हार्मोंस और एंग्जायटी अटैक
गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव के कारण एंग्जायटी और पैनिक अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है। प्रेगनेंसी हार्मोंस बहुत ज्यादा स्ट्रेस की स्थिति में दिमाग के कुछ हिस्सों को सक्रिय कर देते हैं जिससे एंग्जायटी होना शुरू हो जाता है।
इसके अलावा डिलीवरी के आसपास अत्यधिक हार्मोनल बदलाव, लेबर पेन, नींद की कमी और आराम न करने, अस्पताल में रहने के डर से, मां बनने की जिम्मेदारियों के डर से और शिशु की सेहत को लेकर होने वाली चिंता की वजह से महिलाओं को एंग्जायटी हो जाती है।
यह भी पढ़ें : प्रेगनेंसी में इन बॉलीवुड एक्ट्रेसेस ने ली थी योग की मदद
डिलीवरी से पहले होती है एंग्जायटी
ऐसा नहीं है कि डिलीवरी रूम में ही प्रेगनेंट महिलाओं को एंग्जायटी होती है, बल्कि इससे पहले ही उन्हें इसका एहसास होना शुरू हो जाता है। डिलीवरी को लेकर कुछ महीनों पहले ही महिलाओं को एंग्जायटी होने लगती है।
जब गर्भ में शिशु होने की एंग्जायटी के साथ-साथ लेबर पेन का डर भी सताने लगे तो फिर स्थिति को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।
बच्चे को जन्म देना काफी तनावपूर्ण होता है और अगर आप प्रेगनेंसी के दौरान ही एंग्जायटी को कंट्रोल कर लें तो फिर बाद में इसे होने से रोका जा सकता है।
यह भी पढ़ें : दूसरी प्रेगनेंसी में कैसे अलग होते हैं Pregnancy symptoms
क्या कहती है रिसर्च
आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि पैनिक अटैक डिलीवरी के दौरान नहीं बल्कि इससे पहले और बाद में आता है। डिलीवरी से पहले महिलाओं को अस्पताल जाने के डर से या लेबर पेन की वजह से एंग्जायटी हो सकती है।
अध्ययनों में साफ कहा गया है कि डिलीवरी के बाद पैनिक अटैक आना सामान्य बात है। डिलीवरी के बाद कुछ महिलाओं को बॉडी को दोबारा शेप में लाने को लेकर भी एंग्जायटी हो जाती है।
यह भी पढ़ें : ऑफिस में ऐसे डील करें Panic Attacks, यह है आम समस्या
एंग्जायटी अटैक कैसे रोकें
प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर की सलाह जरूर मानें। प्रेगनेंसी और डिलीवरी को लेकर ऑनलाइन कोई भी डरावनी कहानी न सुनें। जितना हो सके डिलीवरी से पहले और गर्भावस्था के दौरान हल्के व्यायाम करें। मेडिटेशन की मदद से भी आप प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में एंग्जायटी से बच सकती हैं।
यह भी पढ़ें : प्रेगनेंट महिलाओं को एक्सरसाइज से कब बना लेनी चाहिए दूरी