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Child free life : क्‍या बिना बच्‍चों के भी खुश रह सकती हैं औरतें?

हर क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाती हुई स्त्रियों को अपनी निजी जिंदगी में भी हर निर्णय लेने का हक है। इसी कदम में उन्हें चाइल्ड फ्री या निसंतान रहने का भी हक पूरी तरह से मिलना चाहिए।

नवभारतटाइम्स.कॉम 20 Oct 2021, 4:11 pm
जिंदगी में अपनी छोटी बड़ी ख्वाहिशों का निर्णय खुद लेना बहुत अच्छा लगता है। आज स्त्रियों को कई मामले में स्वतंत्रता मिल चुकी है। जैसे उन्हें क्या पहनना है? कहां जाना है? किस क्षेत्र में आगे बढ़ना है? कहां नौकरी करनी है? कैसी नौकरी करनी है? यह चुनने की आजादी लगभग मिल चुकी है। लेकिन क्या आपने ये सोचा है कि चाइल्डफ्री जैसा टैग क्या आप अपना सकती हैं?
नवभारतटाइम्स.कॉम to be childfree or not does a woman have a choice
Child free life : क्‍या बिना बच्‍चों के भी खुश रह सकती हैं औरतें?


​चाइल्डफ्री का टैग स्त्री और पुरुषों के लिए अलग-अलग

अगर पुरुषों की बात की जाए तो उन्हें अपने जीवन के इस क्षेत्र में भी हमेशा की तरह निर्णय लेने का पूरा हक है। लेकिन स्त्रियों को इसकी स्वतंत्रता नहीं है। समाज ये मानता है कि उनके शरीर की रचना ही एक जीवन को उत्पन्न करने के लिए हुई है। इसलिए वो इस तरह का निर्णय नहीं ले सकतीं। समाज तो दूर की बात है, शायद आपका परिवार भी आपके इस निर्णय में सहमति नहीं दे सकता।

​चाइल्ड फ्री होने का मतलब

इस बात का मतलब है कि कोई महिला अपने लिए बच्चा नहीं चाहती। वह बिना मां बने ही खुश हैं। ऐसा नहीं है कि चाइल्डफ्री जैसा स्टेटमेंट आज की आधुनिक युग की महिलाएं अपना रही हैं, बल्कि यह सन 1500 से ही शुरू हो चुका है। सन 1900 आने तक यह सोच महिलाओं में बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी।

ऐसे में बर्थ कंट्रोल, ऑबर्शन, तलाक जैसी चीजों ने जन्म लिया। धीरे-धीरे महिलाएं दबी आवाज में नहीं बल्कि खुलकर इसका विरोध भी करने लगी हैं। उनका मानना है कि उन्हें बच्चे को जन्म देना है या नहीं देना है? ये निर्णय लेने का हक सिर्फ उन्हें ही होना चाहिए।

​महिलाएं निसंतान रहना क्यों चाहती हैं?

इस निर्णय में अलग-अलग महिलाओं का अलग-अलग पक्ष होता है। कुछ महिलाएं अपने निजी जिंदगी में इतना बड़ा बदलाव लेने को तैयार नहीं होती हैं। कुछ महिलाएं अपनी जिंदगी में बच्चे के आने के बाद होने वाले परिवर्तन और खर्चों को लेकर चिंतित होती हैं।

वहीं, कुछ महिलाएं अपने जीवन साथी से भावनात्मक जुड़ाव महसूस नहीं करतीं। ऐसी महिलाएं नहीं चाहतीं कि बच्चे के आने के बाद उन्हें जिंदगी भर साथ रहना पड़े। कुछ महिलाओं का ये सोचना होता है कि उनका परिवार पूरी तरह से संपन्न है। उन्हें किसी और की जरूरत नहीं है। कुछ पढ़ी- लिखी महिलाएं यह भी सोचने लगती हैं कि ज्यादा जनसंख्या बढ़ाना और अपने ऊपर अधिक दबाव लेना जरूरी नहीं है।

​समाज का दबाव और उनकी सोच

समाज आज भी महिलाओं के इस सोच का सम्मान नहीं कर पाता। अक्सर लोग ऐसी महिलाओं को स्वार्थी या पागल तक की संज्ञा दे देते हैं। उनका मानना है कि निसंतान रहना एक बहुत बड़ा पाप है। एक महिला संतान को जन्म देने के बाद ही पूरी तरह से पूर्ण होती है। ऐसे में जो महिलाएं बच्चा नहीं चाहती हैं, उन्हें गलत दृष्टि से देखा जाता है। उन्हें बेवकूफ, स्वार्थी, गैरजिम्मेदार कहकर पुकारा जाता है।

​अपनी इच्छा का सम्मान निसंकोच रहकर करें

समाज हमेशा से महिलाओं को कदम बढ़ाने से रोकता रहा है। लेकिन आप अपनी इच्छा पर अडिग रहने का हक रखती हैं। अगर आप पूरी तरह से निश्चिंत हैं कि आप बिना संतान के अपना जीवन खुशी-खुशी आगे बढ़ा सकती हैं, तो यह आपका हक है। आप बिना मां बने भी अपने परिवार के हर रिश्ते को बखूबी निभा सकती हैं, बल्कि एक संतान की जिम्मेदारी ना लेते हुए भी आप एक अच्छी पत्नी, अच्छी बहू, अच्छी चाची, आदि बन सकती हैं।

लेकिन सबसे पहले जरूरी है कि आप अपने जीवन साथी को अपने इस निर्णय से अवगत कराएं। बल्कि सही होगा कि आप समय रहते बहुत पहले ही उन्हें इस बात के बारे में बता दे। क्योंकि उन्हें भी अपने जीवन के इस निर्णय को लेने का पूरा हक है। ताकि बाद में किसी भी तरह के मनमुटाव से बचा जा सके।

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