नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना को कारण भारत को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई चीन से कराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि उसके पास चीन सरकार को तलब करने का अधिकार नहीं है। साथ ही कोर्ट ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अधिकारियों का दायित्व सुनिश्चित करने की मांग भी ठुकरा दी। याचिका में वैश्विक संस्था के अधिकारियों पर दुनिया में कोविड-19 महामारी को रोकने में असफल रहने का आरोप लगाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- चीन सरकार को बुला नहीं सकते
जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली पीठ ने चीन से मुआवजा वसूलने की मांग वाली याचिका को सुनवाई को अयोग्य बताया। पीठ में शामिल जस्टिस हृषिकेश राय ने कहा, 'चीन की सरकार को कोर्ट में तलब करने का अधिकार हमारे पास नहीं है।' उन्होंने याचिकाकर्ता रमन काकर से कहा, 'डब्ल्यूएचओ और चीन को क्या करना चाहिए, यह यह अदालत कैसे कह सकती है?' सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'याचिका सुनवाई के अयोग्य है।'
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता डॉक्टर हैं, इसलिए उनका मेडिकल फील्ड में उनका अनुभव है, लेकिन वो वकील नहीं हैं जो याचिका के जरिए की गई उनकी मांग से झलकती है। याचिका में कहा गया था कि डब्ल्यूएचओ अधिकारियों को दंडित किया जाए क्योंकि जो 'रोके जाने योग्य नरसंहार' के लिए कथित तौर पर दोषी पाए गए।
याचिका में WHO पर भी गंभीर आरोप
याचिका में दावा किया गया कि WHO ने कोविड-19 को 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित करने में एक महीने की देरी कर दी। याचिकाकर्ता ने कहा, 'महामारी ने निगरानी से छूट प्राप्त संगठन में टॉप से बॉटम तक गहरी जमी सड़ांध को ऊपर ला दिया। डब्ल्यूएचओ ने मानव जाति को धोखा दिया है।'
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना को कारण भारत को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई चीन से कराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि उसके पास चीन सरकार को तलब करने का अधिकार नहीं है। साथ ही कोर्ट ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अधिकारियों का दायित्व सुनिश्चित करने की मांग भी ठुकरा दी। याचिका में वैश्विक संस्था के अधिकारियों पर दुनिया में कोविड-19 महामारी को रोकने में असफल रहने का आरोप लगाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- चीन सरकार को बुला नहीं सकते
जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली पीठ ने चीन से मुआवजा वसूलने की मांग वाली याचिका को सुनवाई को अयोग्य बताया। पीठ में शामिल जस्टिस हृषिकेश राय ने कहा, 'चीन की सरकार को कोर्ट में तलब करने का अधिकार हमारे पास नहीं है।' उन्होंने याचिकाकर्ता रमन काकर से कहा, 'डब्ल्यूएचओ और चीन को क्या करना चाहिए, यह यह अदालत कैसे कह सकती है?' सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'याचिका सुनवाई के अयोग्य है।'
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता डॉक्टर हैं, इसलिए उनका मेडिकल फील्ड में उनका अनुभव है, लेकिन वो वकील नहीं हैं जो याचिका के जरिए की गई उनकी मांग से झलकती है। याचिका में कहा गया था कि डब्ल्यूएचओ अधिकारियों को दंडित किया जाए क्योंकि जो 'रोके जाने योग्य नरसंहार' के लिए कथित तौर पर दोषी पाए गए।
याचिका में WHO पर भी गंभीर आरोप
याचिका में दावा किया गया कि WHO ने कोविड-19 को 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित करने में एक महीने की देरी कर दी। याचिकाकर्ता ने कहा, 'महामारी ने निगरानी से छूट प्राप्त संगठन में टॉप से बॉटम तक गहरी जमी सड़ांध को ऊपर ला दिया। डब्ल्यूएचओ ने मानव जाति को धोखा दिया है।'