नई दिल्ली: इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) की मशाल अब हमेशा के लिए बंद हो जाएगी। शुक्रवार को यानी 21 जनवरी को एक कार्यक्रम में अमर जवान ज्योति की मशाल की लौ को नेशनल वॉर मेमोरियल (National War Memorial) की मशाल में मिलाया जाएगा, जिसके बाद अमर जवान ज्योति की मशाल बंद हो जाएगी। शहीदों को श्रद्धांजलि देने और देश के प्रति उनके बलिदान को याद रखने के लिए नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल जलती रहेगी।
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहीदों को श्रद्धांजलि देने नेशनल वॉर मेमोरियल ही जाएंगे। कुछ दिन पहले ही देश के अलग अलग कोनों से आई स्वर्णिम विजय वर्ष की मशाल को भी नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल में मिलाया गया था। करीब तीन साल पहले नेशनल वॉर मेमोरियल बनकर तैयार हुआ था। यह इंडिया गेट के पास 40 एकड़ जमीन पर 176 करोड़ रुपये की लागत से बना है।
भारत की आजादी के बाद भारतीय सशस्त्र सेनाओं को कई संघर्षों से जूझना पड़ा। सेनाओं ने देश और विदेश में कई ऑपरेशन में भाग लिया। सीमा पार से थोपे जा रहे छद्म युद्ध की वजह से सेना को लगातार आतंकवाद रोधी ऑपरेशन करने होते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में हमारे सैनिक शहीद हुए । इन बलिदानों की याद में देश भर में कुछ स्मारक बनाए गए हैं लेकिन सशस्त्र सेनाओं के सैनिकों के बलिदानों को समर्पित राष्ट्रीय स्तर पर कोई स्मारक नहीं था।
इस कमी को पूरा करने के लिए नेशनल वॉर मेमोरियल बनाया गया। यह देश का इकलौता ऐसा मेमोरियल है जहां ट्राई सर्विस यानी आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के सैनिकों के नाम एक छत के नीचे हैं। ब्रिटिश सरकार ने पहले विश्व युद्ध में और अफगान कैंपेन के दौरान मारे गए करीब 84000 भारतीय सैनिकों की याद में इंडिया गेट बनाया था। जिसके बाद 1971 युद्ध में शहीद सैनिकों के सम्मान में इसमें मशाल ‘अमर जवान ज्योति’ जलाई गई। अब इस मशाल की ज्योति नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल में मिल जाएगी।
नेशनल वॉर मेमोरियल में चार लेयर हैं यानी चार चक्र। सबसे अंदर का चक्र अमर चक्र है जिसमें 15.5 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है जिसमें अमर ज्योति जल रही है। यह ज्योति शहीद सैनिकों की आत्मा की अमरता का प्रतीक है साथ ही एक आश्वासन कि राष्ट्र अपने सैनिकों के बलिदान को कभी नहीं भुलाएगा। दूसरी लेयर है वीरता चक्र, जिसमें आर्मी, एयर फोर्स और नेवी द्वारा लड़ी गई छह अहम लड़ाइयों को बताया गया है। तीसरी लेयर त्याग च्रक में शहीद सैनिकों के नाम हैं जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी। यह नाम 1.5 मीटर की दीवार पर लिखे हैं। सुरक्षा चक्र में 695 पेड़ हैं जो देश की रक्षा में तैनात जवानों को दर्शाते हैं।
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहीदों को श्रद्धांजलि देने नेशनल वॉर मेमोरियल ही जाएंगे। कुछ दिन पहले ही देश के अलग अलग कोनों से आई स्वर्णिम विजय वर्ष की मशाल को भी नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल में मिलाया गया था। करीब तीन साल पहले नेशनल वॉर मेमोरियल बनकर तैयार हुआ था। यह इंडिया गेट के पास 40 एकड़ जमीन पर 176 करोड़ रुपये की लागत से बना है।
भारत की आजादी के बाद भारतीय सशस्त्र सेनाओं को कई संघर्षों से जूझना पड़ा। सेनाओं ने देश और विदेश में कई ऑपरेशन में भाग लिया। सीमा पार से थोपे जा रहे छद्म युद्ध की वजह से सेना को लगातार आतंकवाद रोधी ऑपरेशन करने होते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में हमारे सैनिक शहीद हुए । इन बलिदानों की याद में देश भर में कुछ स्मारक बनाए गए हैं लेकिन सशस्त्र सेनाओं के सैनिकों के बलिदानों को समर्पित राष्ट्रीय स्तर पर कोई स्मारक नहीं था।
इस कमी को पूरा करने के लिए नेशनल वॉर मेमोरियल बनाया गया। यह देश का इकलौता ऐसा मेमोरियल है जहां ट्राई सर्विस यानी आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के सैनिकों के नाम एक छत के नीचे हैं। ब्रिटिश सरकार ने पहले विश्व युद्ध में और अफगान कैंपेन के दौरान मारे गए करीब 84000 भारतीय सैनिकों की याद में इंडिया गेट बनाया था। जिसके बाद 1971 युद्ध में शहीद सैनिकों के सम्मान में इसमें मशाल ‘अमर जवान ज्योति’ जलाई गई। अब इस मशाल की ज्योति नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल में मिल जाएगी।
नेशनल वॉर मेमोरियल में चार लेयर हैं यानी चार चक्र। सबसे अंदर का चक्र अमर चक्र है जिसमें 15.5 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है जिसमें अमर ज्योति जल रही है। यह ज्योति शहीद सैनिकों की आत्मा की अमरता का प्रतीक है साथ ही एक आश्वासन कि राष्ट्र अपने सैनिकों के बलिदान को कभी नहीं भुलाएगा। दूसरी लेयर है वीरता चक्र, जिसमें आर्मी, एयर फोर्स और नेवी द्वारा लड़ी गई छह अहम लड़ाइयों को बताया गया है। तीसरी लेयर त्याग च्रक में शहीद सैनिकों के नाम हैं जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी। यह नाम 1.5 मीटर की दीवार पर लिखे हैं। सुरक्षा चक्र में 695 पेड़ हैं जो देश की रक्षा में तैनात जवानों को दर्शाते हैं।