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राहुल राज में बदलेगा कांग्रेस अधिवेशन का फोकस

देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी का 48वां अधिवेशन गुरुवार से शुरू हो रहा है। हाल ही में राहुल गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली है। राहुल ने कांग्रेस की पुरानी परंपरा से दूर हटते हुए अधिवेशन का फोकस बदलने की पहल की है।

मंजरी चतुर्वेदी | नवभारत टाइम्स 15 Mar 2018, 8:05 pm
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम rahul
राहुल गांधी (फाइल फोटो)

देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी का 48वां अधिवेशन गुरुवार से शुरू हो रहा है। हाल ही में राहुल गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली है। राहुल ने कांग्रेस की पुरानी परंपरा से दूर हटते हुए अधिवेशन का फोकस बदलने की पहल की है। अनुमान है कि इस अधिवेशन में कांग्रेस के 1500 के आसपास एआईसीसी सदस्य और 12,000 से ज्यादा पीसीसी डेलिगेट्स भी शामिल होंगे। तीन दिन का यह अधिवेशन दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में होगा। पिछला अधिवेशन दिसंबर 2010 में दिल्ली के बुराड़ी में हुआ था।

अधिवेशन की रूप-रेखा
कांग्रेस के तीन दिन के महाधिवेशन के पहले दिन इस आयोजन का ध्यान में रखकर बनाई गई 34 सदस्यी स्टियरिंग कमिटी की मीटिंग होगी। जिसमें कमिटी अधिवेशन में आने वाले विभिन्न प्रस्तावों पर आपसी चर्चा कर उसे आगे बढ़ाएगी। यह मीटिंग कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में होगी। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी व पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के साथ-साथ तमाम बड़ नेता मौजूद रहेंगे। अधिवेशन मुख्य रूप से दूसरे दिन से शुरू होगा। 17 मार्च को सुबह कांग्रेस अपने गुजरे हुए साथियों को श्रद्धांजलि देकर कार्यक्रम का आगाज करेगा।

कार्यक्रम की शुरुआत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के शुरुआती भाषण से होगी। बताया जाता है कि राहुल के अलावा तमाम नेता अपनी बात रखेंगे। वहीं दूसरी ओर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह भी अपनी बात रखेंगे। लेकिन सोनिया का भाषण होगा या नहीं, अभी पार्टी इस पर बोलने के लिए तैयार नहीं है। 17 और 18 को कांग्रेस के भीतर दो दो प्रस्तावों पर गहन मंथन होगा। जबकि इसी दौरान कांग्रेस की वर्किंग कमिटी का भी गठन होगा। हालांकि यहां यह देखना रोचक होगा कि अकसर लोकतंत्र की दुहाई देने वाले राहुल चुनाव प्रक्रिया के तहत अपनी सीडब्ल्यूसी बनाते हैं या पार्टी की परंपरागत दबाव के आगे झुकते हुए चयन की रास्ता अपनाते हैं।

अधिवेशन का बदलेगा फोकस
राहुल गांधी ने अपने कमान में आयोजित होने वाले पहले महाधिवेशन का फोकस बदलने की काेशिश की है। कांग्रेस की परंपरा रही है कि अधिवेशन का फोसक पार्टी अध्यक्ष रहता है। सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने खुद पर और बड़े नेताओं से फोकस हटाकर पार्टी के वर्कर्स पर रखने का निर्देश दिया है, जिस पर काम चल रहा है। कांग्रेस के सीनियर नेता का कहना था कि कांग्रेस अध्यक्ष चाहते थे कि इस बार अधिवेशन का फोकस कांग्रेस के वर्कर्स, नीतियों व विचारधारा पर हो। इसलिए पूरी रूपरेखा उसी हिसाब से तय की गई है। बताया जाता है कि जहां अधिवेशन व प्रस्तावों में वर्कर्स से लेकर ब्लॉक स्तर तक के अधिकारी काे अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा। इतना ही नहीं, उसके सुझाव को बाकायदा प्रस्तावों में शामिल करने की भी बात है।

ब्रांड मोदी के खिलाफ लड़ाई की रणनीतिक तैयारियों पर मंथन
कांग्रेस अधिवेशन में तमाम मुद्दों को लेकर जहां मौजूदा सरकार की कमियों को रेखांकित करेगी, वहीं दूसरी ओर देश के सामने अपना एक विजन डॉक्यूमेंट पेश करेगी। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, अंतरराष्ट्रीय मामलों, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर प्रस्ताव लेकर आएगी। इसमें जहां एक ओर कांग्रेस मौजूदा सरकार की कमियों को रेखांकित करेगी, वहीं दूसरी ओर इन मुद्दों व चुनौतियों को लेकर अपनी तरफ से उसका समाधान व रोडमैप देने की काेशिश करेगी। इसके अलावा, कांग्रेस अलग से किसान समस्या, यूथ व रोजगार, गरीबी उन्मूलन, भ्रष्टाचार, राष्ट्रीय सुरक्षा व मोदी राज में महिला, दलितों आदिवासियों की दयनीय स्थिति को सामने रखेगी। कांग्रेस के एक सीनियर नेता का कहना था कि पार्टी इन तमाम मुद्दों पर छोटी-छोटी हैंडी बुकलेट लेकर आ रही है, जो हिंदी व अंग्रेजी में होगी। बाद में प्रदेश इकाइयां अपनी भाषा में इसका अनुवाद कराएंगी। अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष इसे लॉन्च करेंगे। इसमें इन तमाम मुद्दों पर सरकार की कमियों को सामने लाने के साथ ही यह बताने की कोशिश हाेगी कि इस चुनौती से कैसे निपट जा सकता है। कांग्रेस की योजना है कि इस बुकलेट के जरिए वह अपने वर्कर्स को जमनी मुद्दों के लिए तैयार करे, जिससे वह सड़क पर अाम लोगों के बीच मोदी सरकार की नीतियों का विरोध कर सकें।

मित्र देशों के राजदूतों को भी बुलावा
अधिवेशन में दूसरे देश के राजदूत व उच्चायुक्त भी पहुंच सकते हैं। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के अधिवेशन में एक दीर्घा मित्र देशों के राजदूतों व दूतावास के अधिकारियों के लिए भी बनाई गई है। दिल्ली स्थित तमाम उच्चायोग व दूतावासों को इस अधिवेशन के लिए न्याैता भेजा गया है। पार्टी सूत्र के मुताबिक, हमेशा से कांग्रेस अधिवेशन में मित्र देशों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाता रहा है।

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