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जानलेवा है ऐंटीबायॉटिक का मनमाना इस्तेमाल

भारत में यह बीमारी दिनोंदिन पैर फैला रही है। न्यू यॉर्क टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2013 में करीब 58,000 नवजात और छोटे बच्चे इसके कारण मारे गए। ये नवजात ऐसी बीमारी के साथ पैदा होते हैं, जिसपर कोई भी ऐंटीबायॉटिक असर नहीं करती।

सांध्य टाइम्स 18 Jan 2017, 12:32 pm
अमेरिका में भारतीय सुपरबग के कारण एक महिला की मौत हो गई है। पता चला है कि दुनिया की कोई भी ऐंटीबायॉटिक इस संक्रमण का इलाज नहीं कर सकती है। साल 2008 में भारतीय मूल की एक स्वीडिश महिला के अंदर पहली बार यह सुपरबग पाया गया था। डॉक्टरों ने इसे न्यू डेली मेटालो-बीटा-लेक्टामेस (NDM) का नाम दिया है। इस खबर से अगर आपको डर लग रहा है, तो बिल्कुल सही लग रहा है। इसके नतीजे इतने भयानक हो सकते हैं, जिसका शायद आप ठीक-ठीक अनुमान भी न लगा सकें। यह सुपरबग हम भारतीयों की लापरवाही के कारण पैदा होता है। एक ऐसी लापरवाही जो अगर तुरंत न रोकी गई तो, आने वाले समय में यह एक भयंकर लाइलाज महामारी का रूप ले लेगी। इसकी चपेट में ना केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया आ सकती है।
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जानलेवा है ऐंटीबायॉटिक का मनमाना इस्तेमाल


भारत में पसारे पैर
भारत में यह बीमारी दिनोंदिन पैर फैला रही है। न्यू यॉर्क टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2013 में करीब 58,000 नवजात और छोटे बच्चे इसके कारण मारे गए। ये नवजात ऐसी बीमारी के साथ पैदा होते हैं, जिसपर कोई भी ऐंटीबायॉटिक असर नहीं करती। ऐसा नहीं कि मरने वालों में सिर्फ नवजात हैं। नवजातों को यह बीमारी मां के गर्भ में मिल रही है। इसका मतलब, बड़ी संख्या में वयस्क भी इस जानलेवा स्थिति के शिकार हो रहे हैं।

बिना डॉक्टर की सलाह से एंटीबायॉटिक खाने की आदत एक महामारी का रूप ले सकती है। बिना डॉक्टर से पूछे दवा लेने के कारण शरीर की रोग से लड़ने की क्षमता खत्म हो सकती है। इसके कारण आपके शरीर में ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है, जहां कोई भी ऐंटीबायॉटिक आपकी बीमारी का इलाज नहीं कर सकेगी। सर्दी और न्यूमोनिया जैसी साधारण बीमारियां आपकी जान ले सकती हैं।

क्या कहती है रिपोर्ट
न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 के बाद से भारतीय अस्पतालों में मल्टीड्रग रेजिस्टेंट इंफेक्शन्स से ग्रस्त मरीजों की संख्या अप्रत्याशित तौर पर बढ़ रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत में ऐसे जीवाणु बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जिन पर किसी भी ऐंटीबायॉटिक का कोई असर नहीं होता। भारत में ऐंटीबायॉटिक के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता का इतना अभाव है कि लोग सर्दी और जुकाम जैसी स्थिति में भी ऐंटीबायॉटिक खा लेते हैं। बिना डॉक्टरी सलाह के ऐंटीबायॉटिक खाना ऐसा ही है जैसे कि आप जहर खाकर बीमारी का इलाज कर रहे हैं।

किन्हें है जीवाणुओं के संक्रमण का ज्यादा खतरा
- 75 से अधिक उम्र के लोग
- नवजात बच्चे, खासतौर पर जन्म लेने के पहले 72 घंटों के दौरान
- दिल की बीमारी के मरीज
- डायबीटीज़ के ऐसे मरीज, जिन्हें इंसुलिन लेना पड़ता है
- ऐसे लोग जिनके शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता कमजोर है

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