खड़से ने पूछा, महाराष्ट्र के किसानों को क्यों नहीं मिला मुआवजा
रक्षा निखिल खड़से ने महाराष्ट्र 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, 'महाराष्ट्र में पिछले दो साल से किसानों को इसका फायदा नहीं हुआ है। जबकि हमने कई बार महाराष्ट्र सरकार को चिट्ठी लिखी। मैं मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि किसानों को कब तक इसका लाभ मिलेगा?'
केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी जवाब देने खड़े हुए। उन्होंने कहा कि राज्य से जो आंकड़ा आया है, उसके अनुसार राज्यांश से पैसे आए नहीं हैं, वे आ जाएंगे तो सरकार जारी कर देगी। अभी नुकसान का आंकलन किया जा रहा है, उसके बाद मुआवजा भारत सरकार देगी। वहां जो भी बकाया है, वह राज्य सरकार का अंश है।
बीमे के डेटा में हो गड़बड़ तो मुआवजा नहीं मिलेगा?
खड़से ने एक सवाल और पूछा। वह जानना चाहती थीं कि 'जब भी बीमा निकाला जाता है तो कंपनी को बैंक की तरफ से डेटा दिया जाता है। कई बार गलती कंपनियां करती हैं और इसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है। मैं जानना चाहती हूं कि अगर ऐसे वक्त में बैंक गलती करते हैं हम क्या कार्रवाई कर सकते हैं?'
चौधरी ने जवाब में कहा कि 'अगर डेट कटऑफ डेट के बाद बैंक प्रीमियम जमा करवाती है तो ऐसी स्थिति में पूरी देनदारी बैंक की होगी। वो क्लेम बैंक को सेटल करना होगा। उसके बावजूद भारत सरकार बीच में कई बार कोशिशें करती हैं। अगर भुगतान में देरी होती है तो बैंक की तरफ से किसान को 12% की दर से ब्याज चुकाना होगा। अगर राज्य सरकार देरी करती है तो उसे भी इतनी ही दर से ब्याज देना होता है। डेटा की कमी से किसान को परेशान होने की जरूरत नहीं है।
फसल बीमा के लिए कोई सरकारी कंपनी बनेगी?
अमरावती से सांसद नवनीत राणा ने भी फसल बीमे से जुड़ा सवाल पूछा। राणा ने कहा, 'मेरे संसदीय क्षेत्र में सोयाबीन, मूंग की खेती में 100% नुकसान हुआ, जिनके पिछले साल का भुगतान अब तक नहीं दिया गया। इसमें क्या सरकार और मंत्री महोदय कोई ऐक्शन लेना चाहेंगे? और फसल बीमा भुगतान तथा इंस्टॉलमेंट के कार्य सरकार 14 अलग-अलग कंपनियों को देती है। सरकार ऐसी कोई सरकारी बीमा कंपनी बनाने पर विचार कर रही है जिससे सरकार के पैसे सीधे सरकारी बीमा कंपनियों में तथा बीमा कंपनी के कमिशन का लाभ किसानों को हो। जब किसान बीमा कंपनियों को पैसे देते हैं तो छोटी-मोटी गलतियों के कारण किसान को बहुत बड़ा नुकसान और कंपनियों को बहुत फायदा होता है। क्या सरकार इस दिशा में विचार कर रही है?
कृषि राज्य मंत्री ने क्या दिया जवाब
चौधरी ने अपने जवाब में कहा कि क्लेम के भुगतान में देरी पर बैंक उसे ब्याज चुकाएगा। उन्होंने कई कारण गिनाए जिनके चलते ऐसी दिक्कतें आती हैं। सरकारी बीमा कंपनी बनाने के सवाल पर चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार अगर चाहे तो बना सकती है, यह भारत सरकार की गाइडलाइंस में भी हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की 'ऑल इंडिया इंश्योरेंस कंपनी' है। हर राज्य में इसका टेंडर होता है। पहले टेंडर 1 साल का होता था, अब 3 साल का हो गया है।