डॉ. रमेश गुप्ता,
सेक्स एक्सपर्ट, कीर्ति नगर, नई दिल्ली।
सवाल: मैं 27 वर्षीय विवाहित युवक हूं। मैं जानना चाहता हूं कि सेक्सुअल रिलेशन के दौरान इंटरकोर्स के पहले हम पुरुषों के पेनिस से चिकना स्त्राव क्यों निकलता है और इसके निकलने का कारण क्या है?
जवाब : जिस प्रकार स्वादिष्ट, लज्जतदार और मनपसंद डिश को देखकर हमारे मुंह में पानी आ जाता है, लार टपकने लगती है और जोरों की भूख लग जाती है, ठीक उसी प्रकार उत्तेजक दृश्यों को देखकर, उत्तेजक पुस्तकों को पढ़कर, लड़कियों से बातचीत करके, उनके स्पर्श का सुख प्राप्त करते समय, सेक्सुअल रिलेशन के दौरान इंटरकोर्स के पहले, पुरुषों के पेनिस (लिंग) में कठोरता आना और उससे चिकने तथा पतले स्त्राव का निकलना एक स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है।
शुक्राणु नहीं होते
मानसिक रूप से कामेच्छा के जाग्रत होने पर या मन में इसका विचार आने मात्र से ही पुरुष के लिंग में उत्थान आ जाता है और फिर इससे एक लेसदार पतला-सा गाढा बूंद निकलने लगता है। कुछ लोग इसे ही वीर्य (स्पर्म) समझ लेते हैं, जबकि यह वीर्य न होकर प्रोस्टेट और शिश्नमूल ग्रंथियों का स्त्राव होता है। इसमें वीर्य के समान शुक्राणु नहीं होते हैं।
पौरुष का प्रतीक
चूंकि पेनिस पुरुष के शरीर का एक अत्यंत नाजुक और महत्वपूर्ण अंग है। इसे पुरुष के पौरुष का प्रतीक माना जाता है। संभोग से पहले पेनिस से निकलने वाला यह स्त्राव स्त्री के योनि मार्ग को चिकना करके उसमें लिंग के प्रवेश को आसान बनाता है, जिससे कि घर्षण के समय स्त्री को कष्ट न पहुंचे और उसे भरपूर आनंद का अहसास भी हो सके।
वीर्य योनि में गहराई तक जा सके यह स्त्राव वीर्य में स्थित शुक्राणुओं के मार्ग को स्वच्छ, हानिरहित और स्निग्ध करने के साथ-साथ मूत्र मार्ग की अम्लता को कम भी करता है, ताकि शुक्राणुओं की रक्षा हो सके और संभोग के दौरान और आखिर में बिना किसी बाधा के वीर्य योनि में गहराई तक जा सके।
सेक्स एक्सपर्ट, कीर्ति नगर, नई दिल्ली।
सवाल: मैं 27 वर्षीय विवाहित युवक हूं। मैं जानना चाहता हूं कि सेक्सुअल रिलेशन के दौरान इंटरकोर्स के पहले हम पुरुषों के पेनिस से चिकना स्त्राव क्यों निकलता है और इसके निकलने का कारण क्या है?
जवाब : जिस प्रकार स्वादिष्ट, लज्जतदार और मनपसंद डिश को देखकर हमारे मुंह में पानी आ जाता है, लार टपकने लगती है और जोरों की भूख लग जाती है, ठीक उसी प्रकार उत्तेजक दृश्यों को देखकर, उत्तेजक पुस्तकों को पढ़कर, लड़कियों से बातचीत करके, उनके स्पर्श का सुख प्राप्त करते समय, सेक्सुअल रिलेशन के दौरान इंटरकोर्स के पहले, पुरुषों के पेनिस (लिंग) में कठोरता आना और उससे चिकने तथा पतले स्त्राव का निकलना एक स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है।
शुक्राणु नहीं होते
मानसिक रूप से कामेच्छा के जाग्रत होने पर या मन में इसका विचार आने मात्र से ही पुरुष के लिंग में उत्थान आ जाता है और फिर इससे एक लेसदार पतला-सा गाढा बूंद निकलने लगता है। कुछ लोग इसे ही वीर्य (स्पर्म) समझ लेते हैं, जबकि यह वीर्य न होकर प्रोस्टेट और शिश्नमूल ग्रंथियों का स्त्राव होता है। इसमें वीर्य के समान शुक्राणु नहीं होते हैं।
पौरुष का प्रतीक
चूंकि पेनिस पुरुष के शरीर का एक अत्यंत नाजुक और महत्वपूर्ण अंग है। इसे पुरुष के पौरुष का प्रतीक माना जाता है। संभोग से पहले पेनिस से निकलने वाला यह स्त्राव स्त्री के योनि मार्ग को चिकना करके उसमें लिंग के प्रवेश को आसान बनाता है, जिससे कि घर्षण के समय स्त्री को कष्ट न पहुंचे और उसे भरपूर आनंद का अहसास भी हो सके।
वीर्य योनि में गहराई तक जा सके यह स्त्राव वीर्य में स्थित शुक्राणुओं के मार्ग को स्वच्छ, हानिरहित और स्निग्ध करने के साथ-साथ मूत्र मार्ग की अम्लता को कम भी करता है, ताकि शुक्राणुओं की रक्षा हो सके और संभोग के दौरान और आखिर में बिना किसी बाधा के वीर्य योनि में गहराई तक जा सके।