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बच्चे का मार्क्स है कम? करें ये उपाय, टेंशन होगी कम

सीबीएसई 12वीं के नतीजे आ चुके हैं। ऐसे में बच्चों पर प्रेशर डालने की बजाए पैरंट्स को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि अगर बच्चे का नंबर उम्मीद के मुताबिक नहीं है तब भी बच्चा किसी तरह के स्ट्रेस या डिप्रेशन में न आ जाए।

नवभारतटाइम्स.कॉम 3 May 2019, 1:42 pm
CBSE 12वीं के नतीजे आ चुके हैं। ऐसे में जिन स्टूडेंट्स का रिजल्ट बेहतरीन हुआ है उन्हें तो किसी बात की टेंशन नहीं है। लेकिन जिन बच्चों के नंबर कम आए हैं या फिर जिनका खराब रिजल्ट आया है वैसे स्टूडेंट्स तनाव की स्थिति में जा सकते हैं। इन सबको देखते हुए पैरंट्स को अपने बच्चों की खास देखभाल करने के साथ ही उन्हें प्रोत्साहित करने की जरूरत होती है।
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बच्चे का नंबर है कम तो ऐसे करें डील


बच्चे को तनाव में डाल देता है पैरंट्स का प्रेशर
कम नंबर आने पर बच्चे जितना अपने रिजल्ट से खुद दुखी नहीं होते, उससे कहीं ज्यादा इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि वे अपने पैरंट्स की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे क्योंकि माता-पिता का प्रेशर बच्चों को तनाव में डाल देता है। दिल्ली सायकाएट्रिक सेंटर के डायरेक्टर डॉ. सुनील मित्तल का कहना है कि पैरंट्स अपनी महत्वाकांक्षाएं बच्चों पर न लादें और बच्चों से बात करें। बात करने से बच्चों का प्रेशर कम होता है और फिर उनमें एक नई एनर्जी आती है कि यह रिजल्ट उनकी जिंदगी का फैसला नहीं कर सकता।

पैरंट्स के प्यार भरे शब्द
डॉ. मित्तल का कहना है कि रिजल्ट के बाद बच्चों के अंदर एक डर बैठ जाता है। धीरे-धीरे वह खुद हीन भावना का शिकार हो जाते हैं। 90 प्रतिशत केसेज में बच्चों की समस्या बात करने से दूर हो जाती है। पैरंट्स के प्यार भरे दो शब्द बच्चे को डिप्रेशन से निकाल सकते हैं। बच्चे का रिजल्ट अगर खराब भी हुआ है तो भी उसे बहुत ज्यादा न डांटें और किसी भी तरह की टिप्पणी से बचें।

दूसरों से तुलना न करें
अपने बच्चे के रिजल्ट की तुलना अपने दोस्तों या रिश्तेदारों के उन बच्चों से बिलकुल न करें जिन्होंने आपके बच्चे से बेहतर प्रदर्शन किया है। हर बच्चा अपने आप में यूनीक होता है और हर बच्चे का टैलंट और दिमाग दूसरे बच्चे से अलग होता है। सबसे अहम बात दूसरों के सामने बच्चे के रिजल्ट की आलोचना बिलकुल न करें। इससे बच्चे के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है।
ऐसी बातों से बचें
अगर आपके बच्चे का रिजल्ट आपकी या बच्चे की उम्मीदों के मुताबिक नहीं है तब भी बच्चे को बेवजह का उपदेश न दें कि मैंने तो तुम्हें पहले ही कहा था, तुम्हें और मेहनत करनी चाहिए थी... इस तरह की बातों से बचें। इस तरह की बातों से बच्चे की निराशा और तनाव में बढ़ोतरी होती है। इस वक्त बच्चे की पिछली गलतियों का जिक्र कर उसे असफल ठहराने की बजाए, बच्चा भविष्य में बेहतर कैसे कर सकता है, यह सोचने की जरूरत है।

स्ट्रेस दूर करने की करें कोशिश
रिजल्ट आने के बाद पैरंट्स को चाहिए कि वे बच्चों पर नजर रखें। स्ट्रेस दूर करने के लिए वह बच्चे के साथ गेम्स या मूवी भी देख सकते हैं। रिजल्ट जारी होने के बाद बच्चे के व्यवहार में होने वाले परिवर्तन पर गौर करें। रिजल्ट के बारे में बच्चे से आराम से बात करें। पैरेंट्स की उपेक्षा का बच्चों पर बुरा असर पड़ सकता है और वह गलत कदम उठा सकते हैं। लिहाजा जहां तक संभव हो बच्चे को प्रोत्साहित करने की कोशिश करें।

डिप्रेशन के लक्षणों को समझें
अगर आप सबकुछ कर चुके हैं लेकिन फिर भी लगता है कि आपका बच्चा समाज के साथ जुड़ नहीं पा रहा है, जो चीजें उसे पसंद थीं अब नहीं हैं, वह अपने दोस्तों से भी कट रहा/रही है। तो इस बात को गंभीरता से लें। ये डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं। जल्द मनोचिकित्सक से मिलें।

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