैं। SARS-CoV-2 वायरस ACE2 से जुड़ता है। ठीक उसी तरह जैसे कोई चाभी किसी ताले में घुसती है। इसी के बाद कोशिका में वायरस की एंट्री और इन्फेक्शन की शुरुआत होती है। एक तरह से ACE2 कोविड-19 के लिए कोशिका के दरवाजे की तरह काम करता है।
शरीर में ACE2 कहां होते हैं?
ACE2 कई तरह की कोशिकाओं और टिश्यूज में पाए जाते हैं। यह फेफड़ों, दिल, रक्त धमनियों, किडनी, लिवर और गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट में मिलता है। यह एपिथिलियल कोशिकाओं में भी होता है जो कि नाक, मुंह और फेफड़ों में होती हैं। फेफड़ों के भीतर यह टाइप2 न्यूमोसाइट्स में खूब होता है। न्यूमोसाइट्स वे कोशिकाएं होती हैं जो एलवियोलाई नाम के चैम्बर्स में मिलती हैं। यहीं पर ऑक्सिजन सोख ली जाती है और कॉर्बन डाई ऑक्साइड निकाली जाती है।
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ACE2 का रोल क्या है?
यह शरीर के बायोकेमिकल रास्तों का अहम हिस्सा है। ACE2 ब्लड प्रेशर, घावों को भरने और सूजन को रेगुलेट करने में अहम भूमिका निभाता है। ACE2 एंजियोटेंसिन II (ANG II) नाम के प्रोटीन की कई गतिविधियों को नियंत्रित करता है। ANG II ही ब्लड प्रेशर बढ़ने, सूजन और रक्त धमनियों की लाइनिंग्स को चोट पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होता है। ACE2 का एक काम ANG II को अन्य अणुओं में बदलना भी है जो ANG II के असर को कम करते हैं।
कोविड-19 में, ANG II सूजन बढ़ा सकता है और एलवियोलाई की कोशिकाओं की मौत की वजह बनता है। ACE2 ANG II के इन्हीं दुष्प्रभावों को कम करता है। जब SARS-CoV-2 ACE2 से जुड़ता है तो वह ACE2 को उसका काम करने से रोक देता है। यानी ANG II की मात्रा बढ़ने लगती है जिससे टिश्यूज को नुकसान होता है। कोविड मरीजों में इसी वजह से खासतौर से फेफड़ों और दिल में चोट पहुंचती है।
ACE2 की संख्या से क्या फर्क पड़ता है?सभी इंसानों में ACE2 होता है मगर इनकी संख्या अलग-अलग हो सकती है। हालांकि ACE2 लेवल्स का वायरल संक्रामकता और उसकी गंभीरता से क्या कनेक्शन है, इसपर काफी कुछ स्पष्ट नहीं है। अमेरिका के नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) पोर्टल पर मौजूद एक रिसर्च पेपर के अनुसार, जब ACE2 की मात्रा कम होती है तो कोविड-19 से गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।