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एक शख्‍स को अलग-अलग कोरोना वैक्‍सीन की डोज दी जाए तो क्‍या होगा? जानें रिसर्च में क्‍या निकला

Covid-19 Vaccine Cocktail Result: ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने इस बात पर शोध किया कि अगर एक शख्‍स को दो तरह की ऐंटी-कोविड वैक्‍सीन की डोज दी जाएं तो उसपर कैसा असर होगा।

नवभारतटाइम्स.कॉम 14 May 2021, 11:01 am

हाइलाइट्स

  • ब्रिटेन की ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी में चल रही है खास रिसर्च
  • पता चलेगा, अलग-अलग तरह की वैक्‍सीन देने पर क्‍या असर
  • महाराष्‍ट्र में पिछले दिनों एक को लग गई थी अलग-अलग वैक्‍सीन
  • साइड इफेक्‍ट्स थोड़े ज्‍यादा, मगर इम्‍युनिटी कितनी ये साफ नहीं
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नई दिल्‍ली
पिछले दिनों महाराष्‍ट्र से कोविड-19 टीकाकरण में लापरवाही से जुड़ी एक खबर आई। यहां के जालना जिले में एक बुजुर्ग को पहले कोवैक्‍सीन की डोज दी गई, उसके बाद कोविशील्‍ड की। यानी पहली डोज किसी और वैक्‍सीन की लगी और दूसरी किसी और की। अगर यह घटना लापरवाही न होकर, जानबूझकर की गई होती तो? वैज्ञानिकों के मन में भी यही सवाल था। इसलिए उन्‍होंने इस बात पर रिसर्च किया कि अगर अलग-अलग वैक्‍सीन की डोज दी जाएं तो क्‍या नतीजा होगा।
रिसर्च में पता चला, मिक्‍स्‍ड डोज से बड़ा खतरा नहीं
ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने पाया कि अगर दो टीकों को मिक्‍स किया जाए तो कोई बड़ा खतरा नहीं है। हालांकि साइड इफेक्‍ट्स जरूर बढ़ सकते हैं। अभी इस बारे में कुछ साफ नहीं है कि वैक्‍सीन का कॉकटेल कोविड-19 के खिलाफ कितनी इम्‍युनिटी देता है। 'द लैंसेट' में छपी रिसर्च के मुताबिक, रिसर्चर्स ने पहले लोगों को अस्‍त्राजेनेका वैक्‍सीन (कोविशील्‍ड) की डोज दी और उसके चार हफ्ते बाद फाइजर की वैक्‍सीन की।

नतीजा ये हुआ कि मिक्‍स्‍ड डोज लेने वालों में साइड इफेक्‍ट्स ज्‍यादा नजर आए, मगर परेशानी जल्‍द ही दूर हो गई। ठंड लगना, बुखार आना, सिरदर्द और थकान जैसे साइड इफेक्‍ट्स देखने को मिले। यह रिसर्च 50 साल से ज्‍यादा उम्र के लोगों पर की गई थी। कुछ पार्टिसिपेंट्स में वैक्‍सीन का क्रम बदलकर भी देखा गया। मतलब उन्‍हें पहले फाइजर की वैक्‍सीन दी गई, फिर अस्‍त्राजेनेका वैक्‍सीन की डोज। नतीजों में कोई बदलाव नहीं दिखा।

पहली डोज कोवैक्सीन और दूसरी कोविशील्ड, जानें क्‍या हुआ असर
अलग-अलग टीकों के मिक्‍सचर से दूर होगी किल्‍लत!
रिसर्चर्स यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि दो अलग-अलग टीकों को मिलाने से क्‍या असर होगा। कम आय वाले कई देशों में वैक्‍सीन की किल्‍लत है। ऐसे में वैक्‍सीन के मिक्‍सचर का सुरक्षित और प्रभावी होना सरकारों के लिए स्‍टॉक को मैनेज करना आसान बनाएगा। उदाहरण के लिए, फ्रांस में लोगों को अस्‍त्राजेनेका वैक्‍सीन की पहली डोज लगी, उसके बाद इसे बुजुर्गों के लिए सीमित कर दिया गया। ऐसे लोगों केा अब दूसरी डोज के रूप में फाइजर-बायोएनटेक का टीका दिया जा रहा है।


चूंकि रिसर्च में शामिल सभी लोग 50 साल से ऊपर के थे, इसलिए ऐसा संभव है कि इससे कम उम्र के लोगों में मिक्‍स्‍ड डोज का रिएक्‍शन और तीखा हो। रिसर्चर्स अब दो डोज के बीच 12 हफ्तों का अंतराल रखकर भी रिसर्च कर रहे हैं। जल्‍द ही मॉडर्ना और नोवावैक्‍स के टीकों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।

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