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प्रेगनेंसी में घी खाने से होती है नॉर्मल डिलीवरी, जानें क्‍या है सच्‍चाई

भारतीय आहार में घी का बहुत इस्‍तेमाल किया जाता है और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए घी बहुत लाभकारी भी होता है। इसलिए प्रेगनेंट महिलाओं को खासतौर पर प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में रोज घी खाने की सलाह दी जाती है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 25 Jul 2020, 7:00 am
माना जाता है कि गर्भावस्‍था के नौवें महीने में घी खाने से नॉर्मल डिलीवरी होती है और मां एवं बच्‍चा दोनों स्‍वस्‍थ रहते हैं। घी और नॉर्मल डिलीवरी के बीच संबंध को लेकर विशेषज्ञों का क्‍या मानना है, आइए जानते हैं।
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प्रेगनेंसी में घी खाने से होती है नॉर्मल डिलीवरी, जानें क्‍या है सच्‍चाई



​प्रेगनेंसी में घी खाने के फायदे

घी में रेचक गुण होते हैं जो प्रसव लाने में मदद करते हैं। ये योनि को चिकना करने और फिर आराम से डिलीवरी करवाने का गुण रखता है। घी पाचन को दुरुस्‍त कर प्रेगनेंसी में कब्‍ज से बचाता है। घी खाने से शिशु के मस्तिष्‍क के विकास को बढ़ावा मिलता है। इससे प्रेगनेंट महिला का शरीर मजबूत, गर्म और पोषित रहता है।

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​घी खाने से नॉर्मल डिलीवरी होती है

इस बात में कोई शक नहीं है कि घी खाने से सेहत को कई लाभ मिलते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि घी खाने से नॉर्मल डिलीवरी की गारंटी मिलती है। एक रिसर्च के मुताबिक, महिला के वजन के आधार पर प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में 200 से 300 कैलोरी की जरूरत होती है।

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​घी में कैलोरी की मात्रा

चूंकि, हर महिला की प्रेगनेंसी और स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति अलग होती है, इसलिए डॉक्‍टर ही आपको बता पाएंगे कि आपको कितनी कैलोरी की जरूरत है। घी में भी कैलोरी और फैट होता है, लेकिन इसके अधिक सेवन के कारण मोटापा हो सकता है इसलिए सीमित मात्रा में ही घी खाएं।

अगर आप ऐसा करती हैं तो डिलीवरी के बाद वजन घटाने के लिए आपको ज्‍यादा मेहनत करनी पड़ेगी और आहार में अधिक घी लेने की वजह से मतली और कमजोरी महसूस हो सकती है।

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​प्रेगनेंसी में कितना घी खाएं

डॉक्‍टरों की मानें तो प्रेगनेंट महिलाओं को एक दिन में पांच से आठ चम्‍मच से ज्‍यादा टोटल फैट नहीं लेना चाहिए। हालांकि, डॉक्‍टर कुछ स्थितियों में फैट के सेवन की मात्रा में बदलाव कर सकते हैं। इन स्थितियों में मोटापा और पथरी होना शामिल है।

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