इंफाल
शौर्य चक्र विजेता और सेवानिवृत्त कर्नल ने ट्विटर पर एक भावुक पोस्ट शेयर की। लगभग 27 साल बाद कर्नल ने ट्विटर पर उस लड़के की तस्वीर शेयर की, जिसकी उन्होंने जान बचाई थी। उस लड़के की शादी पर उन्होंने यह पोस्ट शेयर की है और सभी से नवविवाहित जोडे़ को आशीर्वाद देने की बात कही है। मुठभेड़ में दो भाई-बहनों की जान बचाई थी
1994 में घायल भारतीय सेना के कप्तान डीपीके पिल्लई ने मणिपुर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में दो भाई-बहनों की जान बचाई थी। उनमें एक 7 वर्ष का लड़का और 13 वर्ष की लड़की थी। लड़के का नाम दिन्गामांग पमेई है। 21 जनवरी को उसकी शादी हो गई। मणिपुर विश्वविद्यालय से शिक्षा पूरी करने के बाद पमेई इम्फाल में निजी बैंक में काम करते हैं। पमेई की बहन मसलियु थईमी मणिपुर में रहती हैं।
बता दें कि 1994 में पिल्लई को एनएससीएन (आईएम) विद्रोहियों के एक समूह का शिकार करने का काम सौंपा गया था। यह विद्रोही मणिपुर में भारतीय सेना के सैनिकों की आवाजाही में बाधा डालने के लिए एक पुल और एक संचार टॉवर को उड़ाने की योजना बना रहे थे।
बच्चों को पहले भेजने का निर्णय किया
मुठभेड़ के दौरान कर्नल पिल्लई घायल हो गए थे और उनको ले जाने के लिए सेना का एक हेलीकॉप्टर तैयार था, तभी कर्नल पिल्लई ने देखा कि एक छोटा लड़का और एक लड़की घायल है। घायल कर्नल ने पहले उन दो बच्चो को भेजने का निर्णय किया। पिल्लई को 2 घंटे बाद बचाया गया। लेकिन वह आज भी उस पूरी घटना को मृत्यु के अनुभव के रूप में देखते हैं।
नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दीजिए
कर्नल ने कहा कि सेना में हम मानते हैं कि देश और वहां रहने वाले नागरिकों की सुरक्षा व कल्याण सबसे पहले हैं। लेकिन उस पल, मुझे अहसास हुआ कि उन बच्चों का जीवन मेरे लिए अधिक महत्वपूर्ण था। उन्होंने ट्विटर पोस्ट में आगे लिखा कि नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दीजिए।
शौर्य चक्र विजेता और सेवानिवृत्त कर्नल ने ट्विटर पर एक भावुक पोस्ट शेयर की। लगभग 27 साल बाद कर्नल ने ट्विटर पर उस लड़के की तस्वीर शेयर की, जिसकी उन्होंने जान बचाई थी। उस लड़के की शादी पर उन्होंने यह पोस्ट शेयर की है और सभी से नवविवाहित जोडे़ को आशीर्वाद देने की बात कही है।
1994 में घायल भारतीय सेना के कप्तान डीपीके पिल्लई ने मणिपुर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में दो भाई-बहनों की जान बचाई थी। उनमें एक 7 वर्ष का लड़का और 13 वर्ष की लड़की थी। लड़के का नाम दिन्गामांग पमेई है। 21 जनवरी को उसकी शादी हो गई। मणिपुर विश्वविद्यालय से शिक्षा पूरी करने के बाद पमेई इम्फाल में निजी बैंक में काम करते हैं। पमेई की बहन मसलियु थईमी मणिपुर में रहती हैं।
बता दें कि 1994 में पिल्लई को एनएससीएन (आईएम) विद्रोहियों के एक समूह का शिकार करने का काम सौंपा गया था। यह विद्रोही मणिपुर में भारतीय सेना के सैनिकों की आवाजाही में बाधा डालने के लिए एक पुल और एक संचार टॉवर को उड़ाने की योजना बना रहे थे।
बच्चों को पहले भेजने का निर्णय किया
मुठभेड़ के दौरान कर्नल पिल्लई घायल हो गए थे और उनको ले जाने के लिए सेना का एक हेलीकॉप्टर तैयार था, तभी कर्नल पिल्लई ने देखा कि एक छोटा लड़का और एक लड़की घायल है। घायल कर्नल ने पहले उन दो बच्चो को भेजने का निर्णय किया। पिल्लई को 2 घंटे बाद बचाया गया। लेकिन वह आज भी उस पूरी घटना को मृत्यु के अनुभव के रूप में देखते हैं।
नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दीजिए
कर्नल ने कहा कि सेना में हम मानते हैं कि देश और वहां रहने वाले नागरिकों की सुरक्षा व कल्याण सबसे पहले हैं। लेकिन उस पल, मुझे अहसास हुआ कि उन बच्चों का जीवन मेरे लिए अधिक महत्वपूर्ण था। उन्होंने ट्विटर पोस्ट में आगे लिखा कि नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दीजिए।