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अब तकनीक से रोकी जाएगी बढ़ रही घुसपैठ

उड़ी अटैक के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने कमियों का जो शुरुआती जायजा लिया है, उसमें यह पाया गया है कि आतंकवादियों को देश में घुसपैठ से रोकना सबसे बड़ी नाकामी रही...

रमेश तिवारी | नवभारत टाइम्स 19 Sep 2016, 7:25 pm
दिल्ली
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अब तकनीक से रोकी जाएगी बढ़ रही घुसपैठ


उड़ी अटैक के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने कमियों का जो शुरुआती जायजा लिया है, उसमें यह पाया गया है कि आतंकवादियों को देश में घुसपैठ से रोकना सबसे बड़ी नाकामी रही। यह भी तय किया गया है कि घुसपैठ रोकने लिए उस रिपोर्ट पर अमल में तेजी लाई जाएगी, जिसे पठानकोट हमले के बाद तैयार किया गया था।

श्रीनगर से मिली रिपोर्टों के मुताबिक, घटना की पैठ तक जाने के लिए सेना ने पूछताछ शुरुआत कर दी है। इससे पता लगाया जाएगा कि आतंकवादी किस रास्ते से और कब आए थे। यहां सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों ने माना है कि आतंकवादियों की घुसपैठ रोकने में ज्यादा सख्ती की जरूरत है। उन्हें यह संतोष भी है कि हमले के बाद जितनी जल्दी संभव हो सका, आतंकवादियों का खात्मा कर दिया गया।

सरकारी हलकों में अब पूर्व गृह सचिव मधुकर गुप्ता की अगुवाई वाली हाई लेवल कमिटी की रिपोर्ट पर तेजी से अमल पर विचार किया जा रहा है। इस कमिटी ने भारत-पाकिस्तान बॉर्डर की घेरेबंदी में कमियों का मुआयना किया था। जनवरी में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद इस कमिटी का गठन किया गया था। इसने तकनीक के इस्तेमाल की वकालत करते हुए थर्मल इमेजिंग, लेजर वॉल, फाइबर ऑप्टिक्स कम्यूनिकेशन आदि अपनाने की सलाह दी थी।

रिपोर्ट अगस्त में ही गृह मंत्रालय को सौंपी गई थी। इसमें बताया गया था कि 3323 किलोमीटर के भारत-पाक बॉर्डर पर ऐसे कई पॉइंट हैं, जहां भौगोलिक चुनौतियों के कारण चौकसी नहीं हो पाती। इन जगहों के लिए तकनीक का इस्तेमाल न होने पर नाखुशी जताई गई थी।

-आतंकवादियों की घुसपैठ की घटनाएं पिछले तीन-चार साल के मुकाबले तेजी से बढ़ी हैं।
-2016 में भारतीय सेना ने एलओसी पर 17 घुसपैठ की घटनाएं नाकाम की हैं
-जम्मू-कश्मीर में 110 आतंकवादी मारे गए, जिनमें से 31 घुसपैठ की कोशिश में थे
-11 और 18 सितंबर को भी घुसपैठ की कोशिश नाकाम हुई, 4-4 आतंकवादी मारे गए

( स्रोत : डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस)
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रमेश तिवारी

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