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Artemisinin In Malaria: मलेरिया के नए परजीवी ने बढ़ाई आफत, इस पर बेअसर हो रही है दवा

दक्षिण-पूर्वी एशिया के बाद अब अफ्रीकी देश रवांडा में भी मलेरिया का इलाज करनेवाली दवाई आर्टिमिसिनिन (Artemisinin) बेअसर साबित हो रही है। अफ्रीका में मलेरिया का एक ऐसा नया परजीवी भी पाया गया है, जिस पर यह दवा कोई प्रभाव नहीं दिखा पा रही है...

नवभारतटाइम्स.कॉम 14 Aug 2020, 5:31 pm
दुनियाभर में मलेरिया के इलाज के लिए उपयोग की जानेवाली दवा आर्टिमिसिनिन के बारे में अब लगातार इस तरह की सूचनाएं आ रही हैं कि यह दवाई मलेरिया के रोगियों को ठीक करने में प्रभावी नहीं रही है। ऐसा अलग-अलग देशों में मरीजों के इलाज के लिए इसे उपयोग करने के बाद मिले नतीजों के आधार पर कहा जा रहा है...ताजा मामला अफ्रीकी देश रवांडा का है। जहां, बड़े स्तर पर मलेरिया के रोगियों का इलाज कर पाने में मलेरिया की विश्व प्रसिद्ध दवाई आर्टिमिसिनिन बेअसर हो रही है।
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क्यों होती है कोई दवाई बेअसर?
-जब कोई दवाई किसी वायरस या बैक्टीरिया द्वारा फैलाए जानेवाले रोग पर असर दिखाना कम कर देती है या बंद कर देती है तो इसका अर्थ यह होता है कि उस परजीवी ने अपनी क्षमता बढ़ा ली है।

-आप इसे मच्छरों को मारने के लिए किए जाने वाले छिड़काव और जलाई जानेवाली क्वाइल्स के उदाहरण से अच्छी तरह समझ सकते हैं। जब शुरुआती स्तर पर मच्छर मारने के लिए स्प्रे किए जाते थे तो उनका असर कई सप्ताह तक रहता था, जो एक समय बाद कुछ दिन में सिमट गया।

मलेरिया पर बेअसर साबित हो रही दवा (सांकेतिक चित्र)


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-घर में एक स्थान पर क्वाइल जलाने से पहले लगभग पूरे घर के मच्छर गायब हो जाते थे, अब ये हाल है कि जिस तरफ क्वाइल का धुआं जा रहा हो, बस उसी तरफ के मच्छर दूर रहते हैं बाकि दूसरी तरफ से उनका हमला जारी रहता है!

-ऐसा इसलिए है क्योंकि इन परजीवियों के शरीर की क्षमता इन कीटनाशकों (Pesticide)के प्रति काफी बढ़ गई है। या कहिए कि उनकी इम्युनिटी बढ़ गई है। अब यदि एक निश्चित सीमा से अधिक मात्रा में ही इन डोज का उपयोग किया जाए, तभी मच्छरों पर इनका असर होता है अन्यथा नहीं होता। लेकिन अधिक मात्रा में इन कीटनाशकों का उपयोग मनुष्य के शरीर पर भी बुरा असर डालता है।

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मुश्किलें पैदा कर रहा है मलेरिया का नया परजीवी


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पहली बार नहीं हुआ है ऐसा
-रवांडा में इस तरह के केस सामने आना जिनमें मलेरिया की दवा इलाज पर बेअसर रही, दुनिया का पहला केस नहीं है। इससे पहले दक्षिण-पूर्वी एशिया के अलग-अलग हिस्सों में मलेरिया के इलाज के दौरान आर्टिमिसिनिन दवाई करीब 80 प्रतिशत मरीजों पर कारगर साबित नहीं हो पाई।

-अब यही स्थिति अफ्रीका में भी बनने लगी है, जो कि मेडिकल की दुनिया के लिए बिल्कुल अच्छी खबर नहीं कही जा सकती है। रवांडा में मलेरिया का जो नया परजीवी मिला है, उस पर इस दवाई का कोई असर नहीं हो रहा है। ऐसे में अब इस परजीवी पर शोधकार्य के बाद इसके खात्मे के लिए दवाई तैयार करनी होगी।

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