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पैरेंट्स ने अब भी इन बेकार चीजों में जकड़ रखा है अपने बच्‍चों को, बदल दें वरना मुसीबत में पड़ जाएंगे

पैरेंटिंग कोई आसान काम नहीं है। इस सफर में माता-पिता के सामने कई उतार-चढ़ाव आते हैं और पैरेंट्स से भी कई बार गलतियां हो जाती हैं। इस आर्टिकल में हम आपको पैरेंटिंग से जुड़े कुछ ऐसे मिथकों के बारे में बता रहे हैं जिन्‍हें अब तोड़ देना ही बेहतर होगा और आज के पैरेंट्स को इनको फॉलो नहीं करना चाहिए।

Authored byपारुल रोहतगी | नवभारतटाइम्स.कॉम 29 Sep 2022, 2:55 pm
घर की चारदीवारी के अंदर बच्‍चों के साथ कई अपराध हो जाते हैं और कई बार तो अपराध करने या पीडित करने वाला परिवार का सदस्‍य ही निकलता है। पैरेंट्स को बच्‍चों को अपने बड़ों पर आंख मूंदकर भरोसा करना नहीं सिखाना चाहिए बल्कि उसे अपनी सूझबूझ का इस्‍तेमाल कर के यह समझना चाहिए कि उसे किस पर भरोसा करना चाहिए और कौन उसके भरोसे के काबिल नहीं है। अगर आपका बच्‍चा किसी बड़े व्‍यक्‍ति या सदस्‍य के बारे में कोई बुरी या गलत बात बताता है तो उसे इग्‍नोर ना करें बल्कि सही तरीके से उसकी बात को सुनें।
नवभारतटाइम्स.कॉम these parenting myths are harmful for parent and child
पैरेंट्स ने अब भी इन बेकार चीजों में जकड़ रखा है अपने बच्‍चों को, बदल दें वरना मुसीबत में पड़ जाएंगे


यदि कोई बड़ा व्‍यक्‍ति बच्‍चे से बदतमीजी से बात करता है या उसके साथ ठीक तरह से व्‍यवहार नहीं करता है, तो बच्‍चे को इसके लिए मजबूर ना करें। पैरेंट्स को ऐसे लोगों को अपने बच्‍चे से दूर ही रखना चाहिए।

तुमसे ज्‍यादा दुनिया देखी है

जब बच्‍चा अपने पैरेंट्स को अपने मन की कोई बात बताता है तो अक्‍सर पैरेंट्स उसे यह कह कर चुप करवा देते हैं कि हमने तुमसे ज्‍यादा दुनिया देखी है और हमें ज्‍यादा पता है। एक्‍सपीरियंस सिर्फ उम्र से नहीं आता है। 70 साल के दादा या दादी से ज्‍यादा स्‍कूल का एक्‍सपीरियंस बच्‍चे को होगा।

अगर आपका बच्‍चा आपके पास किसी सलाह के लिए आता है तो उसकी बात को जरूर सुनें।

​तुमसे ज्‍यादा दुनिया देखी है

जब बच्‍चा अपने पैरेंट्स को अपने मन की कोई बात बताता है तो अक्‍सर पैरेंट्स उसे यह कह कर चुप करवा देते हैं कि हमने तुमसे ज्‍यादा दुनिया देखी है और हमें ज्‍यादा पता है। एक्‍सपीरियंस सिर्फ उम्र से नहीं आता है। 70 साल के दादा या दादी से ज्‍यादा स्‍कूल का एक्‍सपीरियंस बच्‍चे को होगा।

अगर आपका बच्‍चा आपके पास किसी सलाह के लिए आता है तो उसकी बात को जरूर सुनें।

फोटो साभार : TOI

​पैरेंट्स को गलत नहीं होना चाहिए

पैरेंटिंग में भी बहुत उतार-चढ़ाव आते हैं और इसके लिए कोई मैनुअल नहीं होता है। बच्‍चे को सही और गलत सिखाए बिना उससे हर तरह से सही होने की उम्‍मीद ना करें। बच्चों के सामने सही व्यक्ति होने का यह बोझ कई माता-पिता के मानसिक सुख को खत्म कर देता है।

फोटो साभार : TOI

​बच्‍चों के इमोशंस नहीं होते हैं

बच्चों की भी भावनाएं होती हैं, लेकिन इस चीज को हमने वयस्‍कों तक ही सीमित कर दिया है। अगर आपका बच्चा नाखुश है, तो उससे बात करें। अपने आसपास डर और भय का ऐसा बुलबुला न बनाएं जो आपके बच्चे को समझदार और अनिच्छुक बना दे।

​मां है पालनहार

नहीं, पिता और माता दोनों ही पालन-पोषण करने वाले हैं। एक बच्चे के पालन-पोषण की जिम्मेदारी पूरी तरह से मां को नहीं दी जानी चाहिए। बच्चे की परवरिश एक समान जिम्मेदारी है, उसमें लैंगिक असमानता नहीं होनी चाहिए।

अगर कोई मां अपने काम में आगे बढ़ना चाहती है तो यह पार्टनर और परिवार के सदस्यों का कर्तव्य है कि वह उसमें उसका साथ दें।

बच्‍चों के आगे शादी कमतर है

नवविवाहित जोड़े को हमेशा जल्द से जल्द फैमिली प्‍लानिंग करने के लिए कहा जाता है। एक जोड़े को हमेशा यह मानने के लिए मजबूर किया जाता है कि शादी का अंतिम लक्ष्य चाहे जो भी हो, पहले बच्‍चे कर लेने चाहिए।

इसके आसपास के इस मिथक और मानसिकता को रोकने की जरूरत है। शादी और पैरेंटिंग साथ-साथ चलते हैं। एक को दूसरे के लिए बैक सीट लेने की जरूरत नहीं है।

फोटो साभार : pexels

इस आर्टिकल को अंग्रेजी में पढ़ें

लेखक के बारे में
पारुल रोहतगी
पारुल रोहतगी को पत्रकारिता के क्षेत्र में 9 वर्षों से अधिक अनुभव है। इन्‍होंने डिजिटल के साथ-साथ प्रिंट मीडिया में भी काम किया हुआ है। वर्तमान में ये NBT के लाइफस्टाइल फैमिली सेक्शन में बतौर कंसल्टेंट काम कर रही हैं। इन्‍हें अलग-अलग विषयों पर लिखना और अपने लेखों से लोगों को जानकारी देना पसंद है। इन्‍हें हेल्‍थ, एस्‍ट्रोलॉजी, लाइफस्टाइल, टेक आदि सेक्‍शन पर लिखने का अनुभव भी है। खाली समय में इन्‍हें किताबें पढ़ना और नई टेक्नोलॉजी को सीखना पसंद है।... और पढ़ें

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