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Republic day 2021: ये हैं वे Unsung Heroes जिनकी बहादुरी को देश कर रहा नमन

देश के 72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर कई शूरमाओं को आज उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया जा रहा है। देश की रक्षा के लिए इन वीरों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए बेहद कठिन परिस्थितियों में दुश्मनों से लोहा लिया। पढ़िए उन शूरवीरों की कहानी जो हैं हमारे Unsung heroes-

नवभारतटाइम्स.कॉम 26 Jan 2021, 11:31 am
गणतंत्र दिवस (Republic Day 2021) के मौके पर उन जांबाजों की कहानी जिनके लिए मातृभूमि ही उनकी मां है और देश उनकी शान है। इनसे बढ़कर उनके लिए कुछ नहीं और जब इसकी सुरक्षा में खतरा देखा तो बिना एक पल गंवाए दुश्मनों का डटकर मुकाबला किया। देश के लिए मर-मिटने का जज्बा ऐसा था कि प्रचंड ठंड हो या बर्फबारी, तमाम कठिन हालातों में भी इनका हौसला कम नहीं हुआ। 26 जनवरी के मौके पर देश के इन शूरवीरों को वीरता पुरस्कार (Gallantry Award Winner) से सम्मानित किया जा रहा है। पढ़िए इनकी बहादुरी के किस्से-
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Republic day 2021: ये हैं वे Unsung Heroes जिनकी बहादुरी को देश कर रहा नमन


घायल होने के बाद भी किया दुश्मनों का सामना

नाम- नुदूराम सोरेन, बिहार रेजिमेंट के नायब सूबेदार

वीरता पुरस्कार-वीर चक्र (मरणोपरांत)

बिहार रेजिमेंट के नायब सूबेदार नुदूराम सोरेन पिछले साल गलवान घाटी झड़प में चीनी सैनिकों को मुकाबला करते हुए शहीद हुए थे। उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया। उन्होंने पिछले साल 15-16 जून की रात अपने दस्ते का नेतृत्व का करते हुए दुश्मन के प्रयास का विरोध किया। चीनी सैनिकों से झड़प के दौरान दुश्मनों ने भी उन्हें जाबांज सरदार के रूप में देखा। वह गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी सच्चे सरदार की लड़ते रहते। उनपर धारदार हथियारों से हमला हुआ था। नुदूराम सोरेन ओडिशा के बडाचंपौदा जिले के मयूरभंज के रहने वाले थे।

पांच घंटे तक बर्फीले रास्ते पर आतंकियों का किया पीछा

नाम- सूबेदार संजीव कुमार, पैराशूट रेजिमेंट

वीरता पुरस्कार-कीर्ति चक्र (मरणोपरांत)

जम्मू-कश्मीर के केरन सेक्टर में पिछले साल अप्रैल में आतंकवाद रोधी अभियान के दौरान जान गंवाने वाले सूबेदार संजीव कुमार को देश के दूसरे सर्वोच्च शांतिकाल पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। सेना की पैराशूट रेजिमेंट की चौथी बटालियन के सदस्य संजीव कुमार केरन में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों के समूह को तलाश करने के लिए हेलीकॉप्टर से उतारी गई विशेष बल की टुकड़ी के एक दल का नेतृत्व कर रहे थे। हेलीकॉप्टर से उतारे जाने के बाद सूबेदार संजीव कुमार और उनकी टीम ने घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों का पीछा किया। पांच घंटे तक बर्फीले रास्ते से गुजरने के बाद उनका दल आतंकवादियों के ठिकाने तक पहुंच गया। इस दौरान जबरदस्त गोलीबारी में सूबेदार संजीव कुमार घायल हो गए और बाद में उनकी जान चली गई।

हंदवाड़ा में आतंकियों से लोहा लेते हुए मिली शहादत

नाम- श्याम नारायण यादव, हेड कॉन्स्टेबल, सीआरपीएफ

वीरता पुरस्कार- कीर्ति चक्र (मरणोपरांत)

मार्च 2019 में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ में गाजीपुर के जवान श्याम नारायण यादव शहीद हो गए थे। श्याम नारायण यादव को उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। वह सीआरपीएफ के हेड कॉन्स्टेबल थे। जिस वक्त देश विंग कमांडर अभिनंदन की वतन वापसी पर जश्न मना रहा था, ठीक उसी वक्त श्याम नारायण हंदवाड़ा में आतंकियों से लोहा ले रहे थे। इसी दौरान वह घायल हो गए और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। वह लखनऊ में कैंट इलाके के मशहूर गुरुजी अखाड़ा में पहलवानी किया करते थे। पहलवानी के अभ्यास के दौरान ही 1991 में वह सीआरपीएफ में भर्ती हो गए थे।

23 साल की उम्र में देश के लिए हो गए शहीद

नाम- गुरतेज सिंह, पंजाब रेजिमेंट

वीरता पुरस्कार- वीर चक्र (मरणोपरांत)

पंजाब रेजिमेंट के गुरतेज सिंह मात्र 23 साल की उम्र में गलवान घाटी संघर्ष में शहादत को प्राप्त हुए थे। उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया। वह पंजाब रेजिमेंट की तीसरी बटालियन के सदस्य थे और ऑपरेशन स्नो लेपर्ड के दौरान ऑपरेशनल सैन्य दल के स्काउट के रूप में तैनात थे। उन्होंने दुश्मन की बढ़ती हुई तादाद का सही आंकलन किया जो कि भारतीय सैन्य टुकड़ी के स्थापित किए जा रहे ऑब्जर्वेशन पोस्ट का विरोध कर रहे थे। जब चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों को पीछे धकेलने लगे तो गुरतेज अपनी कृपाण लेकर 'जो बोल सो निहाल...'चिल्लाते हुए दुश्मनों की ओर बढ़े और डटकर मुकाबला किया। उन्होंने घायल होते हुए कई चीनी सैनिकों को ढेर कर दिया था।

साथी जवान शहीद हो गए, सोनम अकेले लड़ते रहे

नाम- पैराट्रूपर सोनम शेरिंग तमांग, पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल)

वीरता पुरस्कार- शौर्य चक्र

पैराट्रूपर सोनम शेरिंग तमांग को शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाएगा। वह 4 अप्रैल 2020 को विशेष बल की उस टुकड़ी का हिस्सा थे जिसे केरन सेक्टर में हेलिकॉप्टर से पाकिस्तानी आतंकियों की घुसपैठ को रोकने और उन्हें मार गिराने के लिए उतारा गया था। कमांडर समेत उनके दल कई जवान गोलाबारी में घायल हो गए। पैराट्रूपर सोनम शेरिंग तमांग ने हालात का मानसिक जायजा लिया और अपने कमांडर को बचाने के लिए कुशलतापूर्वक आगे बढ़े।

उन्होंने अपने कमांडर को आतंकियों के भारी गोलाबारी वाले स्थान से बाहर निकाल लिया। अपने दल के दूसरे घायल साथी को खतरे में पाया तो रेंगते हुए उनकी ओर बढे़ और अपनी राइफल से एक आतंकी को मार गिराया। उन्होंने भारते हुए आतंकी के ऊपर ग्रेनेड फेंका और उसे भी घायल कर दिया। जब उनका पूरा दल आतंकियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हो चुका था उस परिस्थिति में भी वह अकेले लड़ते रहे।

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