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आर्मी ऑफिसर्स के प्रमोशन सिस्टम में हो सकता है बदलाव

इंडियन आर्मी में ऑफिसर्स के प्रमोशन सिस्टम में बदलाव हो सकता है। आर्मी अपने ऑफिसर्स के एनुअल कॉन्फिडेंशल रिपोर्ट (एसीआर) सिस्टम को नए सिरे से तैयार करने पर विचार कर रही है। एसीआर के आधार पर ही किसी ऑफिसर का प्रमोशन होता है और तय होता है कि किसे कहां पोस्टिंग देनी है।

पूनम पाण्डे | नवभारत टाइम्स 13 Nov 2019, 11:45 pm
नई दिल्ली
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आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत का फाइल फोटो

इंडियन आर्मी में ऑफिसर्स के प्रमोशन सिस्टम में बदलाव हो सकता है। आर्मी अपने ऑफिसर्स के एनुअल कॉन्फिडेंशल रिपोर्ट (एसीआर) सिस्टम को नए सिरे से तैयार करने पर विचार कर रही है। एसीआर के आधार पर ही किसी ऑफिसर का प्रमोशन होता है और तय होता है कि किसे कहां पोस्टिंग देनी है। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने रिटायरिंग ऑफिसर्स सेमिनार में इसका जिक्र किया।

ऑफिसर्स को अलग अलग करना मुश्किल

सूत्रों के मुताबिक आर्मी चीफ ने मौजूदा एसीआर सिस्टम की चुनौतियों का जिक्र किया और कहा कि मौजूदा एसीआर सिस्टम ऐसा है जिसमें ऑफिसर को एसीआर के जरिए अलग-अलग करना मुश्किल है। आर्मी के एक सीनियर अधिकारी ने इन चुनौतियों को समझाते हुए कहा कि बड़े से बड़े प्रमोशन में भी दो ऑफिसर्स के बीच 0.001 नंबर का फासला रहता है।

इसकी वजह यह कि सभी अधिकारी अपने तहत आने वाले अफसरों को अच्छे नंबर दे रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि फौजी अफसर काफी स्ट्रेस में रहते हैं। उन पर काम का बोझ ज्यादा है और उन्हें जितने छुट्टियां लेना स्वीकृत है वह उतनी छुट्टियां ज्यादातर तो ले ही नहीं पाते। उनका नॉर्मल रूटीन भी डिस्टर्ब रहता है। उन्होंने कहा कि एसीआर लिखते वक्त अधिकारी इन सब चीजों को देखते हैं और कई बार यह प्रफेशनल से ज्यादा इमोशनल रेटिंग हो जाती है। इसी वजह से दो ऑफिसर्स के बीच नंबरों का बहुत ही कम फासला रह जाता है।

प्रमोशन- पोस्टिंग पर असर

आर्मी के एक अधिकारी के मुताबिक ऑफिसर्स को एसीआर में 9 में से नंबर दिए जाते हैं। प्रमोशन और पोस्टिंग में इसका असर भी पड़ता है कि उन्होंने क्या कोर्स किए हैं। लेकिन एसीआर इसका एक अहम हिस्सा होता है। आर्मी अधिकारी के मुताबिक नंबरों में बेहद कम अंतर की वजह से ऑफिसर्स में फर्क करना मुश्किल हो जाता है कि कौन ऑफिसर किसी पोस्टिंग के लिए फिट है। आर्मी चीफ ने भी इन्हीं चुनौतियों का जिक्र किया। आर्मी चीफ ने इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप से लेकर रीस्ट्रक्चरिंग (सेना के ढांचे में किए जा रहे बदलाव) की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कहा कि बदलाव वक्त की जरूरत होती है इसलिए बदलाव से डरना नहीं चाहिए और बदलाव को अपनाना चाहिए।
लेखक के बारे में
पूनम पाण्डे
पूनम पाण्डे नवभारत टाइम्स में असिस्टेंट एडिटर हैं। वह बीजेपी, आरएसएस और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले कवर करती हैं।... और पढ़ें

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