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घर को पलूशन फ्री बनाने के लिए अपनाएं ये टिप्स

अक्सर हम सोच लेते हैं कि पल्यूशन केवल बाहर होता है और घर के भीतर का वातावरण बिल्कुल स्वच्छ होता है। लेकिन आपका यह सोचना बिल्कुल गलत है। हाल ही में आए आंकड़े बताते हैं कि हर साल 43 लाख लोग घर के अंदर होने वाले पल्यूशन के शिकार हो रहे हैं।

नवभारत टाइम्स 4 Mar 2017, 10:36 am
अक्सर हम सोच लेते हैं कि पल्यूशन केवल बाहर होता है और घर के भीतर का वातावरण बिल्कुल स्वच्छ होता है। लेकिन आपका यह सोचना बिल्कुल गलत है। हाल ही में आए आंकड़े बताते हैं कि हर साल 43 लाख लोग घर के अंदर होने वाले पल्यूशन के शिकार हो रहे हैं। घर को पल्यूशन फ्री बनाने के लिए कुछ बातों पर गौर करें, तो इससे आसानी छुटकारा पाया जा सकता है। घर के भीतर हवा में भी धूल कण और कीटाणु मौजूद होते हैं। शायद आपको यह पता भी होगा। इनकी वजह से कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स आ जाती हैं। इसके लिए जरूरी है घर बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना।
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घर को पलूशन फ्री बनाने के लिए अपनाएं ये टिप्स


वुडन फ्लोरिंग
घर को बनवाते समय सिरेमिक टाइल्स, मार्बल और पत्थर लगवाने की बजाय वुडन फ्लोरिंग करवाएं या फिर घर के किसी हिस्से को वुडन फ्लोरिंग रखें। अगर घर के अंदर बहुत सारा बेकार का सामान भरा पड़ा हो, तो भी वहां घुटन का एहसास होता है। इससे बचने के लिए अपने घर के अंदर पड़े बेकार सामान को फेंक दें या बेच दें।

बिजली का बिल कम
इको फ्रेंडली घरों में एनर्जी की खपत को कम करने वाले उपकरण लगाए जाते हैं। साथ ही ऐसे यंत्र इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनमें मेंटीनेंस का खर्च न के बराबर हो। सौर ऊर्जा का पूरा इस्तेमाल किया जाता है। इससे न ही बिजली का बिल आता है और न ही वातावरण को कोई नुकसान पहुंचता है।

हरे रंग का प्रयोग
घर के वातावरण को पॉजिटिव बनाने के लिए डेकोरेशन में हरे कलर को प्रिफरेंस दी जाती है। डेकोरेटिव आइटम्स में ग्रीन कलर का यूज किया जाता है। आप इन्वाइरनमेंट फ्रेंडली इंडोर प्लांट्स रखकर घर के वातावरण और वायु को फ्रेश रख सकती हैं। घर में पर्याप्त ऑक्सीजन और ताजी हवा के लिए घर के अंदर हरे भरे पौधे लगाएं। अगर आपके घर में बालकनी है, तो उसे कवर करने के बजाय खुला रखें और वहां अपने मनपसंद फूलों वाले पौधे लगाएं। इससे घर का वातावरण हेल्दी रहेगा।

किचन को रखें क्लीन
घर में किचन एक ऐसी जगह है, जहां से सबसे ज्यादा पल्यूशन होता है। सब्जी छौंकने से लेकर पकाने तक का धुआं रसोई से ही निकलता है। हो सकता है कि केवल खांसी या छींक आए, लेकिन दमे के मरीज के लिए यह धुआं बहुत ही तकलीफदायक होता है। इसलिए रसोई के प्रदूषण से निबटने के लिए चिमनी या एग्जॉस्ट फैन का इस्तेमाल करें। किचन को पल्यूशन फ्री रखने के लिए ऐरोगार्ड या एअर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें।

नेगेटिव एनर्जी खत्म करेंगे पौधे
घर के अंदर मौजूद नेगेटिव एनर्जी निकालने के लिए इंडोर पौधे लगाएं। अपनी सुविधा के अनुसार कुछ खास पौधों को लगाकर आप अपने घर को बेहतर बना सकती हैं। एरेका पाल्म, लेडी पाल्म, बैंबू पाल्म, डरेकेना जैनेट क्रैग, इंग्लिश इवी या पीस लिली जैसे पौधे लगाने से आपके घर के अंदर का पल्यूशन खत्म हो जाएगा और पॉजिटिव एनर्जी का संचार होगा। इन्हें लिविंग रूम में न रखें।

रोशनी और हवादार घर
इकोफ्रेंडली घरों को इस तरह तैयार किया जाता है, ताकि अधिक से अधिक रोशनी और हवा घर में आ सके। इसमें आप चाहें, तो रेनवॉटर हार्वेस्टिंग, सोलर वॉटर हीटिंग सिस्टम, सीवेज ट्रीटमेंट प्लान आदि तरीकों पर भी फोकस कर सकती हैं।

बनने में लगे समय कम
इको फ्रेंडली घर केवल पैसे की बचत ही नहीं करते हैं, बल्कि घर को नैचरल ब्यूटी भी देते हैं। खास बात ये है कि इस तरीके से घर बनाने में घर को बनाने की लागत 25 फीसदी तक कम हो जाती है। यही नहीं, इको फ्रेंडली घर बनने में समय भी बेहद कम लगता है। एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, इस तरह के घरों से ग्रीन हाउस गैसों को 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

कीड़े भी फैलाते हैं प्रदूषण
घर में कीड़े-मकोड़े होने से भी घर का प्रदूषण बढ़ता है। घर में चींटियां व मकड़ियां गंदगी फैलाती हैं। इनके अलावा चूहों, तिलचट्टों और छिपकलियों की बीट से भी प्रदूषण फैलता है। इसलिए घर की नियमित साफ सफाई बेहद जरूरी है। परदों और कालीन पर खूब धूल जम जाती है। इसलिए इन की भी समय-समय पर सफाई करते रहें। रसोई और बाथरूम की नालियों की सफाई का भी खासतौर पर ध्यान रखें।

हर्बल गार्डन और ग्रीन स्पेस
इको फ्रेंडली घर में हर्बल गार्डन और ग्रीन स्पेस की सुविधा भी रहती है। यह घर आपकी जेब के आधार पर मुफीद तो होते हैं। इसके अलावा, इनमें आप समय-समय पर अपनी इच्छानुसार बदलाव भी करवा सकती हैं।

हवादार हो घर
- घर के अंदर स्मोकिंग न करें।
- ऐसी कंपनी के रंग का चुनाव करें, जिसमें सीसा और वीओसी हो ही न। इनमें ऐसे केमिकल्स होते हैं, जो सांस नली को प्रभावित करते हैं।
- घर की दीवार में दरार भी प्रदूषण के लिहाज से नुकसानदेह हो सकती है। छत या दीवार में दरार से कमरों में सीलन आती है।

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