:पायल बनर्जी: नयी दिल्ली,26 मार्च:भाषा: भारत सरकार अपनी चार दशक पुरानी दृष्टिहीनता की परिभाषा बदलेगी और उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप बनाएगी । वह यह सुनिश्चित भी करेगी की दृष्टिहीनता से संबंधित भारतीय आंकड़े वैश्विक अनुमान के मुताबिक हों। राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम :एनपीसीबी: के तहत, भारत में छह मीटर की दूरी से उंगलियों को नहीं गिन पाने वाले शख्स को दृष्टिहीन की श्रेणी में रखा जाता है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का नियम सिर्फ तीन मीटर का है। एनपीसीबी की उप महानिदेशक प्रोमिला गुप्ता ने कहा, हम दृष्टिहीनता की परिभाषा को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप लायेंगे। क्योंकि मौजूदा परिभाषा के हिसाब से किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर हम भारत में दृष्टिहीन लोगों का ज्यादा आंकड़ा रखते हैं। इससे दूसरे देशों के मुकाबले भारत की खराब छवि बनती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आंकड़ा जो हम इस कार्यक्रम के तहत जुटाते हैं उसकी वैश्विक अनुमान के साथ तुलना नहीं कर सकते क्योंकि दूसरे देश विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों को मानते हैं। गुप्ता ने कहा कि दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों मंे दृष्टिहीनता के प्रसार और इसके वैश्विक बोझ के अनुमान के लिये जनसंख्या आधारित आंकड़े जुटाने की पूर्व शर्त ही है कि परिभाषाओं में एकरूपता होनी चाहिये।
डब्लूएचओ की शर्त पूरा करने के लिये दृष्टिहीनता की परिभाषा बदलेगा भारत
:पायल बनर्जी:
नवभारतटाइम्स.कॉम 26 Mar 2017, 3:20 pm