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मौन न रहें... जहरीले बयानों पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी नसीहत दी है

हेट स्पीच वाली याचिकाओं पर अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो यह बताए कि हेट स्पीच पर अंकुश लगाने के लिए विधि आयोग की सिफारिशों पर एक्शन लेने का इरादा है कि नहीं। हेट स्पीच के मामले में कोर्ट ने कहा कि हम नफरत को हवा नहीं दे सकते।

Curated byपंकज सिंह | नवभारतटाइम्स.कॉम 22 Sep 2022, 9:39 am
नई दिल्ली: हेट स्पीच के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नफरती भाषा एक जहर की तरह है जो भारत के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रही है। चैनलों पर बहस बेलगाम हो गई है। राजनीतिक दल सामाजिक सद्भाव की कीमत पर इसमें भी लाभ देख रहे हैं। राजनीतिक दल आएंगे और जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या इसको लेकर कानून बनाने का इरादा है या नहीं क्योंकि मौजूदा व्यवस्था ऐसे मामलों में निपटने के लिए लिए अपर्याप्त है। जस्टिस एम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि केंद्र को 'मूक दर्शक' नहीं होना चाहिए। इससे समस्या से निपटने के लिए आगे आना चाहिए।
नवभारतटाइम्स.कॉम Supreme Court


सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में बुधवार कहा कि क्यों केंद्र सरकार इस मामले में मूक दर्शक बनकर खड़ी है। सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि हमारा देश किस ओर जा रहा है। पिछली सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा था कि हेट स्पीच से संबंधित देश में कोई स्पष्ट कानून नहीं है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में आदेश पारित करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा हेट स्पीच या तो मेन स्ट्रीम टीवी के जरिये या फिर सोशल मीडिया के जरिये आ रहा है। मेन स्ट्रीम मीडिया में कम से कम एंकर का रोल अहम है। जैसे ही कोई हेट स्पीच देने की कोशिश करता है एंकर की ड्यूटी है कि उसे तुरंत रोक दे। जस्टिस जोसेफ ने कहा कि हमारे पास एक उचित लीगल फ्रेमवर्क होना चाहिए। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस रिषिकेष राय की बेंच के सामने कुल 11 अर्जियां हैं जिनमें हेट स्पीच मामले को रेग्युलेट करने के लिए निर्देश देने की गुहार लगाई गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने टीवी एंकर की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि वह किसी मुद्दे पर चर्चा के दौरान नफरती भाषण पर रोक लगाए। पीठ ने भारतीय प्रेस परिषद और नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्रॉडकास्टर्स (NBA) को अभद्र भाषा और अफवाह फैलाने वाली याचिकाओं में पक्षकार के रूप में शामिल करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने मामले में भारतीय प्रेस परिषद और नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्रॉडकास्टर्स को पक्षकार बनाने की मांग की थी।
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पंकज सिंह
नवभारत टाइम्स डिजिटल में असिस्टेंट न्यूज एडिटर। पत्रकारिता में आज समाज, ईटीवी भारत, आज तक के बाद अब टाइम्स इंटरनेट के साथ सफर जारी है। पत्रकारिता में 16 साल का अनुभव। राजनीति की खबरों के साथ ही खेल की खबरों में रुचि। लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ सीखने की कोशिश जारी है।... और पढ़ें

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