समिति ने वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि वह इस तथ्य से "गहराई से अवगत" है कि कुछ राज्यों में कई धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थानों के पास हाथी हैं जो दैनिक पूजा व अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह पकड़े या रखे जाने वाले जंगली जानवरों की बेहतर देखभाल के लिए प्रस्तावित संशोधनों के साथ पूरी तरह से सहमत है। समिति ने कहा कि हालांकि एक संशोधन को लेकर कुछ राज्य सरकारों और वन्यजीव संरक्षण समुदाय ने गंभीर चिंता जताई है। यह संशोधन केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुसार हाथियों के स्थानांतरण या परिवहन के प्रावधान से संबधित है।
यह रिपोर्ट राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को सौंपी गई।
वन्य जीवन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2021 को 17 दिसंबर 2021 को लोकसभा में पेश किया गया था और 25 दिसंबर को उसे स्थायी संसदीय समिति को भेज दिया गया था।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वह इस तथ्य से गहराई से अवगत है कि कुछ राज्यों में कई धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थान ऐसे हाथियों के स्वामी हैं जो दैनिक पूजा और अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, "इसीलिए इसने यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक संतुलन बनाने का प्रयास किया है कि सदियों पुरानी परंपराओं में अभी हस्तक्षेप नहीं किया जाए, साथ ही व्यापक चिंताओं पर गौर करते हुए ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए जिससे यह आभास हो कि हाथियों के निजी स्वामित्व और उनके व्यापार को प्रोत्साहित किया जा रहा है।"
समिति ने उन सभी खंडों में संशोधन करने का सुझाव दिया है जिसके परिणामस्वरूप रखे जाने वाले हाथियों की बिक्री और खरीद को प्रोत्साहन मिलता हो।