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World breastfeeding week : दूध पिलाने वाली मां को हो जाए एनीमिया, तो बच्‍चे की बिगड़ सकती है सेहत

महिलाओं में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया एक आम समस्‍या है। कुछ महिलाओं को स्‍तनपान के दौरान आयरन डेफिडिशएंसी एनीमिया हो जाता है। 1 अगस्‍त से 7 अगस्‍त तक 'वर्ल्‍ड ब्रेस्‍टफीडिंग वीक' मनाया जाता है और इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं कि ब्रेस्‍टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं के शिशु में किस तरह आयरन की कमी से एनीमिया हो सकता है।

Authored byपारुल रोहतगी | नवभारतटाइम्स.कॉम 30 Jul 2022, 4:36 pm
एनीमिया को शरीर में आयरन की कमी के रूप में बताया गया है जिससे हीमोग्‍लोबिन युक्‍त लाल रक्‍त कोशिकाओं का स्‍तर कम हो जाता है जिससे पूरे शरीर में खून की सप्‍लाई बाधित होने लगती है।
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World breastfeeding week : दूध पिलाने वाली मां को हो जाए एनीमिया, तो बच्‍चे की बिगड़ सकती है सेहत


लगभग 50 से 60 प्रतिशत एनीमिया के मामले आयरन की कमी की वजह से होते हैं और बाकी मामले विटामिन बी12, विटामिन ए, विटामिन बी6 और फोलिक एसिड की कमी से होते हैं और कुछ इंफ्लामेट्री और दीर्घकालिक बीमारियां भी इसका कारण हो सकती हैं।

एनीमिया का असर ब्रेस्‍टफीडिंग पर भी पड़ता है और इससे नवजात शिशु में कुछ विकासात्‍मक यानि डेवलपमेंटल प्रॉब्‍लम हो सकती हैं। ब्रेस्‍टमिल्‍क में आयरन कम मात्रा में पाया जाता है (लगभग 0.4 मिलीग्राम / लीटर), जो कि पहले चार महीनों में शिशु की आयरन की आवश्यकता को पूरा कर सकता है। छह महीने के बाद शिशु की आयरन की जरूरत को ब्रेस्‍टमिल्‍क से पूरा नहीं किया जा सकता है।

प्रेग्‍नेंसी में डाइट

प्रेग्‍नेंसी में महिला द्वारा लिए गए पोषण का बहुत महत्‍व होता है। आयरन से युक्‍त खाद्य पदार्थों का सही सेवन या आयरन सप्‍लीमेंट लेने से शिशु को भरपूर पोषण मिल पाता है और कुछ न्‍यूट्रिशन को वो आगे के लिए भी स्‍टोर कर पाता है।

​ब्रेस्‍टफीडिंग के समय एनीमिया क्‍यों होता है

ब्रेस्‍टफीडिंग के दौरान फुल टर्म हेल्‍दी बेबी को चार महीने के होने के बाद मां के दूध से पर्याप्‍त आयरन नहीं मिल पाता है। इसलिए इस समय बच्‍चा पहले से स्‍टोर किए गए आयरन का इस्‍तेमाल करता है जो उसके शरीर को 6 महीने तक आयरन की आपूर्ति करने में मदद करता है।

​क्‍या करता है आयरन

नवजात शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में आयरन मदद करता है और आसानी से थकान होने से भी बचाता है। नवजात शिशु में आयरन की कमी से एनीमिया हो सकता है जो बच्‍चे की ग्रोथ और डेवलपमेंट को प्रभावित कर सकता है।

​आयरन सप्‍लीमेंट्स

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार जो शिशु सिर्फ मां का दूध पी रहे हैं, उनके चार महीने के होने के बाद पैरेंट्स को आयरन सप्‍लीमेंट शुरू कर देने चाहिए। चार महीने के बच्‍चे को ब्रेस्‍ट मिल्‍क के बाद फॉर्मूला मिल्‍क या आयरन फोर्टिफाइड फॉर्मूला मिल्‍क पिलाने की सलाह दी जाती है जबकि छह महीने से बड़े बच्‍चों को आयरन से युक्‍त चीजें या आयरन फोर्टिफाइड अनाज दिए जा सकते हैं।

हालांकि, शिशु को कोई भी आयरन सप्‍लीमेंट या फॉर्मूला मिल्‍क देने से पहले डॉक्‍टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है।

​नवजात शिशु को कैसे बचाएं

जानिए कि आप अपने शिशु को आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया से कैसे बचा सकते हैं :

  • समय से पहले जन्म लेने वाले यानि प्रीटर्म शिशुओं या 37 सप्ताह से पहले जन्म लेने वाले बच्‍चों को पहले महीने से एक साल तक 2 मिलीग्राम/किलोग्राम प्रति दिन की दर से आयरन की खुराक मिलनी चाहिए।
  • स्वस्थ और समय से पैदा होने वाले शिशुओं को छह महीने तक स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है।
  • बच्चे को पहले साल में गाय के दूध से दूर रखें। छह महीने की उम्र के बाद स्वस्थ बच्चों के लिए आयरन सप्लीमेंट या फार्मूला-फीड शुरू करना सही हो सकता है।

फोटो साभार : TOI

लेखक के बारे में
पारुल रोहतगी
पारुल रोहतगी को पत्रकारिता के क्षेत्र में 9 वर्षों से अधिक अनुभव है। इन्‍होंने डिजिटल के साथ-साथ प्रिंट मीडिया में भी काम किया हुआ है। वर्तमान में ये NBT के लाइफस्टाइल फैमिली सेक्शन में बतौर कंसल्टेंट काम कर रही हैं। इन्‍हें अलग-अलग विषयों पर लिखना और अपने लेखों से लोगों को जानकारी देना पसंद है। इन्‍हें हेल्‍थ, एस्‍ट्रोलॉजी, लाइफस्टाइल, टेक आदि सेक्‍शन पर लिखने का अनुभव भी है। खाली समय में इन्‍हें किताबें पढ़ना और नई टेक्नोलॉजी को सीखना पसंद है।... और पढ़ें

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