ऐपशहर

पैरेंट्स के साथ सोने पर तेज होता है शिशु का दिमाग

बच्‍चे के जन्‍म के बाद पैरेंट्स के मन में यह सवाल जरूर आता है कि बच्‍चे को कहां सुलाना चाहिए।

नवभारतटाइम्स.कॉम 24 Aug 2020, 7:34 pm
पूरी रात बच्‍चे को कैसे सुलाएं और पैरेंट्स कब पहले की तरह सो पाएंगे। ये सभी सवाल आपको एक ही दिशा में ले जाते हैं और वो है कि क्‍या एक साथ सोना सही है और इससे शिशु को क्‍या लाभ मिलता है।
नवभारतटाइम्स.कॉम benefits of co sleeping for baby development.


शिशु को दिन की तरह से रात में भूख लगना और रोना आता है। इस समय शिशु को पैरेंट्स के नजदीक रहने और दुलार की जरूरत होती है। उन्‍हें हर समय अपनी मां या पिता के स्‍पर्श का इंतजार रहता है।

आइए जानते हैं शिशु को साथ सुलाने के क्‍या फायदे होते हैं।

शिशु की जरूरतें हो रही हैं पूरी
शिशु रोकर ही अपनी बात बताता है। उसे भूख लगी हो या कोई प्रॉब्‍लम हो, वो रोकर की अपनी तकलीफ और जरूरत बताता है। अगर आप बच्‍चे को रात में रोता हुआ छोड़ देंगे तो हो सकता है कि वो रोकर अपनी जरूरत का संकेत देना बंद कर दे और आपको उसकी जरूरत का पता ही नहीं चल पाए।

पॉजिटिव वाइब्‍स आती हैं
जब रोते हुए बच्‍चे को उठाकर आप उसे गले लगाते हैं या प्‍यार करते हैं, तो उसे अच्‍छा महसूस होता है। शिशु को यह पता होता है कि जब वो रोएगा तो कोई उसकी देखभाल के लिए मौजूद है, उसे दूध पीने को मिलेगा और डायपर बदली जाएगी। शिशु को दुनिया एक सुरक्षित जगह लगने लगती है। रात में बच्‍चे को अकेला सुलाने पर ऐसा कुछ नहीं हो पाता है। ऐसे में बच्‍चे को लगता है कि उसे ही एडजस्‍ट करना होगा।

सुरक्षा का एहसास
साथ सोने पर शिशु को सुरक्षा का एहसास होता है। आजकल पैरेंट्स अपने बच्‍चे को आत्‍मनिर्भर बनाना चाहते हैं जिसके लिए बच्‍चे को स्‍लीप ट्रेनिंग या अकेले सुलाया जाता है। हालांकि, नवजात शिशु के साथ ऐसा करना बिल्‍कुल भी सही नहीं है। शिशु को आत्‍मनिर्भर बनाने का यह सही तरीका नहीं है। अगर आप बच्‍चे को अपने साथ सुलांएंगे तो इससे उसमें सुरक्षा की भावना आएगी और वो अपने आप ही आत्‍मनिर्भर बनने लगेगा।

सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम
बच्‍चे को अलग सुलाने पर अक्‍सर सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम का खतरा रहता है। वहीं, पैरेंट्स के साथ सोने पर इसकी संभावना बहुत कम हो जाती है। साथ सोने पर शिशु ठीक तरह से सांस ले पाता है और उसका शरीर का तापमान भी संतुलित रहता है। मां या पिता के गले लगकर सोने से जहां शिशु को इमोशनल सपोर्ट मिलता है, वहीं ऑक्‍सीजन का लेवल भी बढ़ जाता है। इससे बच्‍चे की इम्‍यूनिटी भी बढ़ती है और दिमाग का विकास भी बेहतर होता है। अध्‍ययनों में भी यह बात सामने आई है कि जहां शिशु अपने पैरेंट्स के साथ सोते हैं, वहां सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम के मामले कम होते हैं।

अगला लेख

Lifestyleकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग