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निकाह हलाला को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनेवाली महिलाओं ने बताया अपना दर्द

निकाह हलाला और बहुविवाह को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले चार लोगों में नगमा (परिवर्तित नाम) और समीना बेगम भी शामिल हैं। इनकी याचिका पर कोर्ट की संविधान बेंच विचार करेगी। एनबीटी ने पड़ताल की कि आखिर उन्हें कोर्ट जाने की जरूरत ...

नवभारत टाइम्स 30 Mar 2018, 11:54 am
नई दिल्‍ली
नवभारतटाइम्स.कॉम प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

निकाह हलाला और बहुविवाह को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले चार लोगों में नगमा (परिवर्तित नाम) और समीना बेगम भी शामिल हैं। इनकी याचिका पर कोर्ट की संविधान बेंच विचार करेगी। एनबीटी ने पड़ताल की कि आखिर उन्हें कोर्ट जाने की जरूरत क्यों पड़ी। उनसे विशेष बात की हमारे संवाददाता राजेश चौधरी ने।

नगमा जी निकाह कब हुआ और ऐसा क्या हुआ कि कोर्ट जाना पड़ा
शादी से पहले मैं बतौर रेडियो जॉकी काम करती थी। मेरे पति को पहले कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन निकाह के बाद ससुरालवालों के दबाव में पति के रंग बदलने लगे। उसने कहा कि नौकरी नहीं करनी है। फिर मारपीट शुरू कर दी। 2011 में दूसरा बेटा हुआ लेकिन पति के तेवर नरम नहीं पड़े। मेरी मां के सामने ही मारपीट की गई।

क्या पुलिस में शिकायत या घर वालों का दखल नहीं था
शिकायत पर पुलिस ने पंचायत की और पति को समझा-बुझाकर भेज दिया। मेरे चरित्र पर कीचड़ उछाला गया। मैंने सोचा कि मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना है और तब मैंने दोबारा नौकरी की तलाश शुरू की। पति की यातना सहकर भी मैंने उन पर भरोसा किया और उनके साथ रही। मेरा बेटा जो तब 6 साल का था, पति की ज्यादती देखकर मुझसे कहता था कि मां आप हमें छोड़कर चली जाओ नहीं तो पापा आपको मारेंगे। मैंने घर छोड़ दिया। फिर पति ने दूसरी शादी कर ली। मैं शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंची लेकिन पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया और कहा कि मुस्लिम लॉ के तहत यह मान्य है। फिर मैंने कोर्ट जाने का फैसला किया।

पढ़ें: निकाह हलाला और बहुविवाह असंवैधानिक है या नहीं? संवैधानिक बेंच करेगी सुनवाई

समीना जी आपकी शादी कब हुई और सुप्रीम कोर्ट तक कैसे पहुंचीं
मेरी शादी 1999 में हुई थी। मैं शायर थी और मुशायरों में जाती थी। इसी दौरान मेरी मुलाकात अपने पहले पति से हुई। निकाह के कुछ दिनों बाद ही पति से संबंध तनावपूर्ण होने लगे। दहेज के लिए पति और ससुराल वालों ने ताने मारने शुरू कर दिए। घर में नौकरों की तरह काम लिया जाने लगा। यहां तक कि टॉइलट भी साफ कराए जाते थे। फिर भी मैं सब सहती रही। मेरा एक बेटा पांच महीने का था तभी मैं गर्भवती हो गई। उस हालात में पति ने 100 रुपये देकर गांव जाने वाली बस से मायके भेज दिया।

तो क्या आपने दिल्ली छोड़ दी
मैंने नानकपुरा में पुलिस महिला सेल में शिकायत की लेकिन फायदा नहीं हुआ। पति ने लेटर के जरिए तलाक दे दिया। 2012 में मैंने दूसरी शादी की। मेरे दूसरे पति पहले से शादीशुदा थे लेकिन मुझे बताया गया कि उनकी पहली पत्नी उनके साथ नहीं रहती हैं। बाद में पता चला कि वह बुलंदशहर में रहने वाली पहली पत्नी से मिलने जाते थे। इस दौरान मुझे दूसरी शादी से बेटा हुआ और 15 दिनों के भीतर मेरे दूसरे पति ने तीन तलाक दे दिया। बड़े बुजुर्गों और मौलाना ने भी मदद नहीं की तब मैंने कोर्ट का सहारा लिया।

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