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Covid and Antibodies: रिकवरी के बाद शरीर के इस कोने में रहकर हमेशा व्यक्ति की रक्षा करती हैं एंटीबॉडी, वैज्ञानिकों ने किया खुलासा

Antibodies and immunity coronavirus: कोविड-19 की दूसरी लहर पिछले वायरस की अपेक्षा बहुत घातक है। हालांकि, वायरस से संक्रमित लोगों में एंटीबॉडी बन जाती हैं जो भविष्य में उनकी रक्षा करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ये एंटीबॉडी कितने दिन या साल तक संक्रमित हो चुके व्यक्ति के शरीर में मौजूद होती हैं। इसे लेकर नया शोध सामने आया है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 27 May 2021, 6:21 pm
Antibodies and immunity coronavirus: कोरोना वायरस से जूझते हुए एक साल से ज्यादा हो चुका है। दुनिया भर के तमाम देशों में कोविड-19 अपना जबरदस्त कहर ढाया रहा है। कोरोना एक ऐसी महामारी है जिसने लोगों को न जाने कितनी ही दूसरी अन्य बीमारियों से परिचय कराया है। फिर चाहे वो ब्लैक फंगस हो, हैप्पी हाइपोक्सिया हो, वाइट फंगस हो या फिर साइटोकाइन स्टॉर्म। वैज्ञानिक आए दिन ही कोविड-19 को लेकर नए-नए खुलासे करते रहते हैं। शुरुआत से लेकर अब तक कोरोना के न जाने कितने ही वेरिएंट आ चुके हैं लेकिन फिर लोगों के जेहन में इसे लेकर तमाम तरह के संदेह बरकरार हैं।
नवभारतटाइम्स.कॉम how many days doesantibodies remain in the body after recovering from corona revealed in research
Covid and Antibodies: रिकवरी के बाद शरीर के इस कोने में रहकर हमेशा व्यक्ति की रक्षा करती हैं एंटीबॉडी, वैज्ञानिकों ने किया खुलासा


जो लोग कोविड से रिकवर हो चुके हैं उन्हें तुरंत वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है क्योंकि उसके अंदर एंटीबॉडी बन जाते हैं। ऐसे लोगों को रिकवरी के 3 माह बाद ही टीकाकरण कराने को कहा जाता है। लेकिन अब लोग जानना चाहते हैं कि आखिर संक्रमण से ठीक होने के बाद एंटीबॉडी कितने समय तक चलती है? हाल ही में हुए एक शोध में इस बात खुलासा हुआ है कि कोविड रिकवरी के बाद बनने वाले एंटीबॉडी कितने दिन तक संक्रमित हो चुके व्यक्ति का सुरक्षा कवच होते हैं।
(फोटो साभार: istock by getty images)

​क्या कहता है शोध

सेंट लुईस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (Washington University School of Medicine at St. Louis) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में और नेचर जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चला है कि कोविड -19 संक्रमण के हल्के लक्षणों से उबरने के महीनों बाद भी लोगों के शरीर में प्रतिरक्षा कोशिकाएं (immune cells) मौजूद होती हैं, जो वायरस से लड़ने में एंटीबॉडी को निर्देश देती हैं।

SARS-CoV-2 वायरस को लेकर किए ताज शोध में यह भी पाया गया कि कोविड से संक्रमित हो चुके मरीज में ऐसी कोशिकाएं जीवन भर रह सकती हैं। ये इम्यून सेल्स ही शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण करती हैं।

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​संक्रमित लोगों में एक साल से ज्यादा समय तक रहती हैं एंटीबॉडी

रिसर्च में पाया गया है कि हल्के COVID मामले संक्रमित हो चुके लोगों को एंटीबॉडी की स्थायी सुरक्षा प्रदान करते हैं और उन्हें बार-बार संक्रमण होने की संभावना भी नहीं रहती है। जबकि पिछले साल की रिपोर्ट में कहा गया था कि संक्रमण के बाद एंटीबॉडी जल्दी खत्म हो जाते हैं, जो प्रतिरक्षा के रूप में लंबे समय तक नहीं रहते हैं।

जबकि नई स्टडी पुरानी से एकदम अलग है। नए शोध में पता लगा है कि संक्रमित हो चुके लोगों में 11 महीने बाद भी एंटीबॉडी कोशिकाएं पाई गईं जो काफी लंबा समय है।

​शरीर के इस हिस्से में रहकर वायरस से बचाती हैं एंटीबॉडीज

शोधकर्ताओं के अनुसार, कोविड इंफेक्शन के बाद अधिकांश एंटीबॉडी इम्यून सेल्स शरीर में मर जाती हैं और इस बीच हमारे ब्लड लेवल में भी काफी गिरावट आती है। बावजूद इसके इन एंटीबॉडी प्रोड्यूस को करने वाली इम्यून सेल्स की एक छोटी आबादी हमेशा ही शरीर में मौजूद रहती है जिन्हें लंबे समय तक जीवित रहने वाली प्लाज्मा कोशिकाएं (long-lived plasma cells migrate) भी कहा जाता है।

ये सेल्स हमारे शरीर की अस्थि मज्जा (Bone marrow) में चली जाती हैं और वहीं बस जाती हैं। इसी जगह से ही इम्यून सेल्स एंटीबॉडी को प्रोड्यूस कर भविष्य में आने वाले वायरस के संक्रमण से फाइट करने में मदद करती हैं।

​नहीं होगा दोबारा संक्रमण इसकी कोई गारंटी नहीं


हालांकि, हमें यह भी समझना जरूरी है कि एक बार COVID से संक्रमित होने के बाद हम दोबारा इसकी चपेट में नहीं आएंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है। चूंकि यह वायरस नया है और थोड़ा अप्रत्याशित (unpredictable) है यानी उसके सिम्टम्स के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। क्योंकि इसके एक नहीं बल्कि कई नए वेरिएंट आते हैं। इसलिए आप हमेशा सभी COVID सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करें और लापरवाही न बरतें।

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