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सिजेरियन ऑपरेशन से पैदा हुए बच्‍चों की कमजोर होती है इम्‍यूनिटी, Vaginal seeding से बन सकते हैं स्‍ट्रॉन्‍ग

सिजेरियन ऑपरेशन से पैदा हुए बच्‍चों के लिए वजाइनल सीडिंग बहुत फायदेमंद होती है। इससे नवजात शिशु के स्‍वास्‍थ्‍य को कई तरह के लाभ मिल सकते हैं।

नवभारतटाइम्स.कॉम 3 Mar 2021, 11:28 am
विज्ञान के क्षेत्र में आज इतनी तरक्‍की हो चुकी है कि कोई भी काम अब मुश्किल नहीं रहा है। कंसीव ना कर पाने या पैदा हुए बच्‍चे में किसी भी तरह के विकार का इलाज अब मेडिकल क्षेत्र में मिल जाएगा। वजाइनल सीडिंग की प्रक्रिया नई है और दुनियाभर में महिलाओं के बीच धीरे-धीरे अपनी पहचान बना रही है।
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सिजेरियन ऑपरेशन से पैदा हुए बच्‍चों की कमजोर होती है इम्‍यूनिटी, Vaginal seeding से बन सकते हैं स्‍ट्रॉन्‍ग


जी हां, जिन बच्‍चों की जन्‍म के बाद इम्‍यूनिटी कमजोर होती है या जो सिजेरियन ऑपरेशन से पैदा हुए होते हैं, उनके लिए वजाइनल सीडिंग बहुत फायदेमंद साबित होती है।

​क्‍या होती है वजाइनल सीडिंग

वजाइनल सीडिंग को माइक्रो बर्थिंग भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में सी-सेक्‍शन से पैदा हुए बच्‍चे को जन्‍म के तुरंत बाद मां की योनि के फ्लूइड से कवर कर के रखा जाता है। इससे शिशु को कई तरह के लाभ मिलते हैं।

नॉर्मल डिलीवरी से पैदा हुए बच्‍चों की इम्‍यूनिटी मजबूत होती है और उनमें कुछ ऑटोइम्‍यून बीमारियों का खतरा कम रहता है। इसका एक कारण यह है कि नॉर्मल डिलीवरी में बच्‍चे मां के वजाइनल फ्लूइड के संपर्क में आते हैं जिसमें शिशु को स्‍वस्‍थ रखने का गुड बैक्‍टीरिया होता है। वहीं सी-सेक्‍शन से पैदा हुए बच्‍चों को इस फ्लूइड के फायदे नहीं मिल पाते हैं और यहीं वजाइनल सीडिंग काम आती है।

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​कैसे काम करती है वजाइनल सीडिंग

यह प्रक्रिया बहुत आसान होती है। सिजेरियन ऑपरेशन के बाद मां के वजाइनल फ्लूइड को रूई के फाहे की मदद से शिशु के मुंह, नाक और त्‍वचा में डाला जाता है। टैंपोन की तरह एक साफ उपकरण को मां की योनि में डालकर एक घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है। यह सिजेरियन ऑपरेशन से पहले होता है। इसके बाद रूई के फाहे को एक साफ कंटेनर में रखा जाता है ताकि जन्‍म के बाद शिशु के लिए इसका उपयोग किया जा सके।

सी-सेक्‍शन हो जाने के बाद रूई के फाहे को शिशु की नाक, मुंह और पूरी त्‍वचा पर लगाया जाता है।

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​क्‍यों की जाती है वजाइनल सीडिंग

सिजेरियन ऑपरेशन में शिशु को सबसे पहले गंदे माइक्रोब्‍स के संपर्क में आना पड़ता है जबकि नॉर्मल डिलीवरी में बच्‍चा गुड बैक्‍टीरिया के संपर्क में आता है। ये बैक्‍टीरिया बच्‍चे को लंबे समय तक पाचन और सांस से संबंधित विकारों से बचाने में मदद करता है। वजाइनल सीडिंग से ऑपरेशन से पैदा हुए बच्‍चों को यही लाभ देने की कोशिश की जाती है।

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​वजाइनल सीडिंग के फायदे

मां की जन्‍म नलिका में बहुत सारा हेल्‍दी फ्लोरा होता है जो शिशु के लिए अत्‍‍यधिक फायदेमंद होता है। नॉर्मल डिलीवरी में बच्‍चा इस गुड फ्लोरा से ढका होता है और उसे जीवनभर इसका लाभ मिलता है।

नॉर्मल डिलीवरी से पैदा हुए बच्‍चों को हे फीवर, इम्‍यून विकारों और अस्‍थमा, एक्जिमा जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा कम देखा गया है। वहीं दूसरी ओर, सी-सेक्‍शन से पैदा हुए बच्‍चों में एलर्जिक बीमारियों और दीर्घकालिक विकारों का खतरा ज्‍यादा रहता है।

वजाइनल सीडिंग से शिशु को मां की योनि के फ्लूइड से मिलने वाले लाभ देने की कोशिश की जाती है ताकि उसे भी जीवनभर बीमारियों से बचने का कवच मिल सके।

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