कोलकाता/नई दिल्ली
तृणमूल कांग्रेस ने ममता बनर्जी को राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष के नेता के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है। पार्टी के मुखपत्र 'जागो बांग्ला' में शुक्रवार को फ्रंट पेज पर एक लेख छपा। इसमें कहा गया कि राहुल गांधी सफल नहीं रहे और ममता ही नरेंद्र मोदी का इकलौता विकल्प हैं। लेख में पार्टी के लोकसभा सांसद सुदीप बंदोपाध्याय समेत कई वरिष्ठ नेताओं के बयान हैं। बंद दरवाजों के पीछे हुई TMC की बैठक में नेताओं ने कहा कि विपक्ष के खेमे में कांग्रेस का होना जरूरी है मगर राहुल कई मौकों के बाद भी मोदी के विकल्प के रूप में नहीं उभरे। लेख में कहा गया कि TMC ममता को मोदी का विकल्प बनाकर पेश करते हुए एक अभियान चलाएगी। ममता को विकल्प की तरह प्रॉजेक्ट करेगी TMC
मुखपत्र में लिखा गया है कि बंदोपाध्याय ने बैठक में कहा कि देश को एक विकल्प की जरूरत है। पत्र के मुताबिक उन्होंने कहा, 'मैं लंबे समय से राहुल गांधी को जानता हूं मगर यह कहने पर मजबूर हूं कि वह नरेंद्र मोदी के विकल्प की तरह उभरने में नाकाम रहे हैं। पूरा देश अब ममता को चाहता है। हम सभी विपक्षी दलों से बात करेंगे और ममता बनर्जी को विकल्प की तरह प्रॉजेक्ट करेंगे।'
बंदोपाध्याय ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, 'मुझे जो कहना था, वो मैंने 15 सितंबर को यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट हॉल में हुई पार्टी वर्कर्स की कॉन्फ्रेंस में कह दिया। यह मेरी निजी राय है जो पार्टी पेपर में छपी है। मुझे उसमें कुछ और नहीं जोड़ना है।'
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TMC की नजरों में खटक रही कांग्रेस!
बंदोपाध्याय ने कहा कि उनका यह आंकलन पिछले महीने के अनुभवों पर आधारित है। संसद की स्टैंडिंग समितियों के सदस्य के रूप में बंदोपाध्याय ने चार राज्यों का दौरा किया। TMC सांसद ने कहा, 'उन्हें (लोगों को) लगता है कि ममता बनर्जी देश को आगे ले जा सकती हैं।' हालांकि यह कोई हैरान करने वाला बयान नहीं था।
11 दिन पहले, दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर से बाहर निकलते समय TMC के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने दिलचस्प बात कही थी। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ही बीजेपी से सीधी लड़ाई लड़ेगी। एक बार उन्होंने खासतौर पर कांग्रेस का जिक्र किया और कहा कि बाकियों की तरह 'उनकी पार्टी अपनी रीढ़ की हड्डी नहीं बेचेगी या घरों में छिपेगी।'
तृणमूल के इन इशारों को समझ रही है कांग्रेस?
संसद के मॉनसून सत्र से पहले, उसके प्रमुख नेताओं ने राहुल गांधी की तरफ से बुलाई गई विपक्ष की किसी बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। पार्टी ने अपने सांसदों को बैठकों में भेजा। तब पार्टी सांसद सौगत राय ने कहा था कि 'TMC विपक्ष की एकता में विश्वास रखती है मगर क्या यह सही नहीं कि एक साझा पहल गुणों पर आधारित हो। हमने संसद के भीतर और बाहर अपनी पोजिशन साफ कर दी है। रॉय ने कहा था कि TMC ने अलग अंदाज में अपने दम पर बीजेपी से लड़ाई लड़ी और उसे हराया।
अपने नेताओं को तो रोक नहीं पाई, विपक्षी दलों को एकजुट करने चली कांग्रेस...
कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल ही सवालकेवल तृणमूल ही नहीं, जिसको कांग्रेस से समस्या है। एनसीपी नेता शरद पवार ने पिछले दिनों कांग्रेस की तुलना उन 'जमींदारों से की थी जो अपनी हवेली नहीं बचा पा रहे।' 20 अगस्त को 19 विपक्षी पार्टियों की बैठक में ममता ने कहा था कि वे पार्टियां जो कांग्रेस की सहयोगी नहीं हैं, उनको भी विपक्षी खेमे का हिस्सा होना चाहिए। उनका बयान ऐसे वक्त में आया था जब कई क्षेत्रीय पार्टियों ने या तो बैठक में हिस्सा नहीं लिया या फिर उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। बसपा, AAP, AIMIM, TRS, BJD और YSR कांग्रेस के नेता इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे।
तृणमूल कांग्रेस ने ममता बनर्जी को राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष के नेता के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है। पार्टी के मुखपत्र 'जागो बांग्ला' में शुक्रवार को फ्रंट पेज पर एक लेख छपा। इसमें कहा गया कि राहुल गांधी सफल नहीं रहे और ममता ही नरेंद्र मोदी का इकलौता विकल्प हैं। लेख में पार्टी के लोकसभा सांसद सुदीप बंदोपाध्याय समेत कई वरिष्ठ नेताओं के बयान हैं। बंद दरवाजों के पीछे हुई TMC की बैठक में नेताओं ने कहा कि विपक्ष के खेमे में कांग्रेस का होना जरूरी है मगर राहुल कई मौकों के बाद भी मोदी के विकल्प के रूप में नहीं उभरे। लेख में कहा गया कि TMC ममता को मोदी का विकल्प बनाकर पेश करते हुए एक अभियान चलाएगी।
मुखपत्र में लिखा गया है कि बंदोपाध्याय ने बैठक में कहा कि देश को एक विकल्प की जरूरत है। पत्र के मुताबिक उन्होंने कहा, 'मैं लंबे समय से राहुल गांधी को जानता हूं मगर यह कहने पर मजबूर हूं कि वह नरेंद्र मोदी के विकल्प की तरह उभरने में नाकाम रहे हैं। पूरा देश अब ममता को चाहता है। हम सभी विपक्षी दलों से बात करेंगे और ममता बनर्जी को विकल्प की तरह प्रॉजेक्ट करेंगे।'
बंदोपाध्याय ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, 'मुझे जो कहना था, वो मैंने 15 सितंबर को यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट हॉल में हुई पार्टी वर्कर्स की कॉन्फ्रेंस में कह दिया। यह मेरी निजी राय है जो पार्टी पेपर में छपी है। मुझे उसमें कुछ और नहीं जोड़ना है।'
जन्मदिन पर एक-दूसरे को मुबारकबाद कैसे देते हैं पीएम मोदी और राहुल गांधी?
TMC की नजरों में खटक रही कांग्रेस!
बंदोपाध्याय ने कहा कि उनका यह आंकलन पिछले महीने के अनुभवों पर आधारित है। संसद की स्टैंडिंग समितियों के सदस्य के रूप में बंदोपाध्याय ने चार राज्यों का दौरा किया। TMC सांसद ने कहा, 'उन्हें (लोगों को) लगता है कि ममता बनर्जी देश को आगे ले जा सकती हैं।' हालांकि यह कोई हैरान करने वाला बयान नहीं था।
11 दिन पहले, दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर से बाहर निकलते समय TMC के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने दिलचस्प बात कही थी। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ही बीजेपी से सीधी लड़ाई लड़ेगी। एक बार उन्होंने खासतौर पर कांग्रेस का जिक्र किया और कहा कि बाकियों की तरह 'उनकी पार्टी अपनी रीढ़ की हड्डी नहीं बेचेगी या घरों में छिपेगी।'
तृणमूल के इन इशारों को समझ रही है कांग्रेस?
संसद के मॉनसून सत्र से पहले, उसके प्रमुख नेताओं ने राहुल गांधी की तरफ से बुलाई गई विपक्ष की किसी बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। पार्टी ने अपने सांसदों को बैठकों में भेजा। तब पार्टी सांसद सौगत राय ने कहा था कि 'TMC विपक्ष की एकता में विश्वास रखती है मगर क्या यह सही नहीं कि एक साझा पहल गुणों पर आधारित हो। हमने संसद के भीतर और बाहर अपनी पोजिशन साफ कर दी है। रॉय ने कहा था कि TMC ने अलग अंदाज में अपने दम पर बीजेपी से लड़ाई लड़ी और उसे हराया।
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