हमारा खराब लाइफस्टाइल और एक्सरसाइज ना करने के चलते सबसे पहले हिप्स और थाइस पर फैट चढ़ता है। अगर आपके भी कूल्हे और जांघ (Hips and Thighs) भारी हैं तो इसका इलाज योग में है। योग के कुछ बेसिक यानी कि आसान से आसनों से ही आप फैट को कम कर सकते हैं। डाइट और योग के बैलेंस से इन जगहों से फैट की छुट्टी की जा सकती है।
वीरभद्रासन 2 (Warrior Pose): वीरभद्रासन को वारियर पोज के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन के तीन प्रकार होते हैं। हम इस पोस्ट में आपको वीरभद्रासन 2 के बारे में बता रहे हैं। भगवान शिव के अवतार वीरभद्र के नाम पर वीरभद्रासन का नाम रखा गया ताकि हर योगी को आध्यात्मिक योद्धा बनने के लिए प्रेरणा दी जा सके।
वीरभद्रासन करने का तरीका?
- ताड़ासन में खड़े होकर सांस भरें और 4 फीट तक पैर खोल लें।
- अपने दोनों हाथों को जमीन के समान्तर पर सीधा करें।
- अपने दाएं पैर के पंजे को 90 डिग्री और बाएं पैर के पंजे को 45 डिग्री पर घुमाएं।
- अपने सिर को दाएं हाथ की दिशा में घुमाकर सामने देखें।
- इसके बाद दाएं पैर के घुटने को मोड़ें और 90 डिग्री का एंगल बनाएं।
- इस पोज में दाएं पैर की जांघ जमीन के समान्तर होगी और बायां पैर सीधा होगा।
- इस पोज में 30 से 60 सेकंड्स तक रहें और इसके बाद प्रारंभिक स्थिति में आएं।
- इसके बाद यह प्रक्रिया दूसरे पैर से भी करें।
शलभासन (Locust Pose): इस आसन से पीठ और उसका निचला भाग मजबूत होता है। स्लिप डिस्क की परेशानी वाले लोगों के लिए यह अच्छी है। यह पेट के रोगों से निजात दिलाने में भी मदद करता है। पीठ के निचले हिस्सों और गर्दन में रक्त प्रवाह को बेहतर करता है।
कैसे करें शलभासन:
- पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैर और पंजों को एक साथ रखें।
- पैरों के तलवे को ऊपर की ओर रखें।
- हाथों को सिर के सामने की ओर सीधे रखें।
- धीरे-धीरे पैरों को और हाथों को जितना ऊपर उठा सकें, उतना उठाने की कोशिश करें।
- पैरों को सीधा और साथ रखें।
- इस स्थिति में बिना किसी तनाव के 30 से 60 सेकंड्स तक रहें।
- आसन से बाहर आने के लिए पैरों और हाथों को जमीन पर ले आएं।
त्रिकोणासन (Triangle Pose): संस्कृत से लिए गए इस शब्द का अर्थ है- तीन कोण वाला आसन यानी कि तीन कोण वाला आसन। यह आसन पैरों, घुटनों, एड़ी, बाजू, सीने को मजबूत करने में मदद करता है। पाचन में सुधार के साथ यह गर्दन दर्द को कम करता है।
कैसे करें त्रिकोणासन?
- आसन पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों पैरों के बीच 3 फीट की दूरी रखें।
- इसमें आपका दायां पैर आपके सामने 90 डिग्री पर और बायां पैर पीछे 15 डिग्री के एंगल पर होना चाहिए
- इस पोज में शरीर का भार दोनों पैरों पर समान रखें।
- इसके बाद अपने दाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा छुएं। दूसरा हाथ आसमान की ओर सीधा रखें। दूसरा हाथ सिर के बिलकुल सीध में रखें।
- सिर को आसमान की ओर उठाकर ऊपर की ओर देखें।
- इस पोज में आपके दोनों हाथ एक सीधी लाइन में होने चाहिए।
- जितनी देर हो इस पोज में रहें और सांस लेते-छोड़ते रहें।
- अब इसे दूसरे पैर से भी दोहराएं।
वीरभद्रासन 2 (Warrior Pose): वीरभद्रासन को वारियर पोज के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन के तीन प्रकार होते हैं। हम इस पोस्ट में आपको वीरभद्रासन 2 के बारे में बता रहे हैं। भगवान शिव के अवतार वीरभद्र के नाम पर वीरभद्रासन का नाम रखा गया ताकि हर योगी को आध्यात्मिक योद्धा बनने के लिए प्रेरणा दी जा सके।
वीरभद्रासन करने का तरीका?
- ताड़ासन में खड़े होकर सांस भरें और 4 फीट तक पैर खोल लें।
- अपने दोनों हाथों को जमीन के समान्तर पर सीधा करें।
- अपने दाएं पैर के पंजे को 90 डिग्री और बाएं पैर के पंजे को 45 डिग्री पर घुमाएं।
- अपने सिर को दाएं हाथ की दिशा में घुमाकर सामने देखें।
- इसके बाद दाएं पैर के घुटने को मोड़ें और 90 डिग्री का एंगल बनाएं।
- इस पोज में दाएं पैर की जांघ जमीन के समान्तर होगी और बायां पैर सीधा होगा।
- इस पोज में 30 से 60 सेकंड्स तक रहें और इसके बाद प्रारंभिक स्थिति में आएं।
- इसके बाद यह प्रक्रिया दूसरे पैर से भी करें।
शलभासन (Locust Pose): इस आसन से पीठ और उसका निचला भाग मजबूत होता है। स्लिप डिस्क की परेशानी वाले लोगों के लिए यह अच्छी है। यह पेट के रोगों से निजात दिलाने में भी मदद करता है। पीठ के निचले हिस्सों और गर्दन में रक्त प्रवाह को बेहतर करता है।
कैसे करें शलभासन:
- पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैर और पंजों को एक साथ रखें।
- पैरों के तलवे को ऊपर की ओर रखें।
- हाथों को सिर के सामने की ओर सीधे रखें।
- धीरे-धीरे पैरों को और हाथों को जितना ऊपर उठा सकें, उतना उठाने की कोशिश करें।
- पैरों को सीधा और साथ रखें।
- इस स्थिति में बिना किसी तनाव के 30 से 60 सेकंड्स तक रहें।
- आसन से बाहर आने के लिए पैरों और हाथों को जमीन पर ले आएं।
त्रिकोणासन (Triangle Pose): संस्कृत से लिए गए इस शब्द का अर्थ है- तीन कोण वाला आसन यानी कि तीन कोण वाला आसन। यह आसन पैरों, घुटनों, एड़ी, बाजू, सीने को मजबूत करने में मदद करता है। पाचन में सुधार के साथ यह गर्दन दर्द को कम करता है।
कैसे करें त्रिकोणासन?
- आसन पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों पैरों के बीच 3 फीट की दूरी रखें।
- इसमें आपका दायां पैर आपके सामने 90 डिग्री पर और बायां पैर पीछे 15 डिग्री के एंगल पर होना चाहिए
- इस पोज में शरीर का भार दोनों पैरों पर समान रखें।
- इसके बाद अपने दाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा छुएं। दूसरा हाथ आसमान की ओर सीधा रखें। दूसरा हाथ सिर के बिलकुल सीध में रखें।
- सिर को आसमान की ओर उठाकर ऊपर की ओर देखें।
- इस पोज में आपके दोनों हाथ एक सीधी लाइन में होने चाहिए।
- जितनी देर हो इस पोज में रहें और सांस लेते-छोड़ते रहें।
- अब इसे दूसरे पैर से भी दोहराएं।