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चुटकी भर सिंदूर की कीमत सुप्रीम कोर्ट ने बताई, भंग शादी को किया बहाल, जानें पूरा मामला

Supreme Court News : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक हाई कोर्ट से पति के पक्ष में आए तलाक के फैसले को खारिज करते हुए एक महिला की शादी को फिर से बहाल कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि हिंदू धर्म में विवाहित महिला के सुहाग और सिंदूर की अहमियत होती है। समाज उनको इसी नजरिये से देखता है। पति से अलग रह रहीं महिलाएं इसी सिंदूर के सहारे पूरी जिंदगी काट सकती हैं।

Authored byराजेश चौधरी | Edited byअनिल कुमार | नवभारत टाइम्स 20 Aug 2022, 10:28 am

हाइलाइट्स

  • शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट से पति के पक्ष में आए तलाक के फैसले को खारिज किया
  • SC ने कहा- हिंदू धर्म में विवाहित महिला के सुहाग और सिंदूर की अहमियत होती है
  • कहा- पति से अलग रह रहीं महिलाएं इसी सिंदूर के सहारे पूरी जिंदगी काट सकती हैं


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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से पति के पक्ष में आए तलाक के फैसले को खारिज करते हुए एक महिला को फिर से विवाहिता का दर्जा दिया है। ऐसा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू धर्म में विवाहित महिला के सुहाग और सिंदूर की अहमियत होती है और समाज उनको उसी नजरिये से देखता है। ऐसे में पति से अलग रह रहीं महिलाएं इसी सिंदूर के सहारे अपनी पूरी जिंदगी काट सकती हैं।
मुद्दा क्यों है अहम: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से विवाहित महिलाओं के अधिकारों को और बढ़ावा मिलेगा। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 18 साल से पति से अलग रह रही एक महिला को न केवल फिर से विवाहिता का दर्जा दिया है, बल्कि हिंदू धर्म में सिंदूर और सुहाग की कीमत भी समझाई है।

हिंदू धर्म में विवाहित महिला के सुहाग और सिंदूर की अहमियत होती है। समाज उनको इसी नजरिये से देखता है। पति से अलग रह रहीं महिलाएं इसी सिंदूर के सहारे पूरी जिंदगी काट सकती हैं।
- सुप्रीम कोर्ट


क्या है मामला
मध्य प्रदेश के भिंड में रहने वाले शख्स ने निचली अदालत से यह दलील देकर तलाक मांगा था कि पत्नी छोड़कर चली गई है और अलग रहती है। निचली अदालत ने 2008 में तलाक से इनकार किया तो पति ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में याचिका दी। हाई कोर्ट 2014 में 5 लाख रुपये पत्नी को देने का आदेश देते हुए शादी को इस आधार पर भंग कर दिया कि दोनों के बीच वैवाहिक संबंध नहीं रहे। महिला सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में मामला फिर हाई कोर्ट भेजा, लेकिन उसने फिर फैसला दोहरा दिया।

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विवाहिता का दर्जा बहाल करने की अपील की थी
महिला ने अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपना विवाहिता का दर्जा बहाल करने की अपील की। पत्नी के वकील ने कहा कि हाई कोर्ट ने भी माना था कि पति के साथ कोई क्रूरता नहीं हुई थी। महिला ने ससुराल को अपनी मर्जी से नहीं छोड़ा था, इसलिए शादी भंग करने का हाई कोर्ट का फैसला सही नहीं है। हाई कोर्ट ने संबंधों में सुधार की गुंजाइशन न देख शादी खत्म की थी। महिला शादी बहाल रखना चाहती है।


पति ने क्या दलील दी?
सुप्रीम कोर्ट में पति की ओर से कहा गया कि वह अब 'साधु' है और पत्नी के साथ वैवाहिक रिश्ते में नहीं लौट सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 18 साल से अलग रह रहे दंपती के लिए अब साथ रहना असंभव हो सकता है, लेकिन, जिस तरह से समाज अकेली महिलाओं के साथ व्यवहार करता है, उसे देखते हुए विवाह और विवाह की स्थिति की अवधारणा काफी महत्वपूर्ण है। महिलाओं के लिए शादी का बहुत महत्व है। हम तलाक को रद्द कर देंगे। इससे पति की स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

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जज बोले- हम पहले की शादी को बहाल करेंगे
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यू.यू. ललित की अगुआई वाली बेंच के सामने पति की ओर से कहा गया कि वह फिर से विवाह नहीं करेंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैसे भी आप नहीं कर पाएंगे, क्योंकि हम पहले की शादी को बहाल करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी को हाई कोर्ट के निर्देश पर 5 लाख रुपये की जो राशि मिली है, उसे वह अपने पास वैसे ही रख सकती हैं।
लेखक के बारे में
राजेश चौधरी
राजेश चौधरी 2007 से नवभारत टाइम्स से जुड़े हुए हैं। वह दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, निचली अदालत और सीबीआई से जुड़े विषयों को कवर करते हैं और स्पीड न्यूज में भी आपको इस बारे में खबर देते रहेंगे। यदि आपके पास कोर्ट से जुड़े मामलों की कोई सूचना है तो आप उनसे इस ईमेल अड्रेस - journalistrajesh@gmail.com - पर संपर्क कर सकते हैं।... और पढ़ें

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