प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमण, न्यायमूर्ति ए.एस.बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ को वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि याचिका शुक्रवार 11 मार्च के लिए सूचीबद्ध की गई थी, लेकिन आज सुनवाई वाली याचिकाओं की सूची में इसका जिक्र नहीं आया। इस बीच, बृहस्पतिवार की रात मामले के प्रमुख गवाहों में से एक पर हमला भी किया गया।
पीठ ने कहा, ‘‘ कोई गलती हो गई है। वे (रजिस्ट्री अधिकारी) मंगलवार को इसे सूचीबद्ध कर रहे हैं। हम मंगलवार को मामले पर सुनवाई करेंगे।’’
भूषण ने चार मार्च को याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था, जिसके बाद अदालत ने इसे 11 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया था।
भूषण ने तब दलील दी थी कि मामले के अन्य आरोपी आशीष मिश्रा को दी गई राहत का हवाला देते हुए जमानत के लिए अदालत का रुख कर रहे हैं। इसके बाद, पीठ ने वकील से कहा था कि वह उच्च न्यायालय को इस बात से अवगत कराएं कि शीर्ष अदालत जमानत खारिज करने की याचिका पर सुनवाई कर रही है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों के तीन सदस्यों ने मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिये जाने को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी को मिश्रा को मामले में जमानत दे दी थी। इससे पहले वह चार महीने तक हिरासत में रहे थे।
गौरतलब है कि किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ पिछले साल तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कथित तौर पर कुचल दिया। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक को कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई।
किसान नेताओं ने दावा किया है कि उस वाहन में आशीष मिश्रा थे, जिसने प्रदर्शनकारियों को कुचला था। हालांकि, उन्होंने आरोपों को खारिज किया है।