मिडल क्लास फैमिली है
इस नई चेब सीरीज में मिश्रा फैमिली की कहानी दिखाई गई है जिसमें बिजली विभाग में काम करने वाले संतोष मिश्रा हैं और उनकी पत्नी शांति मिश्रा हैं, बड़ा बेटा आनंद मिश्रा इंजीनियरिंग और एसएससी की पढ़ाई कर रहा है और छोटा बेटा अमन मिश्रा दसवीं कक्षा में पढ़ रहा है। इस सीरीज को देखकर शायद आप भी एक नॉर्मल मिडल क्लास फैमिली से कनेक्ट कर पाएंगे।
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बच्चों की जिद करने की आदत सुधारने के उपाय
भाई-बहन बनते हैं हिम्मत
रक्षाबंधन की सुबह जब घर के बड़े संतोष की बहन के आने की तैयारियों में व्यस्त होते हैं, तब अन्नू टेंशन में छत पर घूम रहा होता है। इसके बाद हम अन्नू को अपने छोटे भाई अमन में अपने डर और हिचकिचाहट के बारे में बताते हुए देखते हैं, जो बड़े भाई की तरह ही घबराया हुआ लगता है। इस सीन को देखकर आप समझ सकते हैं कि जिंदगी में जब भी हमें सही रास्ता देखना होता है या कुछ बड़ा करने के लिए हिम्मत चाहिए होती है, तो वो हमें हमारे भाई-बहन ही देते हैं।
फेलियर पर पैरेंट्स का रिएक्शन
जब बहुत ज्यादा परेशान अन्नू अपनी मां को परीक्षा में फेल होने की बात बताता है तो सुबह से ही परेशान शांति बेहोश हो जाती है। अगले कुछ मिनटों तक पूरे मिश्रा हाउस में टेंशन का माहौल रहता है। मां बिस्तपर पर लेटी है, पिता उसके सिरहाने बैठा है और अन्नू बाहर गिल्ट से परेशान है। इंडिया में बच्चों की फेलियर पर कुछ इस तरह का रिएक्शन आना काफी काम है।
नेगेटिव मोटिवेशन
संतोष अपनी बीमार पत्नी के पास अपने बेटे को बुलाता है और आगे जो कुछ भी होता है, उससे सभी की आंखों में आंसू आ जाते हैं। संतोष अपने बेटे से कहता है कि उसे अपनी फेलियर को लेकर बुरा महसूस करने की जरूरत नहीं है। अपने बेटे को हिम्मत देने के लिए वो उन लोगों का उदाहरण देता है जिन्हें परीक्षा पास करने में 3 से 4 बार एग्जाम देना पड़ा था।
अगली बार करना ट्राई
शांति भी अपने बेटे से कहती है कि उसे बुरा महसूस करने की जरूरत नहीं है बल्कि उसे दोबारा ट्राई करना चाहिए। वो कहती है 'फेल ही तो हुए हो... जिंदगी खत्म नहीं हुई है'। जब अन्नू ये सब सुनता है तो वो अपने पापा से पूछता है 'आप नाराज नहीं हो'?
इस पर पिता कहते हैं -बिलकुल हैं... पर क्या मां-बाप तुमको कुछ भी ना बोलें?'
उन्होंने कहा कि बच्चों को चेतावनी देने का यह साइकोलॉजिकल तरीका है।