ऐपशहर

बुलाया जाएगा शीतकालीन सत्र, जावड़ेकर ने दिया संकेत

संसद का शीतकालीन सत्र को लेकर चल रहे विवाद के बीच मोदी सरकार के एक मंत्री ने संकेत दिया है कि सत्र का आयोजन होगा और उसमें विधेयक भी पास कराए जाएंगे। अभी तक सरकार की तरफ से यह नहीं बताया गया कि शीतकालीन सत्र का आयोजन कब कराया जाएगा।

पूनम पाण्डे | नवभारत टाइम्स 14 Nov 2017, 7:24 pm
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम PAR

संसद का शीतकालीन सत्र को लेकर चल रहे विवाद के बीच मोदी सरकार के एक मंत्री ने संकेत दिया है कि सत्र का आयोजन होगा और उसमें विधेयक भी पास कराए जाएंगे। अभी तक सरकार की तरफ से यह नहीं बताया गया कि शीतकालीन सत्र का आयोजन कब कराया जाएगा। यह भी चर्चा चल रही है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में पीएम की और पूरे बीजेपी नेतृत्व की व्यस्तता को देखते हुए संसद का शीतकालीन सत्र छोटा किया जा सकता है, साथ ही सत्र न बुलाने पर भी विचार हो रहा है।

मंगलवार को एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने इशारा किया कि शीत सत्र का आयोजन किया जा सकता है। जावड़ेकर ने यह बात शिक्षा से जुड़े एक कार्यक्रम के दौरान कही। हालांकि, सत्र की तारीख और अवधि को लेकर अब तक अनुमान ही लगाए जा रहे हैं। बता दें कि शीतकालीन सत्र बुलाने में देरी को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। कांग्रेस का कहना है कि शीतकालीन सत्र न बुलाना सरकार की बेचैनी और घबराहट को दिखाता है जबकि सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने रविवार को जेडीयू नेता शरद यादव से मुलाकात की और विपक्ष के विकल्प पर चर्चा की।

इधर, जावड़ेकर ने सोमवार को 25 लाख स्कूली बच्चों के बीच हुए नैशनल असेसमेंट सर्वे का जिक्र किया और कहा कि सरकार ने शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कई काम किए हैं। उन्होंने कहा कि ‘पांचवीं और आठवीं में परीक्षा लेने की अनुमति राज्यों को देने का बिल भी इस सत्र में आएगा।‘

उन्होंने कहा कि आरटीई के सेक्शन-16 के मुताबिक किसी भी स्टूडेंट को 8वीं क्लास तक फेल नहीं किया जा सकता। लेकिन अगस्त में कैबिनेट ने इस नो डिटेंशन पॉलिसी (फेल न करने की पॉलिसी) को खत्म करने का फैसला लिया। अब आरटीई ऐक्ट में बदलाव के लिए संसद में बिल पास कराना होगा। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलगांना और महाराष्ट्र को छोड़कर सभी राज्यों ने केंद्र से मांग की थी कि नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म किया जाए क्योंकि इससे शिक्षा के स्तर में गिरावट आ रही है और परीक्षाएं ना लेने की वजह स्टूडेंट्स पढ़ाई को सीरियसली नहीं ले रहे हैं। जिसके बाद तय किया गया कि पांचवीं के बाद परीक्षा लेने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया जाए।

अब सरकारों को तय करना है कि उन्हें 5वीं के बाद किस क्लास में परीक्षा लेनी है। हालांकि, किसी भी स्टूडेंट को फेल होने के बाद पास होने का एक और मौका दिया जाएगा। उसमें भी असफल रहने पर ही उसे उसी क्लास में रखा जाएगा। आरटीई के सेक्शन- 16 में बदलाव करने के लिए बिल इस सत्र में संसद में आएगा।
लेखक के बारे में
पूनम पाण्डे
पूनम पाण्डे नवभारत टाइम्स में असिस्टेंट एडिटर हैं। वह बीजेपी, आरएसएस और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले कवर करती हैं।... और पढ़ें

अगला लेख

Indiaकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर