राजस्थान और गुजरात में चल रहा नकली जीरे का कारोबार अब दिल्ली तक पहुंच गया है। दिल्ली में पहली बार पकड़ी गई नकली जीरे की खेप ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। यह जंगली घास, गुड़ की पात और पत्थर के पाउडर को मिलाकर तैयार किया जा रहा है, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। नकली जीरे के सेवन से न केवल स्टोन का खतरा है, बल्कि इसके लगातार सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी शरीर की इम्यूनिटी भी कमजोर हो जाती है। यह कैंसर का भी कारण बन सकता है।
रोगों से लड़ने की क्षमता हो जाती है कमजोर
डॉक्टरों का कहना है कि यह मिलावट बहुत खतरनाक है और आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ है। इस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। मिलावटखोरों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है। न्यूट्रीशनिस्ट डॉक्टर अनिता लांबा ने बताया कि जिस तरह से इसे तैयार किया जा रहा है और जो चीजें मिलाई जा रही है, उससे स्टोन होने का खतरा है। इसके सेवन से रोगों से लड़ने की शरीर की क्षमता कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि इंसान की बॉडी मिलावटी चीजें खाने के लिए नहीं बनी है। इस बारे में बीएलके सुपर स्पेशिऐलिटी हॉस्पिटल की न्यूट्रीशनिस्ट मेघा जैन ने कहा कि इसकी वजह से कैंसर हो सकता है। स्किन की बीमारी हो सकती है।
ऐसे बनता है नकली जीरा
इसके लिए एक खास प्रकार की घास का उपयोग किया जाता है। उसे गुड़ के पानी में मिलाकर सुखाया जाता है। इससे घास का रंग जीरे की तरह हो जाता है। फिर जीरे में चमक लाने और उसे ठोस बनाने के लिए पत्थर का पाउडर के साथ मिक्स किया जाता है। गुजरात और राजस्थान में नकली जीरे का कारोबार कई महीनों से चल रहा है। वहां पिछले कुछ महीनों में नकली जीरे की कई खेप पकड़ी गई हैं। दूसरे देशों को भी यह जीरा भेजा जा रहा है।
ऐसे करें पहचान
नकली जीरे की पहचान के लिए एक कटोरी पानी में इसे डाल दें। पानी में कुछ देर रहने के बाद नकली जीरा गलने लगता है। वह टूटने लगता है। उसका रंग छूटने लगता है। असली जीरा पानी में डाले जाने के बाद भी बदलता नहीं है।
रोगों से लड़ने की क्षमता हो जाती है कमजोर
डॉक्टरों का कहना है कि यह मिलावट बहुत खतरनाक है और आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ है। इस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। मिलावटखोरों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है। न्यूट्रीशनिस्ट डॉक्टर अनिता लांबा ने बताया कि जिस तरह से इसे तैयार किया जा रहा है और जो चीजें मिलाई जा रही है, उससे स्टोन होने का खतरा है। इसके सेवन से रोगों से लड़ने की शरीर की क्षमता कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि इंसान की बॉडी मिलावटी चीजें खाने के लिए नहीं बनी है। इस बारे में बीएलके सुपर स्पेशिऐलिटी हॉस्पिटल की न्यूट्रीशनिस्ट मेघा जैन ने कहा कि इसकी वजह से कैंसर हो सकता है। स्किन की बीमारी हो सकती है।
ऐसे बनता है नकली जीरा
इसके लिए एक खास प्रकार की घास का उपयोग किया जाता है। उसे गुड़ के पानी में मिलाकर सुखाया जाता है। इससे घास का रंग जीरे की तरह हो जाता है। फिर जीरे में चमक लाने और उसे ठोस बनाने के लिए पत्थर का पाउडर के साथ मिक्स किया जाता है। गुजरात और राजस्थान में नकली जीरे का कारोबार कई महीनों से चल रहा है। वहां पिछले कुछ महीनों में नकली जीरे की कई खेप पकड़ी गई हैं। दूसरे देशों को भी यह जीरा भेजा जा रहा है।
ऐसे करें पहचान
नकली जीरे की पहचान के लिए एक कटोरी पानी में इसे डाल दें। पानी में कुछ देर रहने के बाद नकली जीरा गलने लगता है। वह टूटने लगता है। उसका रंग छूटने लगता है। असली जीरा पानी में डाले जाने के बाद भी बदलता नहीं है।