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60 पार उम्र में योग ही है फिट रहने का तरीका

अधिकतर जवानी में यह सोचकर धन जोड़ते रहते है कि बुढ़ापे को शान से जीएंगे। लेकिन जब बुढ़ापा आता है तो अपने साथ बीमारियां भी ले आता है। फिर बुढ़ापा, दवाइयों, परहेज़ो और हस्पतालों में निकल जाता है...

नवभारत टाइम्स 13 Aug 2017, 11:31 am
अधिकतर जवानी में यह सोचकर धन जोड़ते रहते है कि बुढ़ापे को शान से जीएंगे। लेकिन जब बुढ़ापा आता है तो अपने साथ बीमारियां भी ले आता है। फिर बुढ़ापा, दवाइयों, परहेज़ो और हस्पतालों में निकल जाता है। क्योंकि इस उम्र में अकसर शुगर, मूत्र सम्बन्धी दोष, किडनी व लीवर की कमजोरी, हाई बीपी, कोलेस्ट्रोल, ह्रदय रोग, जोड़ो के दर्द, कब्ज़, भूख ना लगना, आंखों की कमजोरी, अनिद्रा, ओस्टियोपोरोसिस, पार्किन्सन, डिप्रेशन, क्रोध, नर्वस वीकनेस आदि तन व मन के रोगों में से कोई ना कोई परेशान करने लगता है।
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60 पार उम्र में योग ही है फिट रहने का तरीका


शरीर एक मशीन की तरह है जैसा इससे काम लेते हैं, वैसा ही ये चलता है। जिन्होंने जवानी से ही सेहत पर ध्यान रखकर अपने लाइफस्टाइल को बेहतर रखा उनमें बीमारियां जल्दी नहीं आतीं। अन्यथा व्यक्ति जल्दी बीमार होने लगता है। लेकिन बुढ़ापे में इंद्रियों से भली-भांति काम लेते हुए, चलते-फिरते हुए स्वस्थ जीवन जीवन जीने के लिए शरीर का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इस उम्र में शरीर की प्राण शक्ति कम होने लगती है, जिससे शरीर के सिस्टम्स धीरे-धीरे कमजोर होने लगते है। इसी कारण इस उम्र में जब कोई रोग आता है, तो उसके साथ अन्य बीमारियां भी आ जाती। लेकिन यदि हम सही तरीके से योग का अभ्यास प्रतिदिन करे तो शरीर में मौजूद बीमारियां भी दूर हो जाएंगी और उम्र के इस पड़ाव में भी ज़ल्दी से बीमारी नहीं आएंगी।

योग साधना हजारों सालों से हमें स्वस्थ रखने के लिए एक अचूक विद्या रही है। यह हमारी प्राण ऊर्जा को बल देकर शरीर की कोशिकाओं का पुनर्निमाणकरती है। जिससे कमज़ोर होते अंगों को ताकत मिलती है। सीनियर सिटिजन के लिए योग से बढ़कर दूसरा कोई और स्वस्थ बने रहने का प्राकृतिक तरीका नहीं है। योगाभ्यास को सुबह खाली पेट शौच आदि से निवृत्त होने के बाद खुले वातावरण में करना चाहिए, यदि मौसम ठंडा है, अपने को ठंड से बचाते हुए इसका अभ्यास अंदर कमरे में भी कर सकते हैं। यदि कभी सुबह टाइम न मिलें, तो शाम के समय भी लंच से 4-5 घंटे बाद खाली पेट कर सकते हैं। योगाभ्यास करते समय मन में यह भाव रखें कि मेरे शरीर में आई बीमारियां ठीक हो रही हैं और पूरा शरीर चुस्त-दुरुस्त होता जा रहा है।

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