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जुग-जुग जियो की कहानी में उठाया गया है वो मुद्दा, जिसके मामले भारत में बढ़ते देख हर कोई है परेशान

मूवी जब भी बनाई जाती है, तो उसमें फिक्शन और मसाला जमकर झोंका जाता है, ताकि दर्शकों को वो पसंद आ सके। 'जुग-जुग जियो' के ट्रेलर को देखकर भी ये ही कहा जा सकता है। हालांकि, इस बात को इग्नोर नहीं किया जा सकता है कि इस फिल्म में जिस मुद्दे को उठाया गया है, वो काफी गंभीर और इन दिनों कइयों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।

Authored byआयशा | नवभारतटाइम्स.कॉम 23 May 2022, 9:32 am
फिल्म 'जुग-जुग जियो' का ट्रेलर रिलीज हो चुका है। इस रोमांस/ड्रामा वाली मूवी में वरुण धवन, कियारा आडवाणी, अनिल कपूर और नीतू कपूर लीड रोल्स में हैं। ट्रेलर को लोगों का पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला है। इसकी कहानी भले ही बहुत नई नहीं लग रही है, लेकिन इसमें जो मुद्दा उठाया गया है, उसके मामले पिछले कुछ समय में भारत में तेजी से बढ़ते दिखे हैं। मूवी की स्टोरी में रिश्तों को क्या अंजाम होता दिखाया गया है, ये तो फिल्म रिलीज के बाद ही पता चल सकेगा, लेकिन ये बात सच है कि असल जिंदगी में ये स्थिति कई घरों को तोड़ चुकी है। वहीं इसके बढ़ते मामले चिंता का विषय बन गए हैं। (फोटो साभार: ट्विटर@Viacom18Studios)
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जुग-जुग जियो की कहानी में उठाया गया है वो मुद्दा, जिसके मामले भारत में बढ़ते देख हर कोई है परेशान


क्या दिखाया गया है ट्रेलर में?

फिल्म के ट्रेलर में लीड कपल और उनके पैरंट्स, दोनों के ही शादीशुदा जीवन में आई दूरी को दिखाया गया है। दोनों जोड़ों की रिलेशनशिप तलाक की ओर बढ़ाती नजर आती है। एक ओर वरुण-कियारा के किरदार मिलकर डिवोर्स का फैसला लेते हैं, तो दूसरी ओर अनिल का किरदार अपनी पत्नी से ऊब चुका होता है, जिसके बाद वो अफेयर की शुरुआत करता है और तलाक प्लान करता है। (फोटो साभार: ट्विटर@Viacom18Studios)

तेजी से बढ़ रहे हैं मामले

आपको शायद ये मालूम न हो, लेकिन भारत को आधिकारिक रूप से लो-डिवोर्स रेट वाला देश माना गया है। यहां पर तलाक की दर महज 1% है। हालांकि, पिछले कुछ समय में देश में जोड़ों के अलग होने के मामले में तेजी देखी गई है। UN की 'Progress of the World’s Women 2019-2020: Families in a Changing World' रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में पिछले दो दशक में तलाक के मामले दोगुने हो चुके हैं।

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महामारी के बाद और बढ़े मामले

वहीं कोरोना महामारी फैलने, लॉकडाउन की स्थिति और उसके साथ आईं कई तरह की परिस्थितियों के बीच डिवोर्स के मामले और बढ़ते दिखे। उदाहरण के लिए विशाखापट्टनम के फैमिली कोर्ट के डेटा के मुताबिक, तलाक की अर्जी में करीब 30% तक की बढ़ोतरी देखी गई। वहीं मुंबई में तो 2011-2020 के बीच ही हर दिन करीब 22 डिवोर्स पिटिशन्स दाखिल की गईं।

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क्यों बढ़ रहे मामले?

डॉक्टर ब्रह्मानंद नायक के एक लेख 'वाय डिवोर्स रेट्स आर इंक्रीजिंग इन इंडिया' के मुताबिक, घरेलू हिंसा, महिलाओं का आत्मनिर्भर बनना व पुरुषों पर निर्भरता खत्म होना, सास-ससुर के साथ रिश्ता, इंटिमेसी, अफेयर या चीटिंग, कम्यूनिकेशन गैप, सेक्शुअल प्रॉब्लम, रिश्ते या साथी को लेकर पुरानी सोच, जल्दबाजी में की गई शादी तलाक के मामलों के बढ़ने के कुछ प्रमुख कारण हैं।

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लेखक के बारे में
आयशा
आयशा बतौर कंटेंट राइटर नवभारत टाइम्स की लाइफस्टाइल टीम के साथ जुड़ी हुई हैं। फैशन, रिलेशनशिप और ब्यूटी जैसे विषयों पर ये अच्छी पकड़ रखती हैं। इन्हें इन टॉपिक्स पर पढ़ते रहना और लिखना पसंद है।... और पढ़ें

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