नई दिल्ली
जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को विनम्रता और काम के प्रति निष्ठा का अनूठा उदाहरण पेश किया। उनके इस व्यवहार ने विपक्षी दलों को आईना भी दिखाया। ऐसे समय में जब पेगासस, कृषि कानून और कई अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष के हंगामे से सदन के कई कामकाजी घंटों पर पानी फिर चुका है। वहीं, गजेंद्र सिंह शेखावत ने पिछले शुक्रवार को सदन से अपनी गैर-मौजूदगी का कारण बताकर विपक्ष की बोलती बंद कर दी। उन्होंने इसके पीछे न केवल बेहद वाजिब कारण बताया, बल्कि इसके लिए माफी भी मांगी।
हुआ यूं कि पिछले शुक्रवार को जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सदन में मौजूद नहीं थे। राज्यसभा में सोमवार को मंत्री ने बीते शुक्रवार को सदन से अनुपस्थित रहने को लेकर माफी मांगी। दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जब जरूरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखे जा रहे थे, उसी दौरान आसन ने शेखावत से अपने मंत्रालय से जुड़ा दस्तावेज सदन के पटल पर रखने को कहा।
शेखावत ने दस्तावेज पटल पर रखने से पहले माफी मांगते हुए कहा कि शुक्रवार को जब उनका नाम पुकारा गया था, उस समय वह सदन में मौजूद नहीं थे। उन्होंने बताया कि उनकी मां की तबीयत खराब हो गई थी। उन्हें जल्दी अस्पताल ले जाना पड़ा। इस वजह से वह सदन में उस समय उपस्थित नहीं हो सके। शुक्रवार को दस्तावेज पटल पर रखे जाने के दौरान उनकी अनुपस्थिति को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाया था।
सोमवार से संसद के मॉनसून सत्र का चौथा हफ्ता शुरू हुआ। संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र के तीसरे हफ्ते में राज्यसभा में आठ विधेयक पारित हुए। 19 जुलाई को मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद से राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है। विपक्षी सदस्य पेगासस जासूसी कांड और किसानों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि बीते तीन सप्ताह के दौरान सदन में कुल 17 घंटे 44 मिनट काम हुआ है। इनमें से चार घंटे 49 मिनट सरकारी विधेयकों पर व्यय हुआ, तीन घंटे 19 मिनट प्रश्नकाल में व्यय हुए और चार घंटे 37 मिनट में कोविड-19 संबंधी मुद्दों पर संक्षिप्त चर्चा हुई। आंकड़ों के मुताबिक, मॉनसून सत्र शुरू होने से करीब 78 घंटे 30 मिनट के समय में 60 घंटे 28 मिनट हंगामे की वजह से बर्बाद हुए हैं।
राज्यसभा के अनुसंधान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, तीसरे हफ्ते सदन की प्रोडक्टिविटी बढ़कर 24.2 फीसदी हो गई। सत्र के दूसरे हफ्ते प्रोडक्टिविटी 13.70 फीसदी थी। वहीं, सत्र के पहले हफ्ते उच्च सदन की उत्पादकता सबसे अधिक 32.20 फीसदी रही थी। राज्यसभा के अधिकारी ने बताया कि मॉनसून सत्र के शुरुआती तीन सप्ताह में राज्यसभा की कुल प्रोडक्टिविटी 22.60 फीसदी रही।
जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को विनम्रता और काम के प्रति निष्ठा का अनूठा उदाहरण पेश किया। उनके इस व्यवहार ने विपक्षी दलों को आईना भी दिखाया। ऐसे समय में जब पेगासस, कृषि कानून और कई अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष के हंगामे से सदन के कई कामकाजी घंटों पर पानी फिर चुका है। वहीं, गजेंद्र सिंह शेखावत ने पिछले शुक्रवार को सदन से अपनी गैर-मौजूदगी का कारण बताकर विपक्ष की बोलती बंद कर दी। उन्होंने इसके पीछे न केवल बेहद वाजिब कारण बताया, बल्कि इसके लिए माफी भी मांगी।
हुआ यूं कि पिछले शुक्रवार को जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सदन में मौजूद नहीं थे। राज्यसभा में सोमवार को मंत्री ने बीते शुक्रवार को सदन से अनुपस्थित रहने को लेकर माफी मांगी। दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जब जरूरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखे जा रहे थे, उसी दौरान आसन ने शेखावत से अपने मंत्रालय से जुड़ा दस्तावेज सदन के पटल पर रखने को कहा।
शेखावत ने दस्तावेज पटल पर रखने से पहले माफी मांगते हुए कहा कि शुक्रवार को जब उनका नाम पुकारा गया था, उस समय वह सदन में मौजूद नहीं थे। उन्होंने बताया कि उनकी मां की तबीयत खराब हो गई थी। उन्हें जल्दी अस्पताल ले जाना पड़ा। इस वजह से वह सदन में उस समय उपस्थित नहीं हो सके। शुक्रवार को दस्तावेज पटल पर रखे जाने के दौरान उनकी अनुपस्थिति को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाया था।
सोमवार से संसद के मॉनसून सत्र का चौथा हफ्ता शुरू हुआ। संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र के तीसरे हफ्ते में राज्यसभा में आठ विधेयक पारित हुए। 19 जुलाई को मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद से राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है। विपक्षी सदस्य पेगासस जासूसी कांड और किसानों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि बीते तीन सप्ताह के दौरान सदन में कुल 17 घंटे 44 मिनट काम हुआ है। इनमें से चार घंटे 49 मिनट सरकारी विधेयकों पर व्यय हुआ, तीन घंटे 19 मिनट प्रश्नकाल में व्यय हुए और चार घंटे 37 मिनट में कोविड-19 संबंधी मुद्दों पर संक्षिप्त चर्चा हुई। आंकड़ों के मुताबिक, मॉनसून सत्र शुरू होने से करीब 78 घंटे 30 मिनट के समय में 60 घंटे 28 मिनट हंगामे की वजह से बर्बाद हुए हैं।
राज्यसभा के अनुसंधान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, तीसरे हफ्ते सदन की प्रोडक्टिविटी बढ़कर 24.2 फीसदी हो गई। सत्र के दूसरे हफ्ते प्रोडक्टिविटी 13.70 फीसदी थी। वहीं, सत्र के पहले हफ्ते उच्च सदन की उत्पादकता सबसे अधिक 32.20 फीसदी रही थी। राज्यसभा के अधिकारी ने बताया कि मॉनसून सत्र के शुरुआती तीन सप्ताह में राज्यसभा की कुल प्रोडक्टिविटी 22.60 फीसदी रही।