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असुरक्षित यौन संबंध से फैलता है माइकोप्लैज़्मा जेनिटेलियम, HIV से भी ज्यादा खतरनाक

असुरक्षित यौन संबंध से HIV के अलावा भी कई अन्य खतरनाक व लाइलाज बीमारियां हो सकती हैं। इन दिनों माइकोप्लैज़्मा जेनिटेलियम (MG) नाम की बीमारी स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।

नवभारत टाइम्स 17 Jul 2018, 9:03 am
असुरक्षित यौन संबंध से HIV के अलावा भी कई अन्य खतरनाक व लाइलाज बीमारियां हो सकती हैं। इन दिनों माइकोप्लैज़्मा जेनिटेलियम (MG) नाम की बीमारी स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि HIV की ही तरह यह बीमारी भी काफी तेजी से फैल रही है। आशंका है कि यह 'सुपरबग' साबित हो सकती है।
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माइकोप्लैज़्मा जेनिटेलियम: असुरक्षित यौन संबंध है कारण


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बीमारी के शुरुआती लक्षण नहीं दिखते
एक रिपोर्ट के अनुसार 'ब्रिटिश असोसिएशन ऑफ सेक्शुअल हेल्थ ऐंड एचआईवी' ने हालात की गंभीरता को देखते हुए बीमारी के बारे में अडवाइजरी भी जारी कर दी है। विशेषज्ञों के अनुसार माइकोप्लैज़्मा जेनिटेलियम (MG) बीमारी के कोई शुरुआती लक्षण नहीं होते, लेकिन इससे महिला और पुरुष, दोनों के जननांगों में संक्रमण हो सकता है। ये इतना खतरनाक है कि इससे औरतों में बांझपन भी हो सकता है। इसके शुरुआती लक्षण आसानी से समझ में नहीं आते इसलिए इसका इलाज भी मुश्किल है और अगर इलाज ठीक से न हो तो इस पर ऐंटिबायॉटिक्स का असर भी खत्म हो जाता है।
क्या है माइकोप्लैज़्मा जेनिटेलियम?
MG एक जीवाणु है जिससे पुरुषों और महिलाओं को पेशाब के रास्ते में सूजन हो सकती है। इसका नतीजा दर्द, रक्तस्राव और बुखार के रूप में देखने को मिलता है। HIV की तरह ही असुरक्षित यौन संबंध को इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह बताया जा रहा है। ऐसे में कॉन्डम का इस्तेमाल ही संक्रमण को रोकने के लिए सबसे बड़ा उपाय है। इस बीमारी के बारे में पहली बार ब्रिटेन में 1980 के दशक में पता चला था। उस समय सिर्फ 1 से 2 फीसदी आबादी ही प्रभावित थी। MG की जांच के लिए हाल में कुछ टेस्ट किए गए हैं, लेकिन ये सभी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं हैं। इसका इलाज, दवाइयों और ऐंटिबायॉटिक्स से मुमकिन है।

HIV एड्स: बचाव ही इलाज है

ऐसे रुकेगी यह बीमारी
इस बीमारी के इलाज के लिए ऐंटिबायॉटिक्स को सबसे कारगार माना जाता था, लेकिन देखने में आ रहा है कि इसके इलाज के लिए इस्तेमाल में आने वाली ऐंटिबायॉटिक्स 'मैक्रोलिड्स' का असर दुनिया भर में कम हुआ है। ब्रिटेन में लोगों पर इसके असर में तकरीबन 40% कमी आई है। हालांकि एक दूसरी ऐंटिबायॉटिक 'एज़िथ्रोमाइसिन' काफी मददगार साबित हो रही है। डॉ. पीटर ग्रीनहाउस का कहना है कि लोगों में एमजी को लेकर जितनी जागरुकता होगी, इसकी रोकथाम में उतनी ज्यादा मदद मिलेगी।

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