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Work From Home: WHO का खुलासा, वीक में 55 घंटे से ज्यादा देर तक काम करने से जा सकती है जान, बढ़ रहा स्ट्रेस

कोरोना महामारी (Covid Pandemic) के कहर से दुनिया भर के लोग पिछले डेढ़ साल से ज्यादा वक्त से जूझ रहे हैं। कोविड पीरियड में जो लोग लंबे समय तक घर से काम कर रहे हैं अब उनमें भी तमाम तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। WHO के अनुसार, ज्यादा देर तक Work from home कर रहे लोगों को जान जाने का खतरा है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 17 May 2021, 2:34 pm
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के प्रकोप के चलते देशभर के तमाम हिस्सों में लॉकडाउन लगा हुआ है। ऐसे में तमाम कंपनियों में काम करने वाले लाखों कर्मचारी दफ्तर की बजाए अपने घर से ही काम कर रहे हैं। दफ्तर में जहां वे 6 से 8 घंटे की शिफ्ट करते थे लेकिन अब ये वक्त लगभग दोगुना हो चुका है। लंबे समय तक काम करना सेहत के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। हाल ही में इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने एक रिपोर्ट जारी की है। WHO के वैज्ञानिकों द्वारा किए शोध में पता चला है कि लाखों लोगों की मौत लंबे समय तक काम करने से हो रही है।
नवभारतटाइम्स.कॉम who reveals person working over 55 hours in a week can get heart disease and stroke and lose life
Work From Home: WHO का खुलासा, वीक में 55 घंटे से ज्यादा देर तक काम करने से जा सकती है जान, बढ़ रहा स्ट्रेस


WHO ने सोमवार एक डेटा पेश करते हुए बताया कि वर्क आवर से ज्यादा देर तक काम करने से एक साल में हजारों लोगों की जान जा रही है और यह कोविड महामारी के दौरान और तेज हो गया है। WHO की रिपोर्ट में बताया गया है कि महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम वाले कर्मचारियों का स्ट्रेस लगातार बढ़ता ही जा रहा है और वे अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। अगर आप भी लंबे समय तक लैपटॉप के आगे अपनी नजरें लगाए रहते हैं तो ये खबर पढ़नी जरूरी है। आइए जानते हैं कैसे ज्यादा देर का काम करने जोखिम में आ रही लाखों लोगों की जान।
(फोटो साभार: istock by getty images)

​घंटों तक काम करने से बढ़े स्ट्रोक और हृदय रोग के मामले

लंबे समय तक काम करने वालों की लाइफ को लेकर 'एनवायरमेंट इंटरनेशनल जर्नल में दुनिया का पहला शोध पब्लिश हुआ है। इसमें बताया गया है कि साल 2016 में ज्यादा देर तक काम करने के चलते स्ट्रोक (Stroke) और हृदय रोग (Heart disease) के आंकड़ों में काफी बढ़ोतरी देखी गई, जिससे दुनिया भर में 7.45 लाख लोगों की जान चली गई। यह संख्या साल 2000 से की तुलना से करीब 30 फीसदी अधिक थी।

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​सबसे ज्यादा हुई पुरुषों की मौत

WHO के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य विभाग (WHO’s Department of Environment, Climate Change and Health) के निदेशक मारिया नीरा (Maria Neira) ने कहा, 'एक रिसर्च के मुताबिक, हर सप्ताह 55 घंटे या उससे ज्यादा काम करना एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा बन सकता है।' उन्होंने कहा शोध से मिली जानकारी के जरिए हम उन श्रमिकों की जान बचाना चाहते हैं, जो अब भी लंबे समय तक काम में जुट रहते हैं।

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​यहां के लोग सबसे ज्यादा झेल रहे दुष्प्रभाव

WHO और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का यह संयुक्त शोध कुल 194 देशों के आंकड़ों पर आधारित है। स्टडी में साल 2000 से लेकर 2016 तक के डाटा को कलेक्ट किया गया है।

इसमें कहा गया है कि हर हफ्ते 35-40 घंटे काम करने वालों की तुलना में 55 घंटे या उससे अधिक काम करने वालों में 35 फीसदी लोग स्ट्रोक का शिकार हुए और 17 फीसदी लोगों की जान जोखिम में होती है।

लंबे समय तक काम करने के साइड इफेक्ट्स से चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया के कर्मचारी सबसे अधिक प्रभावित हैं। शोध में बताया गया कि मरने वालों की ज्यादा संख्या दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के लोगों की है।

​बढ़ रहा स्ट्रेस

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वीक में 55 घंटे से ज्यादा काम करने वाली प्रवृत्ति में सुधार करने को बहुत जरूरी बताया है। WHO के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेसियस ने कहा कि महामारी के दौरान अनुमान के तौर पर तकरीबन 9 प्रतिशत लोग लंबे समय तक काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों में स्ट्रेस के से होने वाली बीमारियों के सिम्टम्स काफी बढ़े हैं।

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