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प्रेग्‍नेंसी में हो गई ये परेशानी तो निकल जाते हैं आंसू, समझ नहीं आता आखिर क्‍या करें

प्रेग्‍नेंसी में हार्मोनल बदलाव होना एक आम बात है। कुछ महिलाओं को इसकी वजह से आईबीएस की प्रॉब्‍लम भी हो जाती है। वहीं कुछ महिलाओं को गर्भावस्‍था से पहले ही आईबीएस होता है। इसके कारण महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी में कुछ दिक्‍कतें हो सकती हैं।

Authored byपारुल रोहतगी | नवभारतटाइम्स.कॉम 1 Jul 2022, 10:59 am
ईर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम या आईबीएस आंतों का एक ऐसा विकार है जिसमें बार-बार पेट दर्द और असहजता महसूस होती है। आईबीएस, इंफ्लामेट्री बाउल डिजीज से अलग होता है। प्रेग्‍नेंसी में भी आईबीएस हो सकता है। प्रेग्‍नेंसी की वजह से पाचन और मल त्‍याग करने की क्रिया में बदलाव आता है। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि प्रेग्‍नेंसी में आईबीएस की प्रॉब्‍लम क्‍यों होती है, इसके लक्षण क्‍या हैं और किस तरह से इसे ठीक किया जा सकता है।
नवभारतटाइम्स.कॉम causes symptoms and treatment for irritable bowel syndrome in pregnancy
प्रेग्‍नेंसी में हो गई ये परेशानी तो निकल जाते हैं आंसू, समझ नहीं आता आखिर क्‍या करें


क्‍या है कारण

प्रेग्‍नेंसी और आईबीएस के बीच संबंध की पूरी जानकारी नहीं है और इस विषय पर अपर्याप्‍त अध्‍ययन हुए हैं। कुछ स्थितियों में प्रेगनेंट महिलाओं को आईबीएस हो सकता है। प्रेग्‍नेंसी के दौरान हार्मोनल बदलाव होते हैं जिनका सीधा असर आंतों पर पड़ता है।

गर्भावस्‍था में यूट्रेस का साइज बढ़ता है और इससे गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल सिस्‍टम पर प्रेशर पड़ता है। इससे बार-बार पेट में ऐंठन हो सकती है और मल त्‍याग की आदतों में भी बदलाव आ सकता है। इसके अलावा गर्भवती म‍हिलाओं को कई कारणों से मानसिक तनाव हो जाता है। स्‍ट्रेस से आतों को ब्रेन से मिलने वाले नर्व सिग्‍नल प्रभावित हो सकते हैं। एंग्‍जायटी या डिप्रेशन में महिलाओं को आईबीएस हो सकता है।

आईबीएस के लक्षण

कुछ महिलाओं को लक्षणों में सुधार महसूस होता है जबकि कुछ के लक्षण बढ़ जाते हैं। प्रेग्‍नेंसी के किसी भी स्‍टेज पर यह प्रॉब्‍लम हो सकती है। इसके लक्षणों में दस्‍त, कब्‍ज, पेट में दर्द और ऐंठन, पेट फूलना और गैस बनना और कुछ मामलों में भूख कम लगना शामिल है।

फोटो साभार : TOI

​क्‍या करें

डाइट में बदलाव करें जैसे कि बॉडी को हाइड्रेट रखना और गैस पैदा करने वाले फूड्स जैसे कि ब्रोकली, पत्तागोभी, स्‍प्राउट्स आदि ना खाएं। ज्‍यादा मसालेदार चीजें ना खाएं।

फोटो साभार : TOI

​डाइट के लिए टिप्‍स

आईबीएस की प्रॉब्‍लम है तो ज्‍यादा पानी पिएं और फाइबर वाले फूड खाएं जैसे कि फल और सब्जियां लें। फैट और तेल में तली हुई चीजें ना खाएं और सोडा और कैफीन वाले पेय पदार्थों से दूर रहें। आप थोड़ी-थोड़ी देर में कम मात्रा में खाएं और धीरे-धीरे खाएं।

फोटो साभार : TOI

​लाइफस्‍टाइल में करें बदलाव

प्रेग्‍नेंसी में आईबीएस से बचने या इसका इलाज करने के लिए एंग्‍जायटी, डिप्रेशन या स्‍ट्रेस से दूर रहें। ब्रीदिंग एक्‍सरसाइज करें, पैदल चलें और गाने सुनें। इससे आप रिलैक्‍स महसूस करेंगे। स्‍ट्रेस की वजह से भी पाचन प्रभावित होता है और पेट ठीक तरह से साफ नहीं हो पाता है।

​क्‍या प्रेग्‍नेंसी में कॉम्प्लिकेशन आ सकती है

आईबीएस की वजह से प्रेग्‍नेंसी में कोई विशेष कॉम्प्लिकेशन नहीं आती है। हालांकि, अगर प्रेग्‍नेंसी से पहले से ही आईबीएस है तो मिसकैरेज, एक्‍टोपिक प्रेग्‍नेंसी, प्रीक्‍लैंप्सिया और स्टिलबर्थ का खतरा रहता है। यह सिंड्रोम लंबे समय या जिंदगीभर रह सकता है लेकिन इससे आंतों को कोई परमानेंट डैमेज नहीं होता है। आईबीएस से जिंदगी को कोई खतरा नहीं होता है लेकिन बॉडी में कुछ दिक्‍कतें महसूस हो सकती हैं।

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लेखक के बारे में
पारुल रोहतगी
पारुल रोहतगी को पत्रकारिता के क्षेत्र में 9 वर्षों से अधिक अनुभव है। इन्‍होंने डिजिटल के साथ-साथ प्रिंट मीडिया में भी काम किया हुआ है। वर्तमान में ये NBT के लाइफस्टाइल फैमिली सेक्शन में बतौर कंसल्टेंट काम कर रही हैं। इन्‍हें अलग-अलग विषयों पर लिखना और अपने लेखों से लोगों को जानकारी देना पसंद है। इन्‍हें हेल्‍थ, एस्‍ट्रोलॉजी, लाइफस्टाइल, टेक आदि सेक्‍शन पर लिखने का अनुभव भी है। खाली समय में इन्‍हें किताबें पढ़ना और नई टेक्नोलॉजी को सीखना पसंद है।... और पढ़ें

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