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पुराने जमाने में नवजात को सेफ रखने के लिए अपनाए जाते थे ये रिवाज, अब कोरोना टाइम में आ रहे हैं काम

पुराने जमाने की ऐसी कई बातें और रिवाज हैं जो आज भी लाभकारी माने जाते हैं और इस कोरोना काल में तो इनके लाभ और भी बढ़ गए हैं।

नवभारतटाइम्स.कॉम 4 Jun 2021, 10:39 am
कोरोना महामारी हमको आयुर्वेदिक काल में ले गई है जहां कई जड़ी बूटियों और मसालों से काढ़ा तैयार कर रोज पिया जाता था। उस समय इम्‍यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक नुस्खों पर निर्भर किया जाता था और अब भी कोरोना से बचने के लिए यही तरीका अपनाया जा रहा है।
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पुराने जमाने में नवजात को सेफ रखने के लिए अपनाए जाते थे ये रिवाज, अब कोरोना टाइम में आ रहे हैं काम


स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आयुर्वेद एक नहीं बल्कि कई तरह से लाभकारी है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे शिशु के लिए फायदेमंद पुराने जमाने के आयुर्वेदिक नुस्‍खों के बारे में।

आगे हम कुछ ऐसी रीतियों के बारे में बताने वाले हैं जो पुराने जमाने में की जाती थीं और इन पर लोग बहुत भरोसा भी करते थे। पुराने जमाने में जीवनशैली से जुड़ी ये कुछ बातें आज भी आपके बच्‍चे के लिए अच्‍छी साबित हो सकती हैं।

​प्‍यार से पेश आएं

शिशु बोल नहीं सकता है लेकिन उसे भी डर और चिंता होती है। आपको शिशु से बहुत प्‍यार से बात करनी चाहिए। जब बच्‍चा सो रहा हो, तो चिल्‍लाएं नहीं और न ही तेज बात करें।

कई बार बच्‍चे को हवा में उछालने पर, उसमें डर पैदा हो सकता है इसलिए ऐसा करने से बचें। एक साल के होने से पहले बच्‍चे को मधुर संगीत और लोरियां सुनाएं। कभी भी इतने छोटे बच्‍चे को अकेला न छोड़ें। बच्‍चे के सामने कटु शब्‍दों का प्रयोग न करें।

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​लोगों से दूर रखना

पारंपरिक रूप से नवजात शिशु को एक अलग कमरे में रखा जाता था जहसं सिर्फ मां या परिवार की किसी बड़ी महिला को ही जाने की अनुमति होती थी। शिशु को लोगों के स्‍पर्श से दूर रखने और इंफेक्‍शन से बचाने के लिए ऐसा किया जाता था। जन्‍म के बाद तीसरे या चौथे महीने तक शिशु की इम्‍यूनिटी विकसित नहीं हुई होती है और इसलिए ही बच्‍चे को अलग रखा जाता है।

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​कमरे में धूप देना

जिस कमरे में शिशु रहता है, वहां से सभी तरह की नेगेटिविटी और धूल-मिट्टी को हटाने के लिए बच्‍चे के कमरे में धूप देने का भी रिवाज हुआ करता था। इसके लिए आयुर्वेदिक बूठयों से बच्‍चे के कमरे में धूप दी जाती थी। ब्राह्मी, हींग, गुग्गुल और जटामांसी से शिशु के कमरे में धूप दी जा सकती है। इससे हवा में मौजूद कीटाणु भी मर जाते हैं।

​बच्‍चे को घर में ही रखना

आयुर्वेद के अनुसार जन्‍म के बाद चार महीने तक शिशु को कमरे के अंदर ही रखना चाहिए और उसके कमरे में ज्‍यादा लोगों को जाने नहीं देना चाहिए। पारंपरिक रूप से चार महीने पूरे होने पर बच्‍चे को नहलाकर नए कपड़े पहनाए जाते थे और उसे कमरे से बाहर लाया जाता था। घर के बड़े बच्‍चे को आशीर्वाद देते थे और फिर बच्‍चे को घर के बाकी कमरों में ले जाया जा सकता था।

जन्‍म के बाद शुरुआती महीनों में शिशु को धूप और चांद की रोशनी से कई लाभ मिलते हैं। जन्‍म के बाद कुछ मिनट के लिए बच्‍चे को धूप में रखा जाता है। चार महीने तक कमरे से बच्‍चे को बाहर नहीं ले जाना है, तो कमरे में मौजूद खिड़की से भी धूप ली जा सकती है। इसी तरह चांद की रोशनी भी बच्‍चे के नर्वस सिस्‍टम के लिए फायदेमंद होती है और मां के मासिक चक्र को संतुलित करती है।

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